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जनरल मनोज मुकुंद नरवाने ने भारत के 28वें सेना प्रमुख का कार्यभार संभाला

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Published : Dec 31, 2019, 7:53 AM IST

Updated : Dec 31, 2019, 5:18 PM IST

लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने देश के नए सेनाध्यक्ष बन गए हैं. उन्होंने जनरल बिपिन रावत की जगह ली है.बता दे कि पूर्व सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत सेवानृवित्त हो गए हैं और उन्हे भारत का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ घोषित किया गया है. लेफ्टिनेंट जनरल नरवाने इससे पूर्व उप-सेनाप्रमुख की जिम्मेदारी निभा रहे थेय

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​​​​​​​लेफ्टिनेंट जनरल मुकुंद नरावने

नई दिल्ली : जनरल मनोज मुकुंद नरवाने ने मंगलवार को 28वें थल सेना प्रमुख का कार्यभार संभाला. वह 13 लाख सैनिकों वाले बल का नेतृत्व करेंगे. उन्होंने यह कार्यभार ऐसे समय में संभाला है जब भारत सीमा पार से आतंकवाद और सीमा पर चीन की ओर से मिल रही सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है.

उप सेना प्रमुख पद पर रहे जनरल नरवाने ने जनरल बिपिन रावत का स्थान लिया. जनरल रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किया गया है.

लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने देश के नए सेनाध्यक्ष बन गए हैं

ऐसी संभावना है कि सेना प्रमुख के तौर पर जनरल नरवाने की प्राथमिकताएं सेना में लंबे समय से अटके सुधारों को लागू करना, कश्मीर में सीमा पार से जारी आतंकवाद पर लगाम लगाना और उत्तरी सीमा पर सेना की संचालनात्मक क्षमताओं को बढ़ाना है जहां तिब्बत में चीन अपना सैन्य ढांचा बढ़ा रहा है.

उप सेना प्रमुख नियुक्त होने से पहले जनरल नरवाने सेना की पूर्वी कमान का नेतृत्व कर रहे थे जो चीन के साथ लगती भारत की लगभग 4,000 किलोमीटर लंबी सीमा की रक्षा करती है.

जनरल नरवाने के कार्यभार संभालने के साथ ही नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और भारतीय वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया समेत सभी तीनों सेनाओं के प्रमुख राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 56वें कोर्स से हो गए हैं.

अपनी 37 वर्षों की सेवा में जनरल नरवाने जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर में शांति और उग्रवाद विरोधी अभियानों तथा कई कमानों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

वह जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन तथा पूर्वी मोर्चे पर इंफेंट्री ब्रिगेड में भी सेवा दे चुके हैं. इसके अलावा वह श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षा बल का हिस्सा रह चुके हैं और उन्होंने तीन साल तक म्यामां में भारतीय दूतावास में भारत के रक्षा अताशे के रूप में भी सेवा दी.

उनकी नियुक्ति जून 1980 में सिख लाइट इंफेंट्री रेजीमेंट की सातवीं बटालियन में हुई थी.

जनरल एक ऐसा अधिकारी होता है जिसे ‘सेना पदक’ से सम्मानित किया गया होता है.

उन्हें नगालैंड में असम राइफल्स (उत्तर) के महानिरीक्षक के तौर पर उनकी सेवाओं के लिए ‘विशिष्ट सेवा पदक’ और प्रतिष्ठित स्ट्राइक कोर का नेतृत्व करने के लिए ‘अति विशिष्ट सेवा पदक’ भी मिल चुका है.

निवर्तमान सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने उनके कार्यकाल के अंतिम तीन वर्ष में उनको पूरा सहयोग देने के लिए सेना के सभी कर्मियों और उनके परिवारों का मंगलवार को आभार व्यक्त किया.

विदाई सलामी गारद के बाद जनरल रावत ने उम्मीद जताई कि नये सैन्य प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने के नेतृत्व में सेना नयी ऊंचाइयों को छुएगी.

पढ़ें- जनरल बिपिन रावत देश के पहले CDS नियुक्त

उनसे जब यह पूछा गया कि क्या सेना देश के सामने खड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए अब ज्यादा अच्छे से तैयार है, उन्होंने कहा, 'हां हम ज्यादा बेहतर तरीके से तैयार हैं.'

उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'मैं सभी सैनिकों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूं जो हमारे सशस्त्र बलों की परंपराओं के अनुरूप, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अटल रहते हैं और अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हैं.'

नई दिल्ली : जनरल मनोज मुकुंद नरवाने ने मंगलवार को 28वें थल सेना प्रमुख का कार्यभार संभाला. वह 13 लाख सैनिकों वाले बल का नेतृत्व करेंगे. उन्होंने यह कार्यभार ऐसे समय में संभाला है जब भारत सीमा पार से आतंकवाद और सीमा पर चीन की ओर से मिल रही सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है.

उप सेना प्रमुख पद पर रहे जनरल नरवाने ने जनरल बिपिन रावत का स्थान लिया. जनरल रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किया गया है.

लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने देश के नए सेनाध्यक्ष बन गए हैं

ऐसी संभावना है कि सेना प्रमुख के तौर पर जनरल नरवाने की प्राथमिकताएं सेना में लंबे समय से अटके सुधारों को लागू करना, कश्मीर में सीमा पार से जारी आतंकवाद पर लगाम लगाना और उत्तरी सीमा पर सेना की संचालनात्मक क्षमताओं को बढ़ाना है जहां तिब्बत में चीन अपना सैन्य ढांचा बढ़ा रहा है.

उप सेना प्रमुख नियुक्त होने से पहले जनरल नरवाने सेना की पूर्वी कमान का नेतृत्व कर रहे थे जो चीन के साथ लगती भारत की लगभग 4,000 किलोमीटर लंबी सीमा की रक्षा करती है.

जनरल नरवाने के कार्यभार संभालने के साथ ही नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और भारतीय वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया समेत सभी तीनों सेनाओं के प्रमुख राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 56वें कोर्स से हो गए हैं.

अपनी 37 वर्षों की सेवा में जनरल नरवाने जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर में शांति और उग्रवाद विरोधी अभियानों तथा कई कमानों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

वह जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन तथा पूर्वी मोर्चे पर इंफेंट्री ब्रिगेड में भी सेवा दे चुके हैं. इसके अलावा वह श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षा बल का हिस्सा रह चुके हैं और उन्होंने तीन साल तक म्यामां में भारतीय दूतावास में भारत के रक्षा अताशे के रूप में भी सेवा दी.

उनकी नियुक्ति जून 1980 में सिख लाइट इंफेंट्री रेजीमेंट की सातवीं बटालियन में हुई थी.

जनरल एक ऐसा अधिकारी होता है जिसे ‘सेना पदक’ से सम्मानित किया गया होता है.

उन्हें नगालैंड में असम राइफल्स (उत्तर) के महानिरीक्षक के तौर पर उनकी सेवाओं के लिए ‘विशिष्ट सेवा पदक’ और प्रतिष्ठित स्ट्राइक कोर का नेतृत्व करने के लिए ‘अति विशिष्ट सेवा पदक’ भी मिल चुका है.

निवर्तमान सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने उनके कार्यकाल के अंतिम तीन वर्ष में उनको पूरा सहयोग देने के लिए सेना के सभी कर्मियों और उनके परिवारों का मंगलवार को आभार व्यक्त किया.

विदाई सलामी गारद के बाद जनरल रावत ने उम्मीद जताई कि नये सैन्य प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने के नेतृत्व में सेना नयी ऊंचाइयों को छुएगी.

पढ़ें- जनरल बिपिन रावत देश के पहले CDS नियुक्त

उनसे जब यह पूछा गया कि क्या सेना देश के सामने खड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए अब ज्यादा अच्छे से तैयार है, उन्होंने कहा, 'हां हम ज्यादा बेहतर तरीके से तैयार हैं.'

उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'मैं सभी सैनिकों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूं जो हमारे सशस्त्र बलों की परंपराओं के अनुरूप, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अटल रहते हैं और अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हैं.'

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 22:32 HRS IST




             
  • मुकुंद नरावने मंगलवार को सेना प्रमुख का कार्यभार संभालेंगे



नयी दिल्ली, 30 दिसंबर (भाषा) लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरावने मंगलवार को जनरल बिपिन रावत से मंगलवार को सेना प्रमुख का कार्यभार ग्रहण करेंगे।







जनरल रावत को भारत का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया है। तीन साल के कार्यकाल के बाद वह मंगलवार को सेवानिवृत्त हो रहे थे।







लेफ्टिनेंट जनरल नरावने फिलहाल उप-सेनाप्रमुख की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।







सितंबर में उप सेना प्रमुख के तौर पर कार्यभार संभालने से पहले नरावने सेना की पूर्वी कमान का नेतृत्व कर रहे थे जो चीन से लगने वाली करीब 4000 किलोमीटर लंबी भारतीय सीमा पर नजर रखती है।







अपने 37 साल के कार्यकाल के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल नरावने विभिन्न कमानों में शांति, क्षेत्र और उग्रवाद रोधी बेहद सक्रिय माहौल में जम्मू कश्मीर व पूर्वोत्तर में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।







वह जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स की बटालियन और पूर्वी मोर्चे पर इंफेंट्री ब्रिगेड की कमान संभाल चुके हैं।







वह श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षक बल का हिस्सा थे और तीन वर्षों तक म्यामां स्थित भारतीय दूतावास में रक्षा अताशे रहे।







लेफ्टिनेंट जनरल नरावने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी के छात्र रहे हैं।







वह जून 1980 में सिख लाइट इन्फैंटरी रेजिमेंट के सातवें बटालियन में कमीशन प्राप्त हुए।







उन्हें ‘सेना मेडल’, ‘विशिष्ट सेवा मेडल’ और ‘अतिविशिष्ट सेवा मेडल’ प्राप्त है।


Conclusion:
Last Updated : Dec 31, 2019, 5:18 PM IST
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