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पर्यावरण के क्षेत्र में कैसा रहा मोदी सरकार का कार्यकाल, जानें विशेषज्ञ की राय

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Published : Apr 19, 2019, 8:13 PM IST

साल 2014 से अब तक मोदी सरकार के कार्यकाल में कई योजनाएं लाई गईं, जिनमें नमामि गंगे को अहम माना जाता है. इस परियोजना पर कितना काम हुआ और यह कहां तक सफल रही, इस पर जानें एक्सपर्ट की राय.

नमामि गंगे (लोगो)

नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के पांच साल के कार्यकाल के समाप्त होने के बाद विपक्ष लगातार उनकी योजनाओं पर कटाक्ष कर रहा है. विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार द्वारा घोषित परियोजनाएं लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी हैं. ईटीवी भारत ने बहुप्रचारित नमामि गंगे परियोजना सहित विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों को लेकर जाने-माने पर्यावरणविद हरजीत सिंह से इस मुद्दे पर बातचीत की और उनकी राय जानी.

ईटीवी भारत से बातचीत करते पर्यावरणविद हरजीत सिंह.
पर्यावरणविद हरजीत सिंह ने एनडीए सरकार के काम पर बोलते हुए कहा, 'नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान, कई योजनाओं की घोषणा की गई थी और सौर के लिए कुछ परियोजनाओं को लागू किया गया था. अनुकूलन निधि के लिए कुछ निश्चित सेटअप किए गए, लेकिन कुल मिलाकर स्थिति बहुत खराब है और पिछले कुछ सालों में पर्यावरण और अधिक नष्ट हो गया है.'
ईटीवी भारत से बातचीत करते पर्यावरणविद हरजीत सिंह.
हाल ही में अगर उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने दीवाली से पहले प्रदूषण कम करने के लिये 'ई-क्रैकर्स' के इस्तेमाल की बात की थी. लेकिन वास्तविकता यह थी कि उन्हें बाजार में उपलब्ध नहीं कराया गया और दिवाली के बाद, दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बढ़कर 750+ के आसपास हो गया.

सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा बहुत सारी योजनाएं बनाई जाती हैं, लेकिन जब हम वास्तविकता के बारे में बात करते हैं, तो ये सभी योजनाएं हकीकत में काम में नहीं लाई जाती हैं. साथ ही घोषणापत्र में सभी पार्टियां बातें तो खूब करती हैं लेकिन वास्तव में वो सब केवल वहीं तक सीमित रह जाता है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते पर्यावरणविद हरजीत सिंह.
नमामि गंगे परियोजना एनडीए सरकार की सबसे मुख्य परियोजना मानी जाती थी. हालांकि, हाल ही में एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी खुद इस बात से सहमत थे कि नमामि गंगे में केवल 30 प्रतिशत का काम हुआ है.इस बहुप्रचारित नमामि गंगे परियोजना पर अपनी राय देते हुए, सिंह ने कहा, 'यह एक अच्छी चुनौती है जिसे सरकार ने लिया है, लेकिन मेरा सवाल यह है कि केवल गंगा ही क्यों?' अन्य नदियों के बारे में भी सरकार को सोचना चाहिए. गंगा नदी भी परियोजना के तहत वाराणसी, कुंभ के दौरा प्रयागराज और कुछ अन्य क्षेत्रों में ही साफ की गई है.'एनडीए सरकार की एक और महत्वपूर्ण योजना भारत को सौर ऊर्जा युक्त बनाने की थी. विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने यहां तक ​​कहा कि 2030 तक भारत में सभी कारें सौर ऊर्जा से चलेंगी.लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस और बीजेपी ने अपने-अपने मेनिफेस्टों में जलवायु परिवर्तन के बारे में उल्लेख किया है. सिंह ने कहा, 'यह अच्छी बात है कि दोनों पार्टियां पर्यावरण के लिये काम करने के बारे में सोच रही हैं. वायु गुणवत्ता सूचकांक वास्तव में चिंता का विषय है, और कांग्रेस इसे 'राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल' का नाम दे रही है, जो कि अच्छा है. वहीं बीजेपी का भी कहना है कि वह 2024 तक वायु प्रदूषण पर काम करते हुए उसे 35 प्रतिशत कम कर देगी.'उन्होंने कहा कि अब देखना ये होगा कि कौन इस पर कितना काम करता है.

नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के पांच साल के कार्यकाल के समाप्त होने के बाद विपक्ष लगातार उनकी योजनाओं पर कटाक्ष कर रहा है. विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार द्वारा घोषित परियोजनाएं लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी हैं. ईटीवी भारत ने बहुप्रचारित नमामि गंगे परियोजना सहित विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों को लेकर जाने-माने पर्यावरणविद हरजीत सिंह से इस मुद्दे पर बातचीत की और उनकी राय जानी.

ईटीवी भारत से बातचीत करते पर्यावरणविद हरजीत सिंह.
पर्यावरणविद हरजीत सिंह ने एनडीए सरकार के काम पर बोलते हुए कहा, 'नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान, कई योजनाओं की घोषणा की गई थी और सौर के लिए कुछ परियोजनाओं को लागू किया गया था. अनुकूलन निधि के लिए कुछ निश्चित सेटअप किए गए, लेकिन कुल मिलाकर स्थिति बहुत खराब है और पिछले कुछ सालों में पर्यावरण और अधिक नष्ट हो गया है.'
ईटीवी भारत से बातचीत करते पर्यावरणविद हरजीत सिंह.
हाल ही में अगर उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने दीवाली से पहले प्रदूषण कम करने के लिये 'ई-क्रैकर्स' के इस्तेमाल की बात की थी. लेकिन वास्तविकता यह थी कि उन्हें बाजार में उपलब्ध नहीं कराया गया और दिवाली के बाद, दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बढ़कर 750+ के आसपास हो गया.

सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा बहुत सारी योजनाएं बनाई जाती हैं, लेकिन जब हम वास्तविकता के बारे में बात करते हैं, तो ये सभी योजनाएं हकीकत में काम में नहीं लाई जाती हैं. साथ ही घोषणापत्र में सभी पार्टियां बातें तो खूब करती हैं लेकिन वास्तव में वो सब केवल वहीं तक सीमित रह जाता है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते पर्यावरणविद हरजीत सिंह.
नमामि गंगे परियोजना एनडीए सरकार की सबसे मुख्य परियोजना मानी जाती थी. हालांकि, हाल ही में एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी खुद इस बात से सहमत थे कि नमामि गंगे में केवल 30 प्रतिशत का काम हुआ है.इस बहुप्रचारित नमामि गंगे परियोजना पर अपनी राय देते हुए, सिंह ने कहा, 'यह एक अच्छी चुनौती है जिसे सरकार ने लिया है, लेकिन मेरा सवाल यह है कि केवल गंगा ही क्यों?' अन्य नदियों के बारे में भी सरकार को सोचना चाहिए. गंगा नदी भी परियोजना के तहत वाराणसी, कुंभ के दौरा प्रयागराज और कुछ अन्य क्षेत्रों में ही साफ की गई है.'एनडीए सरकार की एक और महत्वपूर्ण योजना भारत को सौर ऊर्जा युक्त बनाने की थी. विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने यहां तक ​​कहा कि 2030 तक भारत में सभी कारें सौर ऊर्जा से चलेंगी.लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस और बीजेपी ने अपने-अपने मेनिफेस्टों में जलवायु परिवर्तन के बारे में उल्लेख किया है. सिंह ने कहा, 'यह अच्छी बात है कि दोनों पार्टियां पर्यावरण के लिये काम करने के बारे में सोच रही हैं. वायु गुणवत्ता सूचकांक वास्तव में चिंता का विषय है, और कांग्रेस इसे 'राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल' का नाम दे रही है, जो कि अच्छा है. वहीं बीजेपी का भी कहना है कि वह 2024 तक वायु प्रदूषण पर काम करते हुए उसे 35 प्रतिशत कम कर देगी.'उन्होंने कहा कि अब देखना ये होगा कि कौन इस पर कितना काम करता है.
A REVIEW OF MODI GOVT'S ENVIRONMENTAL WORK INCLUDING THE NAMAMI GANGE PROJECT
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As the five year tenure of the Narendra Modi led BJP government ended, the opposition parties during the 2019 election campaign rallies are taking a dig at a lot of ambitious projects which were announced by the Modi government but haven't quite lived up to the expectations. ETV Bharat spoke to renowned environmentalist and global lead of ActionAid internarional, Harjeet Singh on various environmental issues including the much vaunted Namami Gange project.
"During the tenure of Narendra Modi government, several schemes had been announced and some projects for solar have been implemented. There have been certain setups for adaptation funds but overall the situation is very bad and environment has gotten more eroded in the last few years" Singh said speaking on the work of NDA government.
The environment ministry in particular has been called out by a lot of environmentalists and critics for doing more gimmicks than work. An example of this could be the much hyped "e-crackers" that the Science and technology and Environment minister Harsh Vardhan announced before the last Diwali. But the reality was that they were not made available in market and subsequent to the Diwali, the Air Quality Index (AQI) in Delhi rose to around 750+. Singh believed " A lot of buzz is created with a lot of schemes but when we talk about the reality, we see that nothing much is done. As far as air quality index is concerned, we could have achieved much more. The government talks about these things a lot in the manifestos but nothing really happens".
The Namami Gange project was supposed to be the highlight work of the NDA government. In and recent interview to a TV channel though, Union Minister Nitin Gadkari agreed to the fact that only 30% of the work has been done in Namami Gange.
Giving his opinion on the much vaunted Namami Gange project, which was supposed to be one of the highlights of this Narendra Modi government, Singh added" It's a good challenge that the government has taken but my question is why only Ganga? There happen to be other rivers too. Even Ganga River for that matter has only been cleaned in patches in Varanasi, Prayagraj during the Kumbh and some other areas. But overall I feel that the plan has fallen short in implementation."
Another crucial ambition that this NDA government had was of making India a solar power. The government had envisaged certain eco-friendly targets which included generating of 175 gigawatts of renewable energy till the year 2022 and 100 gigawatts of it was supposed to be solar. The Ministry of Science and Technology even went to the extent of saying that by the year 2030, all cars in India would run on solar energy.
"The targets that we have set for the year 2022 for solar energy only 30 GW of it has been achieved and 70 GW still remains so we need to hurry up if we are to match the targets. As far as solar cars are concerned, even the government reduced its targets for the year 2030 from 100 % solar cars to 30% so they probably realised it was not practical" the Global Lead for ActionAid said.
On being fast as to which party's manifesto did he think was the best for environment, Singh said "It is good to see that at least both parties are mentioning about climate change in their manifestos now. The air quality index is really a matter of concern and Congress is calling it as 'National Health Emergency' which is good. The BJP on the other hand says it will reduce 35% it of air pollution till 2024 but that does not seem enough and more should be done".
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