मुंबई : महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने पाकिस्तानी और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ रविवार को मायानगरी में एक विशाल रैली निकाली. इस रैली में ठाकरे ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी.
राज ठाकरे ने सीएए के खिलाफ आंदोलन करने वालों को यह कहते हुए चेतावनी दी कि पत्थर का जवाब पत्थर से और तलवारों का तलवारों से दिया जाएगा.
ठाकरे ने कहा, 'जो लोग देशभर में रैलियां कर रहे हैं (सीएए/एनआरसी के खिलाफ), मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि आज उन्होंने रैलियों को रैली के साथ जवाब देते हुए देखा है. इसी तरह, पत्थरबाजों का जवाब पत्थर से, तलवारों का तलवारों से दिया जाएगा.'
उन्होंने मुसलमानों के विरोधी सीएए विरोध प्रदर्शनों पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनके आंदोलन को समझना मुश्किल है क्योंकि नया कानून उनके लिए नहीं है.
सीएए के लिए केंद्र की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, 'मुझे समझ में नहीं आता कि मुस्लिम नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध क्यों कर रहे हैं. सीएए उन मुसलमानों के लिए नहीं है, जो यहां पैदा हुए थे.'
ठाकरे ने कहा, 'जब उन्होंने अनुच्छेद 370 को खत्म करने, राम मंदिर के निर्माण, दूसरों के बीच सीएए लागू करने जैसी अच्छी चीजें कीं, तो मैंने सरकार की प्रशंसा की.'
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ऐतिहासिक आजाद मैदान में हुई रैली
मनसे के शीर्ष नेताओं के साथ ठाकरे ने गिरगांव चौपाटी से मार्च का नेतृत्व किया. यह जगह ऐतिहासिक आजाद मैदान से मात्र चार किलोमीटर की दूरी पर है, जहां उत्साही भीड़ ठाकरे का इंतजार कर रही थी.
इसके पहले ठाकरे अपनी पत्नी शर्मिला, बेटे अतिम ठाकरे के साथ शिवाजी पार्क स्थित घर से निकले और सभी ने पहले प्रभादेवी स्थित 220 साल पुराने सिद्धि विनायक मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन कर उनकी आरती की. इसके बाद गिरगांव चौपाटी की ओर बढ़ने से पहले राज ठाकरे अपने चाचा व शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के स्मारक गये और बालासाहेब को नमन किया.
मार्च में शामिल होने के लिए पूरे महाराष्ट्र से मनसे कार्यकर्ता सार्वजनिक परिवहन, बसों, निजी वाहन, यहां तक कि बाइक से ही शनिवार रात यहां पहुंचने लगे थे.
गिरगांव चौपाटी से लेकर आजाद मैदान तक पूरे मार्ग पर मनसे पार्टी का भगवा झंडा, जिस पर छत्रपति शिवाजी महाराज का शाही मुहर बना हुआ है, लहराता नजर आया.
वहीं कुछ लोगों ने अपने बाजू पर पार्टी के चिह्न वाले बैंड पहन रखे थे, जबकि कुछ ने एक जैसी टी-शर्ट और टोपियां धारण रखी थीं.
शांतिपूर्वक मार्च करते हुए लोगों ने गैर-कानूनी रूप से रह रहे घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने के लिए नारा लगाया, क्योंकि उनकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था, संसाधन और नौकरियां बंट रही हैं, साथ ही देश की सुरक्षा को भी खतरा है.
हालांकि राज ठाकरे ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह मार्च सीएए-एनआरसी-एनपीआर के समर्थन में नहीं है. गत 23 जनवरी को पार्टी का नया अवतार लेने के बाद मनसे का यह पहला सार्वजनिक शक्ति प्रदर्शन था.
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एक लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया
वहीं कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री के बांद्रा स्थित आवास मातोश्री के बाहर पाकिस्तानी और बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकालने वाले कुछ पोस्टर लगे देखे गए थे.
रैली के दौरान किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मुंबई पुलिस ने भी 600 पुलिसकर्मियों को तैनात कर रखा था. वहीं विशेष बल और कई अन्य इकाईयों को भी तैयार रखा गया था. साथ ही सादे कपड़ों में भी पुलिस भीड़ के बीच मौजूद रही.
दरअसल राज ठाकरे के इस मेगा मार्च में एक लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया. इस रैली के माध्यम से मनसे ने देश में रह रहे पाकिस्तानी और बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकालने की मांग उठाई.
मुंबई पुलिस के प्रवक्ता और डीसीपी प्रणय अशोक ने मीडिया को सूचित किया कि 'मुंबई पुलिस के अलावा स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स, रियोट कंट्रोल पुलिस, क्विक रिस्पॉन्स टीम, बम्बई डिटेक्शन एंड डिस्पोजल स्क्वॉड, डॉग स्क्वॉड के साथ ही पूरे मोर्चा पर ड्रोन और सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से निगरानी रखी जा रही थी.'