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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस : मौलाना आजाद ने की थी नई शिक्षा नीति की स्थापना - मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती

आज मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती है. इसे हर साल 11 नवंबर को नेशनल एजुकेशन डे यानी राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के तौर पर मनाया जाता है. यह देश की उस बड़ी हस्ती को सम्मान है, जिसने न सिर्फ आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और हिंदू-मुस्लिम एकता की नींव रखी, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया. उनकी दूरदर्शी सोच की बदौलत ही आईआईटी जैसी प्रतिष्ठित संस्थान का निर्माण हो सका. उन्होंने नई शिक्षा नीति की स्थापना की थी.

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस
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Published : Nov 11, 2020, 12:26 PM IST

मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती

नई दिल्ली : स्वतंत्रता सेनानी और स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के अवसर पर 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है. मौलाना अबुल कलाम आजाद एक कवि, एक विद्वान, एक पत्रकार और एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किए जाते है, जिनका सबसे बड़ा योगदान अभी भी शिक्षा का उपहार है.

राष्ट्र के विकास में मौलाना अबुल कलाम आजाद ने केंद्रीय सलाहकार बोर्ड ऑफ एजुकेशन के अध्यक्ष के रूप में प्रौढ़ शिक्षा और साक्षरता को प्रोत्साहन दिया. उन्होंने न केवल प्रारंभिक शिक्षा पर जोर दिया, बल्कि माध्यमिक शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के विविधीकरण का भी प्रचार किया.


आईआईटी, यूजीसी और अन्य विश्वविद्यालयों के पीछे मौलाना

मौलाना अबुल कलाम आजाद स्वतंत्रता सेनानी और दूरदर्शी देश में शिक्षा प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के लिए ही जिम्मेदार नहीं थे, बल्कि 1951 में भारत में पहली बार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, IIT की शुरुआत की भी की थी. कलाम ने केंद्रीय संस्थान की स्थापना की थी जो बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय का शिक्षा विभाग बन गया.
1953 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना का श्रेय उनको जाता है. वह भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी संकाय के प्राथमिक प्रचारक और जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापक भी थे.

कौशल जागरूकता और सशक्तिकरण

इस वर्ष समारोह 'कौशल जागरूकता और सशक्तिकरण' का विषय होगा. इससे उम्मीद यह है कि स्कूल अपने छात्रों को कई परियोजनाओं को उजागर करने में सक्रिय भागीदारी करेंगे, जिससे भविष्य में करियर की ओर बढ़ने के लिए आवश्यक कौशल विकसित करने में मदद मिलेगी. सेमिनार, निबंध लेखन प्रतियोगिताओं, अभिजात्य प्रतियोगिताओं और विभिन्न प्रकार की कार्यशालाओं जैसी गतिविधियां पूरे देश में होंगी.भविष्य में करियर को विकसित करने के लिए कौशल अक्सर आवश्यक होते हैं.


मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • उनका पूरा नाम था - मौलाना सैय्यद अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन अहमद बिन खैरुद्दीन अल-हुसैनी आजाद था.
  • उन्होंने औपचारिक स्कूली शिक्षा प्राप्त नहीं की।
  • उन्होंने स्वयं अध्ययन करके अंग्रेजी भाषा, दुनिया का इतिहास और राजनीति सीखी
  • वह उर्दू, फारसी, अरबी और हिंदी जैसी भाषाओं के अच्छे जानकार थे।
  • वह इतिहास, दर्शन और ज्यामिति के भी विद्वान थे.
  • वह अरविंद घोष और श्याम सुंदर चक्रवर्ती के साथ ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी आंदोलन में शामिल थे.
  • मौलाना अबुल कलाम आजाद ने दो साल के भीतर पूरे उत्तर भारत और बॉम्बे में गुप्त क्रांतिकारी केंद्र स्थापित किए थे.
  • 1912 में मौलाना अबुल कलाम आजाद ने मुसलमानों में देशभक्ति की भावना को बढ़ाने के लिए 'अल-हिलाल' नामक एक साप्ताहिक उर्दू अखबार शुरू किया.
  • मौलाना अबुल कलाम आजाद ने 1947 से 1958 तक पंडित जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री के रूप में देश की सेवा की.
  • 22 फरवरी 1958 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.

मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती

नई दिल्ली : स्वतंत्रता सेनानी और स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के अवसर पर 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है. मौलाना अबुल कलाम आजाद एक कवि, एक विद्वान, एक पत्रकार और एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किए जाते है, जिनका सबसे बड़ा योगदान अभी भी शिक्षा का उपहार है.

राष्ट्र के विकास में मौलाना अबुल कलाम आजाद ने केंद्रीय सलाहकार बोर्ड ऑफ एजुकेशन के अध्यक्ष के रूप में प्रौढ़ शिक्षा और साक्षरता को प्रोत्साहन दिया. उन्होंने न केवल प्रारंभिक शिक्षा पर जोर दिया, बल्कि माध्यमिक शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के विविधीकरण का भी प्रचार किया.


आईआईटी, यूजीसी और अन्य विश्वविद्यालयों के पीछे मौलाना

मौलाना अबुल कलाम आजाद स्वतंत्रता सेनानी और दूरदर्शी देश में शिक्षा प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के लिए ही जिम्मेदार नहीं थे, बल्कि 1951 में भारत में पहली बार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, IIT की शुरुआत की भी की थी. कलाम ने केंद्रीय संस्थान की स्थापना की थी जो बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय का शिक्षा विभाग बन गया.
1953 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना का श्रेय उनको जाता है. वह भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी संकाय के प्राथमिक प्रचारक और जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापक भी थे.

कौशल जागरूकता और सशक्तिकरण

इस वर्ष समारोह 'कौशल जागरूकता और सशक्तिकरण' का विषय होगा. इससे उम्मीद यह है कि स्कूल अपने छात्रों को कई परियोजनाओं को उजागर करने में सक्रिय भागीदारी करेंगे, जिससे भविष्य में करियर की ओर बढ़ने के लिए आवश्यक कौशल विकसित करने में मदद मिलेगी. सेमिनार, निबंध लेखन प्रतियोगिताओं, अभिजात्य प्रतियोगिताओं और विभिन्न प्रकार की कार्यशालाओं जैसी गतिविधियां पूरे देश में होंगी.भविष्य में करियर को विकसित करने के लिए कौशल अक्सर आवश्यक होते हैं.


मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • उनका पूरा नाम था - मौलाना सैय्यद अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन अहमद बिन खैरुद्दीन अल-हुसैनी आजाद था.
  • उन्होंने औपचारिक स्कूली शिक्षा प्राप्त नहीं की।
  • उन्होंने स्वयं अध्ययन करके अंग्रेजी भाषा, दुनिया का इतिहास और राजनीति सीखी
  • वह उर्दू, फारसी, अरबी और हिंदी जैसी भाषाओं के अच्छे जानकार थे।
  • वह इतिहास, दर्शन और ज्यामिति के भी विद्वान थे.
  • वह अरविंद घोष और श्याम सुंदर चक्रवर्ती के साथ ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी आंदोलन में शामिल थे.
  • मौलाना अबुल कलाम आजाद ने दो साल के भीतर पूरे उत्तर भारत और बॉम्बे में गुप्त क्रांतिकारी केंद्र स्थापित किए थे.
  • 1912 में मौलाना अबुल कलाम आजाद ने मुसलमानों में देशभक्ति की भावना को बढ़ाने के लिए 'अल-हिलाल' नामक एक साप्ताहिक उर्दू अखबार शुरू किया.
  • मौलाना अबुल कलाम आजाद ने 1947 से 1958 तक पंडित जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री के रूप में देश की सेवा की.
  • 22 फरवरी 1958 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.
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