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नसीरुद्दीन शाह, मीरा नायर सहित 300 हस्तियों ने किया सीएए का विरोध - सीएए के खिलाफ बयान

नसीरुद्दीन शाह, मीरा नायर सहित देश के 300 से अधिक हस्तियों ने सीएए का विरोध किया है. इन लोगों ने कहा कि हम सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले छात्रों और लोगों के साथ खड़े हैं. पढ़ें पूरी खबर.

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नसीरुद्दीन शाह, मीरा नायर
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Published : Jan 26, 2020, 9:25 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 1:56 AM IST

मुबंई : नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) पास होने के बाद देशभर में इसके खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है. इस कानून के खिलाफ राजनेता से लेकर अभिनेता हैं. इसी कड़ी में बॉलीवुड के अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, फिल्म निर्माता मीरा नायर, गायक टीएम कृष्णा, लेखक अमिताभ घोष और इतिहासकार रोमिला थापर सहित भारत के रचनात्मक और बुद्धजीवी वर्ग के 300 से अधिक लोग सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (एनआरसी) का विरोध कर रहे हैं.

13 जनवरी को भारतीय सांस्कृतिक मंच पर एक नोट प्रकाशित किया गया. इस पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों ने कहा था कि सीएए और एनआरसी भारत की आत्मा के लिए एक खतरा है.

नोट में कहा गया कि हम सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों और अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता के साथ खड़े हैं. हम उन सभी लोगों का सम्मान करते हैं. जो भारतीय संविधान के सिद्धांतों के साथ समाज कि विविधता के लिए आवाज उठा रहे हैं.

नोट में प्रकाशित किया गया कि हम इस बात से अवगत हैं कि हम हमेशा उस वादे पर खरे नहीं उतरे हैं, और हम में से कई लोग अक्सर अन्याय के विरोध में चुप रहते हैं. इस क्षण की गंभीरता मांग करती है कि हम में से प्रत्येक अपने सिद्धांतों के लिए खड़ा हो.

नोट पर लेखिका अनीता देसाई, किरन देसाई, अभिनेता रतन पाटक शाह जावेद जाफरी, नंदिता दास समाजशास्त्री आशीष नंदे कार्यकर्ता सोहेल हाशमी ने पर हस्ताक्षर किया है.

नोट में कहा गया कि वर्तमान सरकार की नीतियां और कार्य बिना किसी सार्वजनिक या खुले चर्चा के बिना ही संसद से पास हो जाता है. जो धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के सिद्धांतों के खिलाफ है.

राष्ट्र की आत्मा को खतरा है. हमारे लाखों भारतीय भारतीयों की जीविका और नागरिकता दांव पर है.

पढ़ें : आदिवासी, गरीब और मजदूरों के लिए परेशानी पैदा करेगा CAA- सुभाष गर्ग

एनआरसी के तहत, जो कोई भी अपनी वंशावली (जो कई के पास है भी नहीं) साबित करने में नाकाम रहेगा, उसकी नागरिकता जा सकती है.

बयान में कहा गया है कि एनआरसी में जिसे भी अवैध माना जाएगा, उसमें मुस्लिमों को छोड़कर सभी को सीएए के तहत भारत की नागरिकता दे दी जाएगी.

शख्सियतों ने कहा कि सरकार के घोषित उद्देश्य के विपरीत, सीएए से प्रतीत नहीं होता है इस कानून का मतलब केवल उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को आश्रय देना है.

उन्होंने श्रीलंका, चीन और म्यामांर जैसे पड़ोसी देशों को सीएए से बहार रखने पर सवाल किया.
बयान में कहा गया है कि क्या ऐसा इसलिए है कि इन देशों में सत्तारूढ़ मुस्लिम नहीं हैं? ऐसा लगता है कि कानून का मानना है कि केवल मुस्लिम सरकारें धार्मिक उत्पीड़न की अपराधी हो सकती हैं.
इस क्षेत्र में सबसे अधिक उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों, म्यामां के रोहिंग्या या चीन के उइगरों को बाहर क्यों रखा गया है? यह कानून केवल मुस्लिमों को अपराधी मानता है, मुस्लिमों को पीड़ित नहीं मानता है.

शख्सियतों ने कहा कि सरकार के घोषित उद्देश्य के विपरीत, सीएए से प्रतीत नहीं होता है इस कानून का मतलब केवल उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को आश्रय देना है.

