नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने भारत में बढ़ रहे मानव तस्करी के मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है.
आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और पश्चिम बंगाल चार ऐसे राज्य हैं, जहां लगातार तीन सालों में बड़ी संख्या में मानव तस्करी के मामले देखे गये हैं.
गृह मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, साल 2014 में आंध्र प्रदेश में केवल चार मामले थे. बाद में यह संख्या 2015 में बढ़कर 190 हो गई और 2016 में यह आंकड़ा 239 तक पहुंच गया.
वैसे ही गुजरात में साल 2014 में केवल 60 मानव तस्करी के मामले पाये गये थे, लेकिन 2015 में यह आंकड़ा बढ़कर 383 हो गया और 2016 में इन मामलों की संख्या 548 हो गई.
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वहीं, राजस्थान में साल 2014 में मानव तस्करी के 464 मामले सामने आये, जो कि 2015 में बढ़कर 1262 और 2016 में इनका आंकड़ा 1422 दर्ज किया गया.
इसी तरह, पश्चिम बंगाल भी मानव तस्करी के मामलों में पीछे नहीं रहा. यहां साल 2014 में 1768 मानव तस्करी के मामले सामने आये, फिर 2015 में 2099 और 2016 में यह आंकड़ा बढ़कर 3579 हो गया.
इन सभी मामलों को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान की है, ताकि वहां मानव तस्करी विरोधी इकाइयां बनाई जा सकें. रिकॉर्ड के अनुसार इस समय देश के सभी राज्यों के विभिन्न जिलों में 332 मानव तस्करी विरोधी इकाइयों की स्थापना की गई है.
दिलचस्प बात ये है कि, महिला और बाल विकास मंत्रालय, बाल न्याय सेवा (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत बाल संरक्षण सेवा योजना को लागू कर रहा है. इसके लिये राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से भी सहायता ली जा रही है.
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'इस योजना के तहत, लगभग 75,000 बच्चे जिनमें तस्करी के शिकार बच्चे शामिल हैं, उन्हें 2000 बाल देखभाल संस्थानों द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है.'