नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को लोकसभा को सूचित किया कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त किये जाने के बाद आतंकवादी हिंसा की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन सीमा पार से घुसपैठ की संख्या में वृद्धि हुई है.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने सदन को बताया कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में अब तक 157 आतंकियों को मारा जा चुका है.
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घुसपैठ के बारे में पूछे गए सवालों के लिखित जवाब में रेड्डी ने कहा, '12 अप्रैल, 2019 से 4 अगस्त, 2019 तक घुसपैठ की 106 घटनाएं हुईं. वहीं 5 अगस्त, 2019 से 27 नवंबर, 2019 तक 115 दिन की अवधि के दौरान ऐसी 88 घटनाएं हुई हैं.'
बीजेपी सांसद राकेश सिंह के एक सवाल के जवाब में, मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने कहा कि 5 अगस्त, 2019 से 31 अक्टूबर, 2019 तक 88 दिन की अवधि के दौरान घुसपैठ के 84 प्रयास हुए हैं, वहीं 9 मई से 4 अगस्त 2019 अगस्त तक घुसपैठ की संख्या 53 थी.
रेड्डी ने बताया कि 5 अगस्त, 2019 से 31 अक्टूबर, 2019 तक 88 दिन की अवधि के दौरान अनुमानित घुसपैठ 32 से बढ़कर 59 हो गई है.
उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से आतंकवाद के इनपुट और पिछले इतिहास के आधार पर, भारतीय सेना की ओर से सभी सावधानियां और एहतियात बरते जा रहे हैं. इसके तहत सेना घेराव तलाशी अभियान चलाती रहती है, जिससे आतंकियों को बाहर निकाला जा सके.
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इस साल अगस्त में, एनडीए सरकार ने जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया और राज्य को दो केंद्रशासित क्षेत्रों यानी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था. ये दोनों ही केंद्रशासित राज्य आधिकारिक रूप से 31 अक्टूबर से अस्तित्व में आए.
किशन रेड्डी ने निचले सदन को यह भी बताया कि जम्मू और कश्मीर की मौजूदा योजना के तहत आतंकवादियों से संबंधित हिंसा में मारे गए नागरिकों के परिजनों को एक लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाता है.