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कुश्ती में परचम लहराने वाली बलकेश मीणा आज हैं मनरेगा मजदूर

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Published : Oct 28, 2020, 5:36 PM IST

राजस्थान के झुंझुनू की यह दंगल गर्ल जब भी अखाड़े में उतरी अपने विरोधियों को धूल चटाई है. इस प्रतिभावान खिलाड़ी ने नेशनल लेवल तक झुंझनू सहित राजस्थान का नाम रोशन किया, लेकिन पहलवानी में चार गोल्ड और कई पदक जीतने वाली ये खिलाड़ी आज अपने आर्थिक हालातों के आगे इतनी बेबस है कि अखाड़े छोड़ मनरेगा में काम करना पड़ रहा है. पढ़िए पहलवान बलकेश मीणा की कहानी...

बलकेश मीणा
बलकेश मीणा

झुंझुनू : राजस्थान के झुंझनू की एक महिला पहलवान जब अखाड़े में उतरती है, तो उसकी आंखों में जीत का जज्बा और जूनून देखकर विरोधी पहले ही डर जाते हैं. जब ये पहलवान विरोधी को पटखनी देती हैं तो विरोधी दोबारा उठ नहीं पाता. इस काबिल पहलवान ने नेशनल लेवल पर चार गोल्ड और सैकड़ों मेडल, पदक अपने नाम किए हैं. नेशनल लेवल की इस प्लेयर को मौका मिलता, तो अंतराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करती, लेकिन आज ये होनहार बेटी मनरेगा में काम करने को मजबूर है.

झुंझुनू जिले में फोगाट बहनों की तरह ही एक ऐसी पहलवान है, जिसने लड़कों के साथ कुश्ती कर इस खेल के हर दांव सीखे और नेशनल तक पहुंची, लेकिन जिंदगी के रिंग में झुंझनू की इस बेटी को आर्थिक तंगी ने पटखनी दे दी. एक छोटे से कस्बे की हांखुडाना की बलकेश मीणा का नेशनल तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा है.

झुंझुनू नेशनल प्लेयर मनरेगा में काम करने को मजबूर

15 साल की उम्र में ही उठ गया पिता का साया
महज 15 साल की उम्र में बलकेश के सिर से पिता का साया उठ गया. जिसके बाद बलकेश की मां ने पांच-भाई बहनों वाले इस परिवार का मजदूरी करके पेट पाला. बचपन से ही मीणा को आर्थिक तंगी से दो चार होना पड़ा. शायद यहीं से मीणा के अंदर जुझारूपन और जीतने का जज्बा मिला.

कई पदक किए अपने नाम
कई पदक किए अपने नाम

बलकेश बताती हैं कि 2011 में दिसंबर में पिता का आकस्मिक निधन हो गया. पिता भेड़-बकरियों का रेवड़ रखते थे. उनके जाने के बाद रेवड़ बेचना पड़ा. मां ने खेती-मजदूरी कर सभी का पालन पोषण किया. पांच भाई-बहनों में चार नंबर की बलकेश पुष्कर व्यामशाला में प्रशिक्षण लेने रोजाना खुडाना से साइकिल से बगड़ जाने लगी.

नेशनल प्लेयर बलकेश मीणा
नेशनल प्लेयर बलकेश मीणा

चार गोल्ड सहित 12 पदक बलकेश के नाम
पिछले 8 साल में बलकेश ने जिला स्तर से लेकर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चार गोल्ड सहित 12 पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. राजकीय स्कूल खुडाना में पढ़ी बलकेश को स्कूल के शारीरिक शिक्षक उमेद झाझड़िया ने कठिन परिस्थितियों के बाद भी खेल में उसकी रुचि देखकर उसे आगे बढ़ाया. बलकेश ने जुलाई 2012 में बगड़ की पुष्कर व्यामशाला में कुश्ती का प्रशिक्षण लेना शुरू किया. महज 3 महीने के प्रशिक्षण के बाद नवंबर में राज्य स्तरीय सीनियर कुश्ती प्रतियोगिता के 51 किलो भार वर्ग में रजत पदक जीतकर अपने इरादे जाहिर कर दिए.

यह भी पढ़ें- अगली बार पीएम मोदी और नीतीश को भी खिलाएं पकौड़ा : राहुल गांधी

रजत पदक जीतने के बाद बलकेश का पैर अखाड़े में जम गया. इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. पहली बार में ही उन्होंने राज्य स्तरीय कुश्ती में रजत पदक जीता और देखते-देखते राजस्थान की इस बेटी ने अब तक चार गोल्ड, पांच रजत व दो कांस्य पदक झटक लिए.

