भुवनेश्वर : ओडिशा के चिल्का झील में इस बार 11.42 लाख से अधिक पक्षियों का आगमन हुआ है. इसमें पक्षियों की 190 प्रजातियां हैं. अधिकारियों का कहना है कि मंगलवार को पक्षियों की गणना से पता चला कि इस साल 11.42 लाख से ज्यादा परिंदे आए हैं, जबकि पिछले साल 11.04 लाख पक्षियों का आगमन हुआ था.
चिल्का विकास प्राधिकरण (सीडीए) के मुख्य कार्याधिकारी सुशांत नंदा ने बताया कि 2018-19 में 160 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने से आने वाले पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.
उन्होंने कहा कि पक्षियों की संख्या से आर्द्र भूमि के पारिस्थितिक तंत्र की स्थिति का पता चलता है. नंदा ने कहा कि आर्द्र भूमि का पारिस्थितिक तंत्र बहुत संवेदनशील होता है और बहुत कम समय में यहां सामान्य स्थिति बहाल हो गई. चिल्का प्रवासी पक्षियों के लिए सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है.
नंदा ने कहा कि पिछले साल 184 प्रजाति के पक्षियों का आगमन हुआ था, जबकि इस बार 190 प्रजाति के परिंदों का आगमन हुआ है. चिल्का झील में इस बार सबसे ज्यादा पक्षी आए हैं.
चिल्का झील एशिया में खारे पानी की सबसे बड़ी झील है. इस बार आए 190 प्रजाति के पक्षियों में 111 अलग-अलग देशों से आए प्रवासी परिंदे हैं, जबकि 79 भारतीय प्रजाति के पक्षी हैं.
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चिल्का वन्यजीव खंड के डिविजनल वन अधिकारी केदार कुमार स्वैन ने बताया कि नालाबना पक्षी अभयारण्य में 18,000 प्रवासी पक्षियों का इजाफा हुआ. प्रवासी पक्षियों में बत्तखों की दो नई प्रजातियां फाल्केटेड टील और मलार्ड भी शामिल हैं. इन्हें मंगलाजोड़ी सेक्टर में पक्षियों की गणना के दौरान देखा गया.
चिल्का वन्यजीव डिवीजन के तहत आने वाले तांगी, बालुगांव, रंभा, सातपाड़ा और चिल्का में पक्षियों की वार्षिक गणना होती है. उन्होंने बताया कि प्रवासी पक्षियों में अधिकतर रूस, मंगोलिया, साइबेरिया, मध्य एवं दक्षिण पूर्व एशिया, कैस्पियन सागर, लद्दाख और हिमालयी क्षेत्रों से होते हैं, जो हर साल चिल्का आते हैं.