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आरक्षण पर मोहन भागवत की टिप्पणी, मायावती ने कहा आरक्षण-विरोधी मानसिकता त्याग दे संघ

आरएसएस प्रमुख के आरक्षण पर दिए बयान पर कई राजनीतिक दलों ने संघ पर निशाना साधा जिसके बाद आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरूण कुमार ने एक ट्वीट करते हुए कहा है कि संघ आरक्षण का पूरी तरह से समर्थन करता है.

मायावती और मोहन भागवत
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Published : Aug 20, 2019, 6:04 AM IST

Updated : Sep 27, 2019, 2:49 PM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने आरक्षण पर सरसंघचालक मोहन भागवत की टिप्पणी से पैदा हुए विवाद को सोमवार को अनावश्यक बताया. संघ ने कहा कि वह महज इस आवश्यकता पर बल दे रहे थे कि समाज में सद्भावनापूर्वक परस्पर बातचीत के आधार पर सभी प्रश्नों के समाधान ढूंढे जाए.

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरूण कुमार ने एक ट्वीट में कहा, 'जहां तक संघ का आरक्षण के विषय पर मत है, वह कई बार स्पष्ट किया जा चुका है कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक आधार पर पिछड़ों के आरक्षण का (आरएसएस) पूर्ण समर्थन करता है,'

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सूचना आधारित ट्वीट

कुमार ने ट्वीट में कहा कि दिल्ली में एक कार्यक्रम में दिये मोहन भागवत के भाषण के एक भाग पर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है.

गौरतलब है कि भागवत ने रविवार को कहा था कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं, उन लोगों के बीच इस पर सद्भावपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए.

कांग्रेस और बसपा जैसी विपक्षी पार्टियों ने भागवत की इस टिप्पणी को लेकर भाजपा और इसके वैचारिक संगठन आरएसएस पर प्रहार किया है.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि भागवत की टिप्पणी ने आरएसएस-भाजपा का दलित-पिछड़ा विरोधी चेहरा बेनकाब कर दिया है.

पढ़ें- संसद भवन को नया स्वरुप देने पर विचार कर रही है सरकार: पीएम मोदी

वहीं, बसपा प्रमुख मायावाती ने ट्वीट किया, आरएसएस का एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण के सम्बंध में यह कहना कि इस पर खुले दिल से बहस होनी चाहिए, संदेह की घातक स्थिति पैदा करता है जिसकी कोई जरूरत नहीं है.आरक्षण मानवतावादी संवैधानिक व्यवस्था है जिससे छेड़छाड़ अनुचित एवं अन्याय है. संघ अपनी आरक्षण-विरोधी मानसिकता त्याग दे तो बेहतर है.

गौरतलब है कि भागवत ने 2015 में आरक्षण की समीक्षा किये जाने का सुझाव दिया था, जिस पर बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक बड़ा राजनीतिक विवाद छिड़ गया था.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने आरक्षण पर सरसंघचालक मोहन भागवत की टिप्पणी से पैदा हुए विवाद को सोमवार को अनावश्यक बताया. संघ ने कहा कि वह महज इस आवश्यकता पर बल दे रहे थे कि समाज में सद्भावनापूर्वक परस्पर बातचीत के आधार पर सभी प्रश्नों के समाधान ढूंढे जाए.

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरूण कुमार ने एक ट्वीट में कहा, 'जहां तक संघ का आरक्षण के विषय पर मत है, वह कई बार स्पष्ट किया जा चुका है कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक आधार पर पिछड़ों के आरक्षण का (आरएसएस) पूर्ण समर्थन करता है,'

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कुमार ने ट्वीट में कहा कि दिल्ली में एक कार्यक्रम में दिये मोहन भागवत के भाषण के एक भाग पर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है.

गौरतलब है कि भागवत ने रविवार को कहा था कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं, उन लोगों के बीच इस पर सद्भावपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए.

कांग्रेस और बसपा जैसी विपक्षी पार्टियों ने भागवत की इस टिप्पणी को लेकर भाजपा और इसके वैचारिक संगठन आरएसएस पर प्रहार किया है.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि भागवत की टिप्पणी ने आरएसएस-भाजपा का दलित-पिछड़ा विरोधी चेहरा बेनकाब कर दिया है.

पढ़ें- संसद भवन को नया स्वरुप देने पर विचार कर रही है सरकार: पीएम मोदी

वहीं, बसपा प्रमुख मायावाती ने ट्वीट किया, आरएसएस का एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण के सम्बंध में यह कहना कि इस पर खुले दिल से बहस होनी चाहिए, संदेह की घातक स्थिति पैदा करता है जिसकी कोई जरूरत नहीं है.आरक्षण मानवतावादी संवैधानिक व्यवस्था है जिससे छेड़छाड़ अनुचित एवं अन्याय है. संघ अपनी आरक्षण-विरोधी मानसिकता त्याग दे तो बेहतर है.

गौरतलब है कि भागवत ने 2015 में आरक्षण की समीक्षा किये जाने का सुझाव दिया था, जिस पर बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक बड़ा राजनीतिक विवाद छिड़ गया था.

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Last Updated : Sep 27, 2019, 2:49 PM IST
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