मनरेगा में काम करने को मजबूर

इसे प्रशासन और सरकार की अनदेखी कहेंगे कि एक प्रतिभावान पहलवान को अपनी जीविका चलाने के लिए मनरेगा में काम करना पड़ रहा है. मीणा को पिछले 2 साल में सरकार की ओर से सहायता मिली है, लेकिन वो काफी नहीं है. जैसे बेहतर दांव-पेंच के लिए प्रैक्टिस महत्वपूर्ण है, वैसे ही अखाड़े में लड़ने के लिए एक अच्छी डाइट और बेहतर प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है. मनरेगा के काम से उन्हें इतने पैसे नहीं मिलते कि वो घर के खर्च के साथ अपने अन्य खर्चे उठा सके.

सरकार से मदद की दरकार

वहीं झुंझनू की इस बेटी को दाद देनी पड़ेगी, जिसने इतनी विषम परिस्थितियों में हार नहीं मानी है. मनरेगा में काम करने के बाद बचे समय में बलकेश मीणा प्रैक्टिस करती हैं. मीणा में प्रतिभा कूट-कूट कर भरा है, लेकिन उन्हें सरकार से आर्थिक मदद की दरकार है. सरकार यदि ऐसे खिलाड़ियों को थोड़ी और सहायता दे दे तो एक प्रतिभा का भविष्य अंधकार में जाने से बच जाएगा.

इन प्रतियोगिताओं में जीते पदक

  1. 2013 में चिड़ावा में राज्य स्तरीय जूनियर कुश्ती में रजत पदक.
  2. 2014 में जयपुर में राज्य स्तरीय जूनियर कुश्ती में रजत पदक.
  3. 2015 में सीकर में राज्य स्तरीय जूनियर कुश्ती में गोल्ड मेडल.
  4. 2016 में जयपुर में राज्य स्तरीय सीनियर कुश्ती में रजत पदक.
  5. 2017 में भीलवाड़ा में राज्य स्तरीय सीनियर कुश्ती में रजत पदक.
  6. 2017 में झुंझुनू में इंटर कॉलेज में गोल्ड मेडल.
  7. 2018 में नाथद्वारा में राज्य स्तरीय जूनियर कुश्ती में गोल्ड मेडल.
  8. 2018 में सीकर में राज्य स्तरीय अंडर-23 कुश्ती में गोल्ड मेडल.
  9. 2019 में भीलवाड़ा में राज्य स्तरीय सीनियर कुश्ती में कांस्य पदक.
  10. 2018 में नवलगढ़ के शेखावाटी कुश्ती में शेखावाटी केसरी का खिताब.
  11. 2019 व 2020 को आबूसर में हस्तशिल्प मेले की कुश्ती प्रतियोगिता में ट्रॉफी जीती है.

झुंझुनू : राजस्थान के झुंझनू की एक महिला पहलवान जब अखाड़े में उतरती है, तो उसकी आंखों में जीत का जज्बा और जूनून देखकर विरोधी पहले ही डर जाते हैं. जब ये पहलवान विरोधी को पटखनी देती हैं तो विरोधी दोबारा उठ नहीं पाता. इस काबिल पहलवान ने नेशनल लेवल पर चार गोल्ड और सैकड़ों मेडल, पदक अपने नाम किए हैं. नेशनल लेवल की इस प्लेयर को मौका मिलता, तो अंतराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करती, लेकिन आज ये होनहार बेटी मनरेगा में काम करने को मजबूर है.

झुंझुनू जिले में फोगाट बहनों की तरह ही एक ऐसी पहलवान है, जिसने लड़कों के साथ कुश्ती कर इस खेल के हर दांव सीखे और नेशनल तक पहुंची, लेकिन जिंदगी के रिंग में झुंझनू की इस बेटी को आर्थिक तंगी ने पटखनी दे दी. एक छोटे से कस्बे की हांखुडाना की बलकेश मीणा का नेशनल तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा है.

झुंझुनू नेशनल प्लेयर मनरेगा में काम करने को मजबूर

15 साल की उम्र में ही उठ गया पिता का साया
महज 15 साल की उम्र में बलकेश के सिर से पिता का साया उठ गया. जिसके बाद बलकेश की मां ने पांच-भाई बहनों वाले इस परिवार का मजदूरी करके पेट पाला. बचपन से ही मीणा को आर्थिक तंगी से दो चार होना पड़ा. शायद यहीं से मीणा के अंदर जुझारूपन और जीतने का जज्बा मिला.