उन्होंने श्रीलंका, चीन और म्यामांर जैसे पड़ोसी देशों को सीएए से बहार रखने पर सवाल किया.

बयान में कहा गया है कि क्या ऐसा इसलिए है कि इन देशों में सत्तारूढ़ मुस्लिम नहीं हैं? ऐसा लगता है कि कानून का मानना है कि केवल मुस्लिम सरकारें धार्मिक उत्पीड़न की अपराधी हो सकती हैं.
इस क्षेत्र में सबसे अधिक उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों, म्यामां के रोहिंग्या या चीन के उइगरों को बाहर क्यों रखा गया है? यह कानून केवल मुस्लिमों को अपराधी मानता है, मुस्लिमों को पीड़ित नहीं मानता है.

उन्होंने कहा कि लक्ष्य साफ है कि मुसलमानों का स्वागत नहीं है.

बयान में कहा गया है कि नया कानून न केवल सत्ता की ओर से धार्मिक उत्पीड़न को लेकर नहीं है, बल्कि असम, पूर्वोत्तर और कश्मीर में मूल निवासियों की पहचान और आजीविका के लिए भी खतरा है.

उन्होंने कहा है कि वे इसे माफ नहीं करेंगे.

बयान में जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय जैसे देश भर के विश्वविद्यालयों के छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई की भी आलोचना की गई.

पढ़ें : केरल : सीएए के खिलाफ 602 किमी लंबी मानव शृंखला, सीएम विजयन भी शामिल

उन्होंने कहा, पुलिस की बर्बरता ने सैकड़ों लोगों को घायल कर दिया है, जिसमें जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कई छात्र शामिल हैं. विरोध करते हुए कई नागरिक मारे गए हैं. कई और लोगों को अस्थायी रूप से हिरासत में रखा गया है। विरोध को रोकने के लिए कई राज्यों में धारा 144 लगाई गई है.
उन्होंने कहा कि बहुत हो चुका और वे भारत की धर्मनिरपेक्ष और समावेशी दृष्टि के लिए खड़े हैं.

बयान में कहा गया है, हम उन लोगों के साथ खड़े हैं जो मुस्लिम विरोधी और विभाजनकारी नीतियों का बहादुरी से विरोध करते हैं. हम उन लोगों के साथ खड़े हैं जो लोकतंत्र के लिए खड़े हैं. हम सड़कों पर और सभी प्लेटफार्मों पर आपके साथ रहेंगे. हम एकजुट हैं.

मुबंई : नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) पास होने के बाद देशभर में इसके खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है. इस कानून के खिलाफ राजनेता से लेकर अभिनेता हैं. इसी कड़ी में बॉलीवुड के अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, फिल्म निर्माता मीरा नायर, गायक टीएम कृष्णा, लेखक अमिताभ घोष और इतिहासकार रोमिला थापर सहित भारत के रचनात्मक और बुद्धजीवी वर्ग के 300 से अधिक लोग सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (एनआरसी) का विरोध कर रहे हैं.

13 जनवरी को भारतीय सांस्कृतिक मंच पर एक नोट प्रकाशित किया गया. इस पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों ने कहा था कि सीएए और एनआरसी भारत की आत्मा के लिए एक खतरा है.

नोट में कहा गया कि हम सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों और अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता के साथ खड़े हैं. हम उन सभी लोगों का सम्मान करते हैं. जो भारतीय संविधान के सिद्धांतों के साथ समाज कि विविधता के लिए आवाज उठा रहे हैं.

नोट में प्रकाशित किया गया कि हम इस बात से अवगत हैं कि हम हमेशा उस वादे पर खरे नहीं उतरे हैं, और हम में से कई लोग अक्सर अन्याय के विरोध में चुप रहते हैं. इस क्षण की गंभीरता मांग करती है कि हम में से प्रत्येक अपने सिद्धांतों के लिए खड़ा हो.

नोट पर लेखिका अनीता देसाई, किरन देसाई, अभिनेता रतन पाटक शाह जावेद जाफरी, नंदिता दास समाजशास्त्री आशीष नंदे कार्यकर्ता सोहेल हाशमी ने पर हस्ताक्षर किया है.

