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अनुच्छेद 370 : मुस्लिम बुद्धिजीवियों का सरकार को पूरा समर्थन

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Published : Sep 25, 2019, 4:45 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 11:47 PM IST

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटाए जाने को लेकर इंटरफेथ हार्मनी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि देश का कोई भी मुसलमान इस फैसले से असहमत नहीं है. उन्होंने सरकार पर भरोसा रखने की अपील की है. पढ़ें पूरी खबर...

डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद (बीच में)

नई दिल्लीः भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटा दिया गया है. इसी संदर्भ में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक समूह ने दावा किया कि अनुच्छेद 370 और 35ए को लेकर पूरे देश में मुसलमानों में असहमति की एक भी आवाज नहीं है. इनके मुताबिक कश्मीरी युवाओं को धैर्य रखना होगा. विकास के लिए कुछ समय की जरूरत होती है.

इंटरफेथ हार्मनी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा, 'हमारी सरकार द्वारा लिए गए निर्णय पर संदेह होने का कोई सवाल ही नहीं है. हमें अपने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री पर विश्वास होना चाहिए, जिन्होंने सामान्य स्थिति होने पर जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा देने का वादा किया है.'

डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद मीडिया को संबोधित करते हए

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार तक अपने मुद्दों को पहुंचाने के लिए के लिए कश्मीरियों को आगे आना चाहिए. लेकिन उनके पास कुछ धैर्य भी होना चाहिए क्योंकि राज्य में विकास रातोंरात नहीं हो सकता है. विकास के लिए कुछ समय की आवश्यकता होती है.

पढ़ें-पाकिस्तान से नहीं 'टेररिस्तान' से बात करने में समस्या है: एस जयशंकर

डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद ने आगे कहा, राष्ट्र और राष्ट्रीय हित पर किसी को प्रथमिकता नहीं मिलनी चाहिए. यह समय घाव भरने के लिए है, घाव देने के लिए नहीं.

भारत सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और 35ए के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त कर दिया और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था. इसके बाद से जम्मू-कश्मीर में भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है और प्रतिबंध लागू किए गए हैं. बता दें, भारत सरकार के इस फैसले का पाकिस्तान ने जमकर विरोध किया और लगातार कर रहा है.

नई दिल्लीः भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटा दिया गया है. इसी संदर्भ में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक समूह ने दावा किया कि अनुच्छेद 370 और 35ए को लेकर पूरे देश में मुसलमानों में असहमति की एक भी आवाज नहीं है. इनके मुताबिक कश्मीरी युवाओं को धैर्य रखना होगा. विकास के लिए कुछ समय की जरूरत होती है.

इंटरफेथ हार्मनी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा, 'हमारी सरकार द्वारा लिए गए निर्णय पर संदेह होने का कोई सवाल ही नहीं है. हमें अपने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री पर विश्वास होना चाहिए, जिन्होंने सामान्य स्थिति होने पर जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा देने का वादा किया है.'

डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद मीडिया को संबोधित करते हए

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार तक अपने मुद्दों को पहुंचाने के लिए के लिए कश्मीरियों को आगे आना चाहिए. लेकिन उनके पास कुछ धैर्य भी होना चाहिए क्योंकि राज्य में विकास रातोंरात नहीं हो सकता है. विकास के लिए कुछ समय की आवश्यकता होती है.

पढ़ें-पाकिस्तान से नहीं 'टेररिस्तान' से बात करने में समस्या है: एस जयशंकर

डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद ने आगे कहा, राष्ट्र और राष्ट्रीय हित पर किसी को प्रथमिकता नहीं मिलनी चाहिए. यह समय घाव भरने के लिए है, घाव देने के लिए नहीं.

भारत सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और 35ए के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त कर दिया और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था. इसके बाद से जम्मू-कश्मीर में भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है और प्रतिबंध लागू किए गए हैं. बता दें, भारत सरकार के इस फैसले का पाकिस्तान ने जमकर विरोध किया और लगातार कर रहा है.

Intro:New Delhi: Amid the speculations over the "bad situation" in the Valley, a group of Muslim intellectuals claimed that there is not even a single voice of dissent from Muslims, across the country, over the abolition of Article 370 and 35a, giving special status to Jammu and Kashmir.


Body:While addressing a press conference, Dr Khwaja Iftikhar Ahmed, President of Interfaith Harmony Foundation of India, said, "There is no question of having a doubt over the decision taken by our Government. We should have faith on our Prime Minister and Home Minister, who have promised to give back statehood to Jammu and Kashmir when normalcy is prevailed."

He also said that Kashmiris should come forward to address their issues to the Government but they should also have some patience as development can't be done in the state overnight and it requires some time. "Nothing should take precedence over nation and national interest. This is a time of healing, not hurting," he added.


Conclusion:Sending a detailed story in a while.
Last Updated : Oct 1, 2019, 11:47 PM IST
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