हैदराबाद : भारत में आज ही दिन यानी एक अगस्त, 2019 को तीन तलाक कानून को खत्म करने वाला विधेयक पास हुआ था. इस विधेयक को पारित करने के बाद तीन तलाक को प्रतिबंधित करने वाले 20 से ज्यादा देशो में भारत भी शामिल हो गया है. दुनिया में भारत के अलावा कई मुस्लिम देश भी हैं, जहां पर तीन तलाक पर पहले से ही प्रतिबंध लगा हुआ है.
दुनिया भर में कई ऐसे इस्लामिक देश हैं जहां तीन तलाक प्रतिबंधित है. जानिए किस देश में कैसा है प्रावधान.
मिस्र
1929 में कुरान की व्याख्या के अनुसार अपनी तलाक प्रणाली में सुधार करने वाला यह पहला देश था. तीन बार में तालक की घोषणा करना अस्वीकार्य है.
पाकिस्तान
1961 में मुस्लिम परिवार कानून अध्यादेश जारी करने के बाद पाकिस्तान में तीन तालक को समाप्त कर दिया गया था.
ट्यूनीशिया
देश के कोड ऑफ पर्सनल स्टेटस 1956 के अनुसार, विवाह राज्य और न्यायपालिका के दायरे में आता है. इससे पति को बिना कारण बताए अपनी पत्नी को मौखिक रूप से तलाक देने की इजाजत नहीं है.
बांग्लादेश
पति और पत्नी दोनों तीन चरणों में तलाक ले सकते हैं. पहले लिखित में नोटिस देना होता है जिसके बाद माध्यस्थम् बोर्ड का सामना करना पड़ता है. 90 दिनों के बाद काजी से प्रमाणपत्र ले सकते हैं.
तुर्की
1926 में मुस्तफा केमल अतातुर्क के नेतृत्व में, इस्लाम के विवाह और तलाक के कानून को समाप्त कर दिया गया था. इसके बाद आधुनिक स्विस नागरिक संहिता को अपनाया गया.
इंडोनेशिया
यहां तलाक को केवल अदालत के फैसले द्वारा निष्पादित किया जा सकता है. पति-पत्नी के बीच तलाक के रूप में समझौते को तलाक नहीं माना जाएगा.
इराक
यह पहला अरब देश था जिसने शरिया अदालत की जगह पर सरकार द्वारा संचालित व्यक्तिगत स्टेटस कोर्ट को स्थापित किया था.
अलजीरिया
सुलह के प्रयास के बाद ही तलाक मिल सकता है. यहां तलाक केवल अदालत द्वारा दिया जा सकता है. बता दें सुलह की अवधि तीन महीने से अधिक नहीं हो सकती.
अफगानिस्तान
यहां एक बार में तीन बार तलाक बोलकर तलाक देना अमान्य है.
अन्य देश जहां तीन तलाक प्रतिबंधित है- सीरिया, जॉर्डन, मलेशिया, ब्रुनेई, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, साइप्रस, ईरान, लीबिया, सूडान, लेबनान, मोरक्को और कुवैत.
श्रीलंका
श्रीलंकन विवाह और तलाक (मुस्लिम) अधिनियम 1951 के तहत अगर पति अपनी पत्नी से अलग होना चाहता है तो उसे, पुनर्विचार और सुलह के लिए प्रयास करें.
इसमे काजी के साथ-साथ अपनी पत्नी के रिश्तेदारों, बड़ों और क्षेत्र के अन्य प्रभावशाली मुसलमानों को अपने इच्छा का नोटिस देना होगा.