बुधवार को आयुष मंत्रालय की नई पहलों के बारे में बात करते हुए आयुष राज्य मंत्री श्रीपद यशो नाइक ने कहा कि 'निवारक स्वास्थ्य देखभाल और स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम की जिम्मेदारी मंत्रालय का प्रथम कार्य होगा. उन्होंने कहा कि विशेष रूप से कमजोर वर्ग के लिए सबसे अच्छी स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं का वितरण सरकार की प्राथमिकता है.'
नीति अयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि 'इस वक्त हमारे उपर अहम जिम्मेदारियां है और हमें साबित करना होगा कि हम उम्मीदों पर खरे उतर सकते हैं.'
आयुष की आवश्यकता के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि केवल योग्य लोगों को अभ्यास करने की अनुमति दी जानी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि भ्रमित करने वाले विज्ञापनों से छुटकारा पाने की भी जरूरत है. यदि आयुर्वेद उपचार विफल हो जाता है, तो इसके पीछे आयुर्वेद जिम्मेदार नहीं है बल्कि वह अभ्यासकर्ता है.
नीति अयोग के सदस्य वीके कौल ने कहा कि स्कूलों में 10% छात्र मोटापे से पीड़ित हैं और शहरों में यह 20% है. उन्होंने कहा कि मनोवैज्ञानिक मुद्दे, पूर्व मधुमेह, आत्महत्या की प्रवृत्ति भी युवा आबादी की प्रमुख समस्याएं हैं.
आयुष में छात्रों की अधिक रुचि पर जोर देने की आवश्यकता पर उन्होंने कहा कि भारत के भविष्य को सेहतमंद रखना जरुरी, जिसके लिए यह सुनिश्चित होना चाहिए कि 37 वर्ष की आयु तक किसी भी युवा को दिल का दौरा न पड़े. उन्होंने स्कूलों को आयुष किट देने पर भी जोर दिया.
संसाधनों की आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए, कौल ने कहा कि आयुष में संसाधनों की कमी है और राज्य सरकारों को फण्ड और सभी पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए.
गौरतलब है कि आयुष के तहत विभिन्न योजनाओं पर चर्चा करने के लिए सम्मेलन का चौथा संस्करण था. सम्मेलन के मुख्य अतिथि नीति अयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार थे. इसके अलावा यह सम्मेलन श्रीपाद यशो नाइक की अध्यक्षता में हुआ.