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बाबरी विध्वंस पर विभिन्न संगठनों ने किया प्रदर्शन

अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढांचा गिराए जाने के 27वीं सालगिरह पर आज दिल्ली के मंडी हाउस से लेकर जंतर-मंतर तक विभिन्न संगठनों ने विरोध-प्रदर्शन किया. इस दौरान संगठनों ने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट बाबरी- राम जन्मभूमि विवादित स्थल पर पुनर्विचार याचिका पर दोबारा सुनवाई करे और बाबरी मस्जिद विध्वंस के जिम्मेदारों को जल्द सजा मिले. जानें विस्तार से...

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Published : Dec 6, 2019, 9:21 PM IST

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बाबरी विध्वंस पर विभिन्न संगठनों ने किया प्रदर्शन

नई दिल्ली : बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 27वीं सालगिरह पर आज दिल्ली के मंडी हाउस से लेकर जंतर-मंतर तक प्रदर्शन किया गया. इस दौरान यह मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट बाबरी- राम जन्मभूमि विवादित स्थल पर पुनर्विचार याचिका पर दोबारा सुनवाई करे और बाबरी मस्जिद विध्वंस के जिम्मेदारों को जल्द सजा मिले.

जनसभा को संबोधित करते हुए इस दौरान लोक राज संगठन के अध्यक्ष एस. राघवन ने कहा कि अयोध्या में निर्मित बाबरी मस्जिद सिर्फ मस्जिद ही नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय धरोहर थी और इसके विध्वंस के पीछे सिर्फ भाजपा नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी भी शामिल थी क्योंकि केंद्र में उस समय कांग्रेस की सरकार थी.

इस राघवन ने कहा कि दोनों पार्टियों ने लोगों को उकसाने का काम किया और बाबरी मस्जिद को तोड़ने में सिर्फ कारसेवकों का ही नहीं बल्कि इन दोनों पार्टियों का भी हाथ है.

सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के नेता तस्लीम रहमानी ने कहा कि हम 26 साल से बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे और हमें लगा कि 27 में साल हमें सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिल जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लेकिन उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद ऐसा लगता है कि हमें अभी आगे भी इसी तरीके से प्रदर्शन करना होगा तभी जाकर हमें न्याय मिलेगा.

बाबरी विध्वंस पर विभिन्न संगठन का विरोध-प्रदर्शन...
वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के नेता सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि यह बड़े अफसोस की बात है कि 27 साल बाद भी बाबरी मस्जिद को गिराने वालों को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में यह कहा है कि बाबरी मस्जिद अयोध्या में मौजूद थी और उसे ढहाया गया था.

इसे भी पढे़ं- अयोध्या : हिंदू पक्ष भी दायर करेगा पुनर्विचार याचिका

उन्होंने आगे कहा कि सबरीमाला केस में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राकेश 7 जजों की बेंच के पास भेज दिया है इसी तरह हम यह चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले में भी पुनर्विचार याचिका को स्वीकार करें और दोबारा फैसला सुनाए.

बता दें कि लखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदालत में चल रहे अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढांचा गिराए जाने के आपराधिक मामले में फैसला अप्रैल 2020 तक आने की संभावना है. 5 अक्टूबर को सत्र अदालत ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक सभी गवाहों को 24 दिसंबर 2019 तक प्रस्तुत करना होगा और इस मामले में यह आखिरी तारीख होगी.

नई दिल्ली : बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 27वीं सालगिरह पर आज दिल्ली के मंडी हाउस से लेकर जंतर-मंतर तक प्रदर्शन किया गया. इस दौरान यह मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट बाबरी- राम जन्मभूमि विवादित स्थल पर पुनर्विचार याचिका पर दोबारा सुनवाई करे और बाबरी मस्जिद विध्वंस के जिम्मेदारों को जल्द सजा मिले.

जनसभा को संबोधित करते हुए इस दौरान लोक राज संगठन के अध्यक्ष एस. राघवन ने कहा कि अयोध्या में निर्मित बाबरी मस्जिद सिर्फ मस्जिद ही नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय धरोहर थी और इसके विध्वंस के पीछे सिर्फ भाजपा नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी भी शामिल थी क्योंकि केंद्र में उस समय कांग्रेस की सरकार थी.

इस राघवन ने कहा कि दोनों पार्टियों ने लोगों को उकसाने का काम किया और बाबरी मस्जिद को तोड़ने में सिर्फ कारसेवकों का ही नहीं बल्कि इन दोनों पार्टियों का भी हाथ है.

सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के नेता तस्लीम रहमानी ने कहा कि हम 26 साल से बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे और हमें लगा कि 27 में साल हमें सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिल जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लेकिन उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद ऐसा लगता है कि हमें अभी आगे भी इसी तरीके से प्रदर्शन करना होगा तभी जाकर हमें न्याय मिलेगा.

बाबरी विध्वंस पर विभिन्न संगठन का विरोध-प्रदर्शन...
वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के नेता सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि यह बड़े अफसोस की बात है कि 27 साल बाद भी बाबरी मस्जिद को गिराने वालों को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में यह कहा है कि बाबरी मस्जिद अयोध्या में मौजूद थी और उसे ढहाया गया था.

इसे भी पढे़ं- अयोध्या : हिंदू पक्ष भी दायर करेगा पुनर्विचार याचिका

उन्होंने आगे कहा कि सबरीमाला केस में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राकेश 7 जजों की बेंच के पास भेज दिया है इसी तरह हम यह चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले में भी पुनर्विचार याचिका को स्वीकार करें और दोबारा फैसला सुनाए.

बता दें कि लखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदालत में चल रहे अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढांचा गिराए जाने के आपराधिक मामले में फैसला अप्रैल 2020 तक आने की संभावना है. 5 अक्टूबर को सत्र अदालत ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक सभी गवाहों को 24 दिसंबर 2019 तक प्रस्तुत करना होगा और इस मामले में यह आखिरी तारीख होगी.

Intro:नई दिल्ली। बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 27 वीं सालगिरह पर आज दिल्ली के मंडी हाउस से लेकर जंतर-मंतर तक प्रदर्शन किया गया। इस दौरान यह मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट बाबरी- राम जन्मभूमि विवादित स्थल पर पुनर्विचार याचिका पर दोबारा सुनवाई करे और बाबरी मस्जिद विध्वंस के जिम्मेदारों को जल्द सजा मिले।

जनसभा को संबोधित करते हुए इस दौरान लोक राज संगठन के अध्यक्ष एस. राघवन ने कहा कि अयोध्या में निर्मित बाबरी मस्जिद सिर्फ मस्जिद ही नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय धरोहर थी और इसके विध्वंस के पीछे सिर्फ भाजपा नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी भी शामिल थी क्योंकि केंद्र में उस समय कांग्रेस की सरकार थी।

इस राघवन ने कहा कि दोनों पार्टियों ने लोगों को उकसाने का काम किया और बाबरी मस्जिद को तोड़ने में सिर्फ कारसेवकों का ही नहीं बल्कि इन दोनों पार्टियों का भी हाथ है।


Body:एसडीपीआई के नेता तस्लीम रहमानी ने कहा कि हम 26 साल से बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे और हमें लगा कि 27 में साल हमें सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिल जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लेकिन उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद ऐसा लगता है कि हमें अभी आगे भी इसी तरीके से प्रदर्शन करना होगा तभी जाकर हमें न्याय मिलेगा।

तस्लीम रहमानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वहां पर मंदिर के निर्माण के लिए फैसला सुनाया है उसी ने यह भी कहा है कि अयोध्या में मंदिर तोड़ी गई थी। उन्होंने आगे कहा कि इस दुनिया में काबा भी है जहां पर मूर्तियों की पूजा होती रही लेकिन एक दिन ऐसा आया जब उस जगह को पाक किया गया और हरम में मस्जिद बनी। उन्होंने कहा इसी तरह यदि हम 1 हजार साल वहां इंतजार कर सकते हैं तो 10 हज़ार साल यहां भी इंतजार कर सकते हैं।


Conclusion:वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के नेता सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि यह बड़े अफसोस की बात है कि 27 साल बाद भी बाबरी मस्जिद को गिराने वालों को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में यह कहा है कि बाबरी मस्जिद अयोध्या में मौजूद थी और उसे ढहाया गया था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि सीबीआई बाबरी मस्जिद गिराने वाले लोगों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी करें जिसमें उस वक्त के डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी का नाम भी आता है। यदि दोषियों को सजा नहीं मिलती है तो ऐसा हमारे मुल्क की आजादी पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा होगा ।

उन्होंने आगे कहा कि सबरीमाला केस में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राकेश 7 जजों की बेंच के पास भेज दिया है इसी तरह हम यह चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले में भी पुनर्विचार याचिका को स्वीकार करें और दोबारा फैसला सुनाए।

बता दें कि लखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदालत में चल रहे अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढांचा गिराए जाने के आपराधिक मामले में फैसला अप्रैल 2020 तक आने की संभावना है। 5 अक्टूबर को सत्र अदालत ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक सभी गवाहों को 24 दिसंबर 2019 तक प्रस्तुत करना होगा और इस मामले में यह आखिरी तारीख होगी।
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