नई दिल्लीः भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटा दिया गया है. इसी संदर्भ में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक समूह ने दावा किया कि अनुच्छेद 370 और 35ए को लेकर पूरे देश में मुसलमानों में असहमति की एक भी आवाज नहीं है. इनके मुताबिक कश्मीरी युवाओं को धैर्य रखना होगा. विकास के लिए कुछ समय की जरूरत होती है.
इंटरफेथ हार्मनी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा, 'हमारी सरकार द्वारा लिए गए निर्णय पर संदेह होने का कोई सवाल ही नहीं है. हमें अपने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री पर विश्वास होना चाहिए, जिन्होंने सामान्य स्थिति होने पर जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा देने का वादा किया है.'
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार तक अपने मुद्दों को पहुंचाने के लिए के लिए कश्मीरियों को आगे आना चाहिए. लेकिन उनके पास कुछ धैर्य भी होना चाहिए क्योंकि राज्य में विकास रातोंरात नहीं हो सकता है. विकास के लिए कुछ समय की आवश्यकता होती है.
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डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद ने आगे कहा, राष्ट्र और राष्ट्रीय हित पर किसी को प्रथमिकता नहीं मिलनी चाहिए. यह समय घाव भरने के लिए है, घाव देने के लिए नहीं.
भारत सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और 35ए के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त कर दिया और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था. इसके बाद से जम्मू-कश्मीर में भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है और प्रतिबंध लागू किए गए हैं. बता दें, भारत सरकार के इस फैसले का पाकिस्तान ने जमकर विरोध किया और लगातार कर रहा है.