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देश में लगातार बढ़ रहे मानव तस्करी के मामले, MHA ने जताई चिंता

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Published : Jul 13, 2019, 11:36 PM IST

देश में लगातार बढ़ते जा रहे मानव तस्करी के मामलों पर MHA ने चिंता व्यक्त की है. जानें चार ऐसे प्रमुख शहरों के बारे में, जहां ऐसे मामलों का आंकड़ा सबसे ज्यादा दर्ज किया गया है.

कॉन्सेप्ट इमेज.

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने भारत में बढ़ रहे मानव तस्करी के मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है.

आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और पश्चिम बंगाल चार ऐसे राज्य हैं, जहां लगातार तीन सालों में बड़ी संख्या में मानव तस्करी के मामले देखे गये हैं.

amit etvbharat
गृह मंत्री अमित शाह (सौ. IANS)

गृह मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, साल 2014 में आंध्र प्रदेश में केवल चार मामले थे. बाद में यह संख्या 2015 में बढ़कर 190 हो गई और 2016 में यह आंकड़ा 239 तक पहुंच गया.

वैसे ही गुजरात में साल 2014 में केवल 60 मानव तस्करी के मामले पाये गये थे, लेकिन 2015 में यह आंकड़ा बढ़कर 383 हो गया और 2016 में इन मामलों की संख्या 548 हो गई.

पढ़ें: बीजेपी में शामिल होंगे 100 से ज्यादा कांग्रेस-TMC विधायक, मुकुल रॉय ने किया दावा

वहीं, राजस्थान में साल 2014 में मानव तस्करी के 464 मामले सामने आये, जो कि 2015 में बढ़कर 1262 और 2016 में इनका आंकड़ा 1422 दर्ज किया गया.

इसी तरह, पश्चिम बंगाल भी मानव तस्करी के मामलों में पीछे नहीं रहा. यहां साल 2014 में 1768 मानव तस्करी के मामले सामने आये, फिर 2015 में 2099 और 2016 में यह आंकड़ा बढ़कर 3579 हो गया.

इन सभी मामलों को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान की है, ताकि वहां मानव तस्करी विरोधी इकाइयां बनाई जा सकें. रिकॉर्ड के अनुसार इस समय देश के सभी राज्यों के विभिन्न जिलों में 332 मानव तस्करी विरोधी इकाइयों की स्थापना की गई है.

दिलचस्प बात ये है कि, महिला और बाल विकास मंत्रालय, बाल न्याय सेवा (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत बाल संरक्षण सेवा योजना को लागू कर रहा है. इसके लिये राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से भी सहायता ली जा रही है.

एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'इस योजना के तहत, लगभग 75,000 बच्चे जिनमें तस्करी के शिकार बच्चे शामिल हैं, उन्हें 2000 बाल देखभाल संस्थानों द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है.'

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने भारत में बढ़ रहे मानव तस्करी के मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है.

आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और पश्चिम बंगाल चार ऐसे राज्य हैं, जहां लगातार तीन सालों में बड़ी संख्या में मानव तस्करी के मामले देखे गये हैं.

amit etvbharat
गृह मंत्री अमित शाह (सौ. IANS)

गृह मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, साल 2014 में आंध्र प्रदेश में केवल चार मामले थे. बाद में यह संख्या 2015 में बढ़कर 190 हो गई और 2016 में यह आंकड़ा 239 तक पहुंच गया.

वैसे ही गुजरात में साल 2014 में केवल 60 मानव तस्करी के मामले पाये गये थे, लेकिन 2015 में यह आंकड़ा बढ़कर 383 हो गया और 2016 में इन मामलों की संख्या 548 हो गई.

पढ़ें: बीजेपी में शामिल होंगे 100 से ज्यादा कांग्रेस-TMC विधायक, मुकुल रॉय ने किया दावा

वहीं, राजस्थान में साल 2014 में मानव तस्करी के 464 मामले सामने आये, जो कि 2015 में बढ़कर 1262 और 2016 में इनका आंकड़ा 1422 दर्ज किया गया.

इसी तरह, पश्चिम बंगाल भी मानव तस्करी के मामलों में पीछे नहीं रहा. यहां साल 2014 में 1768 मानव तस्करी के मामले सामने आये, फिर 2015 में 2099 और 2016 में यह आंकड़ा बढ़कर 3579 हो गया.

इन सभी मामलों को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान की है, ताकि वहां मानव तस्करी विरोधी इकाइयां बनाई जा सकें. रिकॉर्ड के अनुसार इस समय देश के सभी राज्यों के विभिन्न जिलों में 332 मानव तस्करी विरोधी इकाइयों की स्थापना की गई है.

दिलचस्प बात ये है कि, महिला और बाल विकास मंत्रालय, बाल न्याय सेवा (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत बाल संरक्षण सेवा योजना को लागू कर रहा है. इसके लिये राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से भी सहायता ली जा रही है.

एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'इस योजना के तहत, लगभग 75,000 बच्चे जिनमें तस्करी के शिकार बच्चे शामिल हैं, उन्हें 2000 बाल देखभाल संस्थानों द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है.'

Intro:New Delhi: The Union Ministry of Home Affairs (MHA) has expressed serious concern over the increasing number of human trafficking cases from across India.


Body:Andhra Pradesh, Gujarat, Rajasthan, West Bengal are the four major states witnessing large number of human trafficking cases in three consecutive years.

Statistics available with the Home Ministry said that Andhra Pradesh had only 4 human trafficking cases in 2014, but subsequently the figures went up to 190 in 2015 and 239nin 2016.

Gujarat had only 60 human trafficking cases in 2014, but scaled up in 2015 and 2016 with 383 and 548 respectively.

Similarly, Rajasthan had witnessed 464bsuch cases in 2014, 1262 cases in 2015 and it touched the figure of 1422 in 2916.

West Bengal is also not far behind as far as increasing number human trafficking cases are concerned. The state has witnessed 1768 such cases in 2014, 2099 cases in 2015 and 3579 human trafficking cases in 2016.

All this cases takes place inspire of the fact that Union Home Ministry provide financial assistance to all states for setting up anti human trafficking units. As per records, 332 anti human trafficking units have been setup in various districts of the states.


Conclusion:Interestingly, ministry of women and child development is also implementing the child protection services scheme in partnership with stated and union territories for providing institutional and non institutional care through service delivery structures as mandated under the Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act, 2015.

"Under the scheme, approximately 75,000 children including trafficked children who have been rescued are being supported in approximately 2000 child care institutions," a government official said.

end.
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