नोट में कहा गया कि वर्तमान सरकार की नीतियां और कार्य बिना किसी सार्वजनिक या खुले चर्चा के बिना ही संसद से पास हो जाता है. जो धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के सिद्धांतों के खिलाफ है.

राष्ट्र की आत्मा को खतरा है. हमारे लाखों भारतीय भारतीयों की जीविका और नागरिकता दांव पर है.

पढ़ें : आदिवासी, गरीब और मजदूरों के लिए परेशानी पैदा करेगा CAA- सुभाष गर्ग

एनआरसी के तहत, जो कोई भी अपनी वंशावली (जो कई के पास है भी नहीं) साबित करने में नाकाम रहेगा, उसकी नागरिकता जा सकती है.

बयान में कहा गया है कि एनआरसी में जिसे भी अवैध माना जाएगा, उसमें मुस्लिमों को छोड़कर सभी को सीएए के तहत भारत की नागरिकता दे दी जाएगी.

शख्सियतों ने कहा कि सरकार के घोषित उद्देश्य के विपरीत, सीएए से प्रतीत नहीं होता है इस कानून का मतलब केवल उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को आश्रय देना है.

उन्होंने श्रीलंका, चीन और म्यामांर जैसे पड़ोसी देशों को सीएए से बहार रखने पर सवाल किया.
बयान में कहा गया है कि क्या ऐसा इसलिए है कि इन देशों में सत्तारूढ़ मुस्लिम नहीं हैं? ऐसा लगता है कि कानून का मानना है कि केवल मुस्लिम सरकारें धार्मिक उत्पीड़न की अपराधी हो सकती हैं.
इस क्षेत्र में सबसे अधिक उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों, म्यामां के रोहिंग्या या चीन के उइगरों को बाहर क्यों रखा गया है? यह कानून केवल मुस्लिमों को अपराधी मानता है, मुस्लिमों को पीड़ित नहीं मानता है.

शख्सियतों ने कहा कि सरकार के घोषित उद्देश्य के विपरीत, सीएए से प्रतीत नहीं होता है इस कानून का मतलब केवल उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को आश्रय देना है.

उन्होंने श्रीलंका, चीन और म्यामांर जैसे पड़ोसी देशों को सीएए से बहार रखने पर सवाल किया.

बयान में कहा गया है कि क्या ऐसा इसलिए है कि इन देशों में सत्तारूढ़ मुस्लिम नहीं हैं? ऐसा लगता है कि कानून का मानना है कि केवल मुस्लिम सरकारें धार्मिक उत्पीड़न की अपराधी हो सकती हैं.
इस क्षेत्र में सबसे अधिक उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों, म्यामां के रोहिंग्या या चीन के उइगरों को बाहर क्यों रखा गया है? यह कानून केवल मुस्लिमों को अपराधी मानता है, मुस्लिमों को पीड़ित नहीं मानता है.

उन्होंने कहा कि लक्ष्य साफ है कि मुसलमानों का स्वागत नहीं है.

बयान में कहा गया है कि नया कानून न केवल सत्ता की ओर से धार्मिक उत्पीड़न को लेकर नहीं है, बल्कि असम, पूर्वोत्तर और कश्मीर में मूल निवासियों की पहचान और आजीविका के लिए भी खतरा है.

उन्होंने कहा है कि वे इसे माफ नहीं करेंगे.

बयान में जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय जैसे देश भर के विश्वविद्यालयों के छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई की भी आलोचना की गई.

पढ़ें : केरल : सीएए के खिलाफ 602 किमी लंबी मानव शृंखला, सीएम विजयन भी शामिल

उन्होंने कहा, पुलिस की बर्बरता ने सैकड़ों लोगों को घायल कर दिया है, जिसमें जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कई छात्र शामिल हैं. विरोध करते हुए कई नागरिक मारे गए हैं. कई और लोगों को अस्थायी रूप से हिरासत में रखा गया है। विरोध को रोकने के लिए कई राज्यों में धारा 144 लगाई गई है.
उन्होंने कहा कि बहुत हो चुका और वे भारत की धर्मनिरपेक्ष और समावेशी दृष्टि के लिए खड़े हैं.

बयान में कहा गया है, हम उन लोगों के साथ खड़े हैं जो मुस्लिम विरोधी और विभाजनकारी नीतियों का बहादुरी से विरोध करते हैं. हम उन लोगों के साथ खड़े हैं जो लोकतंत्र के लिए खड़े हैं. हम सड़कों पर और सभी प्लेटफार्मों पर आपके साथ रहेंगे. हम एकजुट हैं.

