नई दिल्ली : बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 27वीं सालगिरह पर आज दिल्ली के मंडी हाउस से लेकर जंतर-मंतर तक प्रदर्शन किया गया. इस दौरान यह मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट बाबरी- राम जन्मभूमि विवादित स्थल पर पुनर्विचार याचिका पर दोबारा सुनवाई करे और बाबरी मस्जिद विध्वंस के जिम्मेदारों को जल्द सजा मिले.
जनसभा को संबोधित करते हुए इस दौरान लोक राज संगठन के अध्यक्ष एस. राघवन ने कहा कि अयोध्या में निर्मित बाबरी मस्जिद सिर्फ मस्जिद ही नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय धरोहर थी और इसके विध्वंस के पीछे सिर्फ भाजपा नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी भी शामिल थी क्योंकि केंद्र में उस समय कांग्रेस की सरकार थी.
इस राघवन ने कहा कि दोनों पार्टियों ने लोगों को उकसाने का काम किया और बाबरी मस्जिद को तोड़ने में सिर्फ कारसेवकों का ही नहीं बल्कि इन दोनों पार्टियों का भी हाथ है.
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के नेता तस्लीम रहमानी ने कहा कि हम 26 साल से बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे और हमें लगा कि 27 में साल हमें सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिल जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लेकिन उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद ऐसा लगता है कि हमें अभी आगे भी इसी तरीके से प्रदर्शन करना होगा तभी जाकर हमें न्याय मिलेगा.
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उन्होंने आगे कहा कि सबरीमाला केस में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राकेश 7 जजों की बेंच के पास भेज दिया है इसी तरह हम यह चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले में भी पुनर्विचार याचिका को स्वीकार करें और दोबारा फैसला सुनाए.
बता दें कि लखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदालत में चल रहे अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढांचा गिराए जाने के आपराधिक मामले में फैसला अप्रैल 2020 तक आने की संभावना है. 5 अक्टूबर को सत्र अदालत ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक सभी गवाहों को 24 दिसंबर 2019 तक प्रस्तुत करना होगा और इस मामले में यह आखिरी तारीख होगी.