नई दिल्ली : मोदी सरकार ने अपने सभी 56 मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर लिया है. शनिवार को 10 घंटे चली मैराथन बैठक में सभी 27 कैबिनेट मंत्री समेत 56 मंत्रियों के कामकाज को कसौटी पर कसा गया. मंत्रियों के कामकाज के मूल्यांकन के उद्देश्य से विभागों को आठ क्लस्टर में विभाजित किया गया था.
कुछेक मंत्रियों को छोड़कर लगभग सभी विभागों के सेक्रेटरी ने अपने-अपने विभागों की जानकारी दी. सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्री, परिवहन मंत्री और रेल मंत्री को छोड़कर लगभग सभी विभागों की तरफ से अधिकारियों ने इस विवेचना में भाग लिया.
बैठक में शामिल एक मंत्री ने कहा कि पीएम ने सभी क्लस्टर की मीटिंग में हस्तक्षेप किया. जिन लोगों के विभाग से पीएम मोदी खुश नहीं दिखे, उनमें से कई वरिष्ठ मंत्री शामिल हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सबसे ज्यादा जवाब तलब किया गया. जाहिर है कि वित्त मंत्री फिलहाल सबसे ज्यादा निशाने पर हैं. वित्तीय हालात, मंदी, कॉरपोरेट जगत की सरकार की नीतियों के प्रति उदासीनता की वजह से वित्त मंत्री पहले से सबके निशाने पर हैं.
कृषि, उपभोक्ता मामले, शहरी, ग्रामीण विकास मंत्रालय, पशुपालन और मत्स्य मंत्रालय को एक ही क्लस्टर में रखा गया था. पीएम मोदी ने उपभोक्ता मंत्रालय के कामकाज पर नाखुशी जाहिर की है. गौरलतब है कि हाल ही के दिनों में प्याज की बढ़ी कीमतों की वजह से सरकार की जबरदस्त किरकिरी हुई है.
जाहिर है कि पासवान अगले विस्तार में मंत्रिमंडल से हट जाएंगे. अगले मंत्रिमंडल विस्तार में रामविलास पासवान की जगह लोक जनशक्ति पार्टी से चिराग पासवान जगह लेंगे.
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद ही रामविलास पासवान ने पीएम और अमित शाह से मिलकर अपनी बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देकर अपने पुत्र चिराग को मंत्रिमंडल में लेने की गुजारिश की थी.
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उसी तरह कौशल विकास मंत्री महेंद्र पांडेय के कामकाज से पीएम खुश नहीं हैं. बैठक में इस बात पर नाराजगी जताई गई कि स्किल इंडिया का अभियान सुस्त हो गया है.
वित्त मंत्रालय के बाद सबसे अधिक मानव संसाधन मंत्रालय से सवाल जवाब पूछे गए. माना जा रहा है कि अगले मंत्रिमंडल विस्तार में रमेश पोखरियाल निशंक को कोई दूसरा मंत्रालय दिया जा सकता है. शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी की भी मंत्रिमंडल से छुट्टी हो सकती है.
मंत्रिपरिषद के कामकाज की समीक्षा ऐसे तो छह महीने के बाद हो रही थी, लेकिन पीएम मोदी चाहते थे कि मंत्रिमंडल विस्तार से पहले सभी विभागों के मंत्रियों को अपनी बात रखने का मौका मिले, ताकि सभी जान पाएं कि किसको क्यों मंत्रिमंडल से ड्रॉप किया गया. एक पारदर्शी प्रकिया के तहत मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा की गई.
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गौरतलब है कि 14 जनवरी के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होना है. उसमें जेडीयू के कोटे से दो कैबिनेट मंत्री, एडीएमके से एक मंत्री को शामिल किया जा सकता है. टीआरएस और अन्य छोटी पार्टियों से बीजेपी आलाकमान बात कर रहा है. अकाली दल के कोटे से केंद्र में मंत्री बनी हरसिमरत कौर की जगह सुखबीर सिंह बादल को केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिल सकती है.
बता दें कि इस समय मोदी सरकार में कुल 57 मंत्री हैं. नियम के मुताबिक 81 मंत्री तक हो सकते हैं. मोदी सरकार 'मिनिमम गवर्मेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस' की नीति पर काम करती है, लेकिन पिछली सरकार में 70 मंत्री थे. ऐसी सभांवना है कि कम से कम एक दर्जन मंत्री और बनाए जा सकते हैं. साथ ही पांच से ज्यादा मंत्रियों के पास तीन से ज्यादा मंत्रालय हैं. उनका भी भार कम किया जा सकता है.