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CAA-PERSONALITIES-STATEMENT
Naseeruddin Shah, Mira Nair among 300 personalities to issue open statement against CAA
         Mumbai, Jan 26 (PTI) Over 300 eminent personalities from the creative and scholarly community of India, including actor Naseeruddin Shah, filmmaker Mira Nair, vocalist TM Krishna, author Amitav Ghosh and historian Romila Thapar have expressed solidarity with the students and others protesting against the CAA and NRC.
         The amended Citizenship Act and National Register of Citizens (NRC) is a "threat" to the soul of India, the signatories said in a note published on Indian Cultural Forum on January 13.
         "We stand in solidarity with the students and others who are protesting and speaking out against the Citizenship Amendment Act (CAA) and against the National Register of Citizens (NRC). We salute their collective cry for upholding the principles of the Constitution of India, with its promise of a plural and diverse society.
         "We are aware that we have not always lived up to that promise, and many of us have too often remained silent in the face of injustice. The gravity of this moment demands that each of us stand for our principles," the statement read.
         Writers Anita Desai, Kiran Desai, actors Ratna Patak Shah, Jaaved Jafferi, Nandita Das, Lillete Dubey, sociologist Ashis Nandy, activists Sohail Hashmi and Shabnam Hashmi were also among the signatories.
         "The policies and actions of the present government, passed quickly through parliament and without opportunity for public dissent or open discussion, are antithetical to the principle of a secular, inclusive nation.
         "The soul of the nation is threatened. The livelihoods and statehoods of millions of our fellow Indians are at stake. Under the NRC, anyone unable to produce documentation (which, in many cases, does not exist) to prove their ancestry may be rendered stateless. Those deemed 'illegal' through the NRC may be eligible for citizenship under the CAA, unless they are Muslim," the statement further read.
         The personalities said that contrary to the stated objective of the government, the
CAA          doesn't appear to be a "benign legislation only meant to shelter persecuted minorities".
         They questioned why the minorities from neighbouring countries like Sri Lanka, China and Myanmar have been excluded from the CAA.
         "Is it because the ruling powers in these latter countries are not Muslim? It appears that the legislation believes that only Muslim governments can be perpetrators of religious persecution. Why exclude the most persecuted minorities in the region, the Rohingya of Myanmar or the Uighurs of China? This legislation only acknowledges Muslim perpetrators, never Muslim victims. The aim is transparent: Muslims are the unwelcome Other," they added.
         The new legislation is not only a "state-sanctioned religious persecution" but also
a threat to the "indigenous identity and livelihood" of Assam and the Northeast, and in Kashmir, and the signatories said they will not condone it.
         The note also criticised the police crackdown on students of universities across the country such as Jamia Millia Islamia and Aligarh Muslim University.
         "The response of the government and law-enforcement agencies to the distress of its citizens has been callous and high-handed. India has seen the most Internet shutdowns of any democracy in the world.
         "Police brutality has left hundreds injured, including many students from Jamia Milia Islamia University and Aligarh Muslim University. Several citizens have been killed while protesting. Many more have been placed in preventive detention. Section 144 has been imposed in numerous states to curb protests."
         They said "enough is enough" and they stand for a secular and inclusive vision of India.
         "We stand with those who bravely oppose anti-Muslim and divisive policies. We stand with those who stand up for democracy. We will be with you on our streets and across all our platforms. We are in solidarity," the statement read.
          Protests broke out across the country in December last year, after the Citizenship (Amendment) Bill was cleared by Parliament and signed by President Ram Nath Kovind into an Act.
         According to the Act, people from Hindu, Sikh, Buddhist, Jain, Parsi and Christian communities who have come to India till December 31, 2014, from Pakistan, Bangladesh and Afghanistan due to religious persecution there will be given Indian citizenship.
         The protesters claim that the legislation was "unconstitutional and divisive" as it excludes Muslims. They have expressed apprehensions that the CAA along with NRC will impact the community in the country.
         However, the government maintains that the Act is not intended to take away anyone's citizenship. PTI SHD RDS BK
SHD
SHD
01261627
NNNN
Last Updated : Feb 28, 2020, 1:56 AM IST
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