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कोरोनिल दवा मामला : रामदेव को मिली राहत, याचिकाकर्ता पर लगा जुर्माना

कोरोनिल दावा निर्माण मामले में बाबा रामदेव को नैनीताल हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने कोरोनिल दवा को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. इतना ही नहीं कोर्ट ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता मनी कुमार पर गलत जनहित याचिका दायर करने पर ₹25 हजार का जुर्माना भी लगाया है.

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कोरोनिल दवा मामला
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Published : Aug 7, 2020, 7:20 PM IST

नैनीताल : कोरोनिल दावा निर्माण मामले में बाबा रामदेव को नैनीताल हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ की खंडपीठ ने कोरोनिल दवा को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है और याचिकाकर्ता अधिवक्ता मनी कुमार पर गलत जनहित याचिका दायर करने पर ₹25 हजार का जुर्माना भी लगाया है.

बता दें कि, उधमसिंह नगर निवासी अधिवक्ता मनी कुमार ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि बाबा रामदेव समेत उनके सहयोगी बालकृष्ण ने हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ की दिव्य फार्मेसी कंपनी की ओर कोरोनिल दवा लांच की है. जिसमें दिव्य फार्मेसी की ओर से आईसीएमआर की गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया है. न ही आयुष मंत्रालय भारत सरकार की अनुमति ली गई है.

कोरोनिल दवा निर्माण मामले में बाबा रामदेव को मिली राहत.

इतना ही नहीं याचिका में बताया गया कि बाबा रामदेव ने उत्तराखंड आयुष विभाग में भी आवेदन नहीं किया है. बाबा रामदेव ने जिस दवा निर्माण के लिए आवेदन किया था, वह रोग प्रतिरोधक क्षमता की दवा थी. जिसकी आड़ में बाबा कोरोना वायरस की दवा बना रहे थे.

वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि राजस्थान के जिस विश्वविद्यालय के साथ बाबा रामदेव ने दवा का परीक्षण करने का दावा किया था. उस निम्स विश्वविद्यालय की ओर से ऐसी किसी भी दवा का परीक्षण करने से मना कर दिया गया है. ऐसे में बिना परीक्षण की दवा के सेवन से साइड इफेक्ट होगा. लिहाजा, दवा पर प्रतिबंध लगा दिया जाए.

ये भी पढ़ेंः मद्रास हाईकोर्ट ने पतंजलि पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि बाबा रामदेव अपने इस दवा का भ्रामक प्रचार-प्रसार भी कर रहे हैं, जो आईसीएमआर से प्रमाणित नहीं है और न ही बाबा रामदेव के पास इस दवा को बनाने का लाइसेंस है. लिहाजा, दवा के निर्माण और प्रचार-प्रसार पर रोक लगाई जाए. साथ ही दवा बनाने वाली संस्था के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए.

वहीं, शुक्रवार को नैनीताल हाई कोर्ट में मामले में सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट ने कोरोनिल दवा निर्माण मामले में बाबा रामदेव को बड़ी राहत दी है. साथ ही याचिकाकर्ता के खिलाफ ₹25000 का जुर्माना भी लगाया है.

नैनीताल : कोरोनिल दावा निर्माण मामले में बाबा रामदेव को नैनीताल हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ की खंडपीठ ने कोरोनिल दवा को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है और याचिकाकर्ता अधिवक्ता मनी कुमार पर गलत जनहित याचिका दायर करने पर ₹25 हजार का जुर्माना भी लगाया है.

बता दें कि, उधमसिंह नगर निवासी अधिवक्ता मनी कुमार ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि बाबा रामदेव समेत उनके सहयोगी बालकृष्ण ने हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ की दिव्य फार्मेसी कंपनी की ओर कोरोनिल दवा लांच की है. जिसमें दिव्य फार्मेसी की ओर से आईसीएमआर की गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया है. न ही आयुष मंत्रालय भारत सरकार की अनुमति ली गई है.

कोरोनिल दवा निर्माण मामले में बाबा रामदेव को मिली राहत.

इतना ही नहीं याचिका में बताया गया कि बाबा रामदेव ने उत्तराखंड आयुष विभाग में भी आवेदन नहीं किया है. बाबा रामदेव ने जिस दवा निर्माण के लिए आवेदन किया था, वह रोग प्रतिरोधक क्षमता की दवा थी. जिसकी आड़ में बाबा कोरोना वायरस की दवा बना रहे थे.

वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि राजस्थान के जिस विश्वविद्यालय के साथ बाबा रामदेव ने दवा का परीक्षण करने का दावा किया था. उस निम्स विश्वविद्यालय की ओर से ऐसी किसी भी दवा का परीक्षण करने से मना कर दिया गया है. ऐसे में बिना परीक्षण की दवा के सेवन से साइड इफेक्ट होगा. लिहाजा, दवा पर प्रतिबंध लगा दिया जाए.

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याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि बाबा रामदेव अपने इस दवा का भ्रामक प्रचार-प्रसार भी कर रहे हैं, जो आईसीएमआर से प्रमाणित नहीं है और न ही बाबा रामदेव के पास इस दवा को बनाने का लाइसेंस है. लिहाजा, दवा के निर्माण और प्रचार-प्रसार पर रोक लगाई जाए. साथ ही दवा बनाने वाली संस्था के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए.

वहीं, शुक्रवार को नैनीताल हाई कोर्ट में मामले में सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट ने कोरोनिल दवा निर्माण मामले में बाबा रामदेव को बड़ी राहत दी है. साथ ही याचिकाकर्ता के खिलाफ ₹25000 का जुर्माना भी लगाया है.

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