नई दिल्ली: भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में तुर्की और मलेशिया द्वारा कश्मीर को लेकर की गई टिप्पणी को पक्षपाती करार दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने एक ब्रीफिंग में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन और मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद द्वारा कश्मीर पर दिए गए बयानों की कड़ी निंदा की. कुमार ने कहा कि यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है.
कुमार ने कहा, 'हम तुर्की सरकार से आग्रह करते हैं कि वह इस मुद्दे पर कोई और बयान देने से पहले जमीनी हकीकत को ठीक प्रकार से समझ ले. यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है.'
तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा था जम्मू एवं कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के बावजूद आठ लाख लोग कैद में हैं.
उन्होंने आगे कहा कि जम्मू एवं कश्मीर ने अन्य सभी रियासतों की तरह भारत के साथ विलय का फैसला किया. पाकिस्तान ने हमला किया और राज्य के एक हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया. मलेशिया की सरकार को दोनों देशों के बीच के दोस्ताना संबंधों को ध्यान में रखना चाहिए और ऐसी टिप्पणी करने से बचना चाहिए.
पाक पीएम इमरान खान द्वारा लोगों से LoC की तरफ बढ़ने के आह्वान पर कुमार ने कहा कि उन्होंने यूएनजीए में भी भड़काऊ और गैरजिम्मेदाराना बयान दिया था.
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उन्होंने आगे कहा कि शायद वे यह नहीं जानते कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर कैसे काम किया जाता है. सबसे गंभीर बात यह है कि इमरान ने भारत के खिलाफ जिहाद का खुला आह्वान किया जो कि सामान्य नहीं है.
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बता दें मलेशिया ने 30 सितंबर को यूएनजीए में कश्मीर मुद्दे को उठाया था. मलेशिया ने आरोप लगाया था कि भारत ने जम्मू कश्मीर पर कब्जा कर लिया है. इससे पहले बीते सप्ताह तुर्की और चीन ने भी यूएनजीए में कश्मीर मुद्दे पर भारत को घेरने की कोशिश की थी.