कई पदक किए अपने नाम
कई पदक किए अपने नाम

बलकेश बताती हैं कि 2011 में दिसंबर में पिता का आकस्मिक निधन हो गया. पिता भेड़-बकरियों का रेवड़ रखते थे. उनके जाने के बाद रेवड़ बेचना पड़ा. मां ने खेती-मजदूरी कर सभी का पालन पोषण किया. पांच भाई-बहनों में चार नंबर की बलकेश पुष्कर व्यामशाला में प्रशिक्षण लेने रोजाना खुडाना से साइकिल से बगड़ जाने लगी.

नेशनल प्लेयर बलकेश मीणा
नेशनल प्लेयर बलकेश मीणा

चार गोल्ड सहित 12 पदक बलकेश के नाम
पिछले 8 साल में बलकेश ने जिला स्तर से लेकर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चार गोल्ड सहित 12 पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. राजकीय स्कूल खुडाना में पढ़ी बलकेश को स्कूल के शारीरिक शिक्षक उमेद झाझड़िया ने कठिन परिस्थितियों के बाद भी खेल में उसकी रुचि देखकर उसे आगे बढ़ाया. बलकेश ने जुलाई 2012 में बगड़ की पुष्कर व्यामशाला में कुश्ती का प्रशिक्षण लेना शुरू किया. महज 3 महीने के प्रशिक्षण के बाद नवंबर में राज्य स्तरीय सीनियर कुश्ती प्रतियोगिता के 51 किलो भार वर्ग में रजत पदक जीतकर अपने इरादे जाहिर कर दिए.

यह भी पढ़ें- अगली बार पीएम मोदी और नीतीश को भी खिलाएं पकौड़ा : राहुल गांधी

रजत पदक जीतने के बाद बलकेश का पैर अखाड़े में जम गया. इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. पहली बार में ही उन्होंने राज्य स्तरीय कुश्ती में रजत पदक जीता और देखते-देखते राजस्थान की इस बेटी ने अब तक चार गोल्ड, पांच रजत व दो कांस्य पदक झटक लिए.

मनरेगा में काम करने को मजबूर

इसे प्रशासन और सरकार की अनदेखी कहेंगे कि एक प्रतिभावान पहलवान को अपनी जीविका चलाने के लिए मनरेगा में काम करना पड़ रहा है. मीणा को पिछले 2 साल में सरकार की ओर से सहायता मिली है, लेकिन वो काफी नहीं है. जैसे बेहतर दांव-पेंच के लिए प्रैक्टिस महत्वपूर्ण है, वैसे ही अखाड़े में लड़ने के लिए एक अच्छी डाइट और बेहतर प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है. मनरेगा के काम से उन्हें इतने पैसे नहीं मिलते कि वो घर के खर्च के साथ अपने अन्य खर्चे उठा सके.

सरकार से मदद की दरकार

वहीं झुंझनू की इस बेटी को दाद देनी पड़ेगी, जिसने इतनी विषम परिस्थितियों में हार नहीं मानी है. मनरेगा में काम करने के बाद बचे समय में बलकेश मीणा प्रैक्टिस करती हैं. मीणा में प्रतिभा कूट-कूट कर भरा है, लेकिन उन्हें सरकार से आर्थिक मदद की दरकार है. सरकार यदि ऐसे खिलाड़ियों को थोड़ी और सहायता दे दे तो एक प्रतिभा का भविष्य अंधकार में जाने से बच जाएगा.

इन प्रतियोगिताओं में जीते पदक

  1. 2013 में चिड़ावा में राज्य स्तरीय जूनियर कुश्ती में रजत पदक.
  2. 2014 में जयपुर में राज्य स्तरीय जूनियर कुश्ती में रजत पदक.
  3. 2015 में सीकर में राज्य स्तरीय जूनियर कुश्ती में गोल्ड मेडल.
  4. 2016 में जयपुर में राज्य स्तरीय सीनियर कुश्ती में रजत पदक.
  5. 2017 में भीलवाड़ा में राज्य स्तरीय सीनियर कुश्ती में रजत पदक.
  6. 2017 में झुंझुनू में इंटर कॉलेज में गोल्ड मेडल.
  7. 2018 में नाथद्वारा में राज्य स्तरीय जूनियर कुश्ती में गोल्ड मेडल.
  8. 2018 में सीकर में राज्य स्तरीय अंडर-23 कुश्ती में गोल्ड मेडल.
  9. 2019 में भीलवाड़ा में राज्य स्तरीय सीनियर कुश्ती में कांस्य पदक.
  10. 2018 में नवलगढ़ के शेखावाटी कुश्ती में शेखावाटी केसरी का खिताब.
  11. 2019 व 2020 को आबूसर में हस्तशिल्प मेले की कुश्ती प्रतियोगिता में ट्रॉफी जीती है.
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