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ब्रू शरणार्थियों के स्थायी समाधान के लिए केंद्र समझौते को तैयार

भारत के पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम में मिजो जनजाति ने ब्रू (रियांग) जनजाति का घर जलाकर मिजोरम से भगा दिया था. ये लोग पिछले 22 सालों से पड़ोस के राज्य त्रिपुरा में बने शरणार्थी शिविरों में रहे हैं. हालांकि इस समस्या का समाधान होता अब दिख रहा है. त्रिपुरा में रहने वाले रियांग (ब्रू) शरणार्थियों के स्थायी समाधान के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय त्रिपुरा और मिजोरम सरकारों के साथ समझौते के लिए तैयार है. जानें विस्तार से...

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रचनात्मक चित्र
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Published : Jan 16, 2020, 1:59 PM IST

Updated : Jan 16, 2020, 6:22 PM IST

नई दिल्ली : त्रिपुरा में रहने वाले रियांग (ब्रू) शरणार्थियों के स्थायी समाधान के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय त्रिपुरा और मिजोरम सरकारों के साथ समझौते के लिए तैयार है. इस समझौते पर हस्ताक्षर होने के साथ ही 22 वर्ष पुरानी समस्या निपट जाएगी.

दरअसल महिलाओं और बच्चों सहित 35,000 से अधिक रियांग आदिवासी शरणार्थियों के तौर पर अक्टूबर 1997 से उत्तरी त्रिपुरा में सात राहत शिविरों में शरण लिए हैं. वे मिजोरम के अपने गांवों से सांप्रदायिक तनाव के कारण भाग गए थे.

ब्रू शरणार्थियों की समस्या पर गृह मंत्रालय

मिजोरम ब्रू विस्थापित पीपुल्स फोरम (MBDPF) की जनरल सेक्रेटरी ब्रूनो मिशा ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि हमारी समस्या हल हो जाएगा.'

गृह मंत्रालय के सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि समझौते पर हस्ताक्षर होने से पहले गृह मंत्री अमित शाह की सभी ब्रू नेताओं से मिलने की संभावना है.

इसे भी पढ़ें- घरों को भेजे गये ब्रू शरणार्थियों की संख्या लेकर त्रिपुरा और मिजोरम सरकार के आंकड़ों में अंतर

चूंकि ब्रू समुदाय त्रिपुरा में वर्षों से शरणार्थियों की तरह रह रहा है, इस कारण दोनों राज्यों के बीच तनातनी चल रही है.

रियांग शरणार्थी मिजोरम में वापस जाने के इच्छुक हैं, लेकिन इस शर्त के साथ कि मिजोरम सरकार द्वारा उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जाए.

इस समझौते पर गुरुवार शाम को गृह मंत्रालय में हस्ताक्षर होने की संभावना है.

ज्ञातव्य हो कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम में धर्म परिवर्तन कर ईसाई बन चुके मिजो जनजाति ने ब्रू (रियांग) जनजाति के लोगों के, जो अभी हिंदू है, घर जलाकर उन्हें मिजोरम से भगा दिया था. साथ ही उनकी सामूहिक रूप से हत्याएं भी की गईं. इस कारण ये लोग पिछले 22 साल से पड़ोस के राज्य त्रिपुरा में बने शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं. ये लोग मिजोरम से भागकर पड़ोसी राज्य त्रिपुरा के कंचनपुर व पानी सागर जिलों में आ गए थे, यहां पर सरकार ने इनके लिए शरणार्थी शिविर लगाया.

नई दिल्ली : त्रिपुरा में रहने वाले रियांग (ब्रू) शरणार्थियों के स्थायी समाधान के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय त्रिपुरा और मिजोरम सरकारों के साथ समझौते के लिए तैयार है. इस समझौते पर हस्ताक्षर होने के साथ ही 22 वर्ष पुरानी समस्या निपट जाएगी.

दरअसल महिलाओं और बच्चों सहित 35,000 से अधिक रियांग आदिवासी शरणार्थियों के तौर पर अक्टूबर 1997 से उत्तरी त्रिपुरा में सात राहत शिविरों में शरण लिए हैं. वे मिजोरम के अपने गांवों से सांप्रदायिक तनाव के कारण भाग गए थे.

ब्रू शरणार्थियों की समस्या पर गृह मंत्रालय

मिजोरम ब्रू विस्थापित पीपुल्स फोरम (MBDPF) की जनरल सेक्रेटरी ब्रूनो मिशा ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि हमारी समस्या हल हो जाएगा.'

गृह मंत्रालय के सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि समझौते पर हस्ताक्षर होने से पहले गृह मंत्री अमित शाह की सभी ब्रू नेताओं से मिलने की संभावना है.

इसे भी पढ़ें- घरों को भेजे गये ब्रू शरणार्थियों की संख्या लेकर त्रिपुरा और मिजोरम सरकार के आंकड़ों में अंतर

चूंकि ब्रू समुदाय त्रिपुरा में वर्षों से शरणार्थियों की तरह रह रहा है, इस कारण दोनों राज्यों के बीच तनातनी चल रही है.

रियांग शरणार्थी मिजोरम में वापस जाने के इच्छुक हैं, लेकिन इस शर्त के साथ कि मिजोरम सरकार द्वारा उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जाए.

इस समझौते पर गुरुवार शाम को गृह मंत्रालय में हस्ताक्षर होने की संभावना है.

ज्ञातव्य हो कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम में धर्म परिवर्तन कर ईसाई बन चुके मिजो जनजाति ने ब्रू (रियांग) जनजाति के लोगों के, जो अभी हिंदू है, घर जलाकर उन्हें मिजोरम से भगा दिया था. साथ ही उनकी सामूहिक रूप से हत्याएं भी की गईं. इस कारण ये लोग पिछले 22 साल से पड़ोस के राज्य त्रिपुरा में बने शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं. ये लोग मिजोरम से भागकर पड़ोसी राज्य त्रिपुरा के कंचनपुर व पानी सागर जिलों में आ गए थे, यहां पर सरकार ने इनके लिए शरणार्थी शिविर लगाया.

Intro:New Delhi: The Union Home Ministry is all set to sign an accord with Government of Tripura and Mizoram for a permanent solution of the Reang (Bru) refugees living in Tripura.


Body:With the signing of this accord, 22-years-old imbroglio is likely to be resolved when over 35,000 Reang tribal refugees including women and children, have taken shelter in seven relief camps in northern Tripura since October 1997. They fled from their villages in Mizoram in the wake of communal tensions.

"We are hopeful that our issues will be resolved," said general secretary of Mizoram Bru Displaced Peoples' Forum (MBDPF) Bruno Msha.

Sources in the Home Ministry told ETV Bharat that Home Minister Amit Shah is likely to meet all the Bru leaders before the agreement is being signed.

Ever since, the people from Rean community have been living in Tripura, tussle was going on between both the states over the refugees.


Conclusion:The Reang refugees are willing to go back to Mizroam 'but on the condition that there basic needs are fulfilled by the Mizoram Government'.

The agreement is likely to be signed on Thursday evening at the Home Ministry.

end.
Last Updated : Jan 16, 2020, 6:22 PM IST
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