नई दिल्ली : दिग्गज राजनेता जसवंत सिंह को वर्ष 2001 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम ने सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरस्कार से सम्मानित किया था.
राजनीति में आने से पहले भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके जसवंत सिंह अपनी बातें बेबाक अंदाज में रखने के लिए जाने जाते थे.
उन्होंने पुरस्कार ग्रहण करने के बाद साल 2001 में संसद के सेंट्रल हॉल में एक समारोह में यादगार उद्बोधन दिया था. सुनें जसवंत सिंह का भाषण.
उन्होंने पुरस्कार ग्रहण करने के बाद संसद में बैठे वरिष्ठ नेताओं मनमोहन सिंह, एलके आडवाणी और अर्जुन सिंह को धन्यवाद किया और कहा कि उनके गुणों की तुलना में हम कहीं नहीं बैठते हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें इस सभा गृह में कई बार बैठने का मौका मिला है. यहां स्वाधीन भारत के सियासी तारीख की गूंज आती है. यदि हम उस गूंज को फिर से सुनना शुरू कर दें, तब हम इस बड़े हॉल की उपयोगिता समझ पाएंगे. उन्होंने अंत में कहा कि मैं बहुत आभारी हूं कि मुझे इस संसद में बैठने का मौका मिला. मैंने इस महान परंपरा में अपना योगदान दिया.
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बता दें कि जसवंत सिंह दिसंबर, 1998 से जून, 2002 तक विदेश मंत्री भी रहे थे. इसके अलावा वह 16 मार्च, 2001 से 14 अक्टूबर, 2001 तक रक्षा मंत्री भी रहे.
भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक यूट्यूब अकाउंट पर 22 जुलाई, 2012 की एक वीडियो में भी जसवंत को देखा जा सकता है. इस वीडियो में उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन भरने के बाद जसवंत सिंह ने कहा था कि कदम-कदम बढ़ाए जा, खुशी के गीत गाए जा. उन्होंने कहा कि इस पद के लिए नामांकन करना सम्मान की बात है. उन्होंने कहा कि देश के शीर्ष पद को लेकर होने वाली बहस अहम है. यह पद सीधे उन मुद्दों से जुड़ा है जो जनता से जुड़े विषय हैं.
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जसवंत सिंह ने कहा था कि वह उम्मीद से भरे हुए रहते हैं, इसलिए वह उम्मीदवार बने हैं. गुजरात से समर्थन के सवाल पर उन्होंने कहा था कि हर स्थान से समर्थन मिलेगा. उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र में हमेशा आंकड़े ही महत्वपूर्ण नहीं होते. उन्होंने कहा था कि एनडीए चाहती है कि आंकड़ों से इतर देश के गणतंत्र के समक्ष खड़े सवालों के जवाब खोजे जाएं.