नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के पूर्वोत्तर इलाकों में पिछले माह भड़के सांप्रदायिक दंगे में 50 से ज्यादा लोग मारे गए थे. इस बाबत केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को संसद के पटल पर अपनी रिपोर्ट रखी, जिसमें न सिर्फ आंकड़ों की औपचारिकता पूरी की गई है वरन दिल्ली पुलिस को पूरी तरह क्लीन चिट देने की कोशिश भी की गई है. तमाम सवालों के जवाब में गृह मंत्रालय ने आंकड़े प्रस्तुत कर संसद में गोलमोल जवाब दिया.
दिल्ली हिंसा पर विपक्षी पार्टियों और मानवाधिकार संगठनों ने सरकार पर जमकर हमला बोला था. विपक्षी दलों ने संसद के दोनों सदनों में सरकार के सामने कई सवाल खड़े किए थे. लेकिन गृह मंत्रालय की तरफ से संसद पटल पर रखी गई रिपोर्ट में हिंसा के असल कारणों की जगह आकड़ों पर अधिक जोर दिया गया है. इस रिपोर्ट में साफ दिख रहा है कि विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों वालों से सरकार बचने की कोशिश कर रही है.
गृह मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है दिल्ली की हिंसा में कुल 52 लोगों की मौत हुई है. 226 घर जलाए गए. हिंसा के दौरान 545 लोग घायल हुए और 487 दुकानों में तोड़फोड़ की गई. दूसरी तरफ हिंसा के मामलों में 763 केस दर्ज किए गए जबकि 51 मामले आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज किए गए. वहीं अब तक 3304 लोग गिरफ्तार किए गए हैं.
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दिल्ली हिंसा में पुलिस की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल पर गृह मंत्रालय ने दलील दी की अधिक जनसंख्या वाले इलाकों में पुलिस को पहुंचने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा और कई इलाकों में पुलिस इस वजह से ही देर से पहुंची. मंत्रालय ने हिंसा के दौरान 100 से अधिक पुलिस वालों के घायल होने की भी बात कही है.
सदन में ये सवाल भी पूछे गये कि क्या सरकार ने उन लोगों के खिलाफ कोई एक्शन लेने की योजना बनाई है, जिन्होंने इस दौरान हिंसा भड़काने में भड़काऊ भाषण दिए और क्या हिंसा को बढ़ावा देने में हेट स्पीच ने भी भूमिका निभाई. इन सवालों के जवाब में भी मंत्रालय ने मात्र आंकड़े ही प्रस्तुत किए.