श्रीनगर : श्रीनगर की मसरत जहरा को, जिनके खिलाफ 52 दिन पहले ही गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था, फोटोजॉर्निलिज्म अवार्ड में 2020 अंजा निडरिंगहॉस करेज का विजेता नामित किया गया है. जूरी ने 'भय और समुदाय' की भावना के लिए मसरत के काम की प्रशंसा भी की.
मसरत ने पुरस्कार जीतने के बाद विशेष रूप से ईटीवी भारत से बात की. जहरा ने कहा, 'यह पुरस्कार हमारे काम की मान्यता है. डराने-धमकाने के बावजूद हमने सच्चाई की रिपोर्टिंग बंद नहीं की. गत अप्रैल में यूपीए अधिनियम के तहत मेरे खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और पुलिस ने कभी भी मुझे एक पत्रकार के रूप में मान्यता नहीं दी है. आज यह पुरस्कार अपने आप में एक संदेश है कि आप हमें (पत्रकारों को) चुप नहीं करा सकते.'
जहरा ने कहा, 'यह पुरस्कार कश्मीर में काम करने वाली सभी महिला पत्रकारों के लिए है. वर्तमान में पत्रकार डर के काम कर रहे हैं और उन्हें उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है.'
मसरत ने कहा, 'मैं वर्तमान में तीन-चार परियोजनाओं पर काम कर रही हूं. उनमें से एक पर मैं पिछले चार वर्षों से काम कर रही हूं और अब भी परियोजना पूरी नहीं हुई है. पिछले हफ्ते, मुझे मेल मिला था कि मैं शीर्ष पांच में हूं. यह मेरे लिए पर्याप्त था. शीर्ष पांच में होना ही मेरे लिए एक उपलब्धि है. मैंने अपने परिवार और गुरु के साथ इसे साझा किया और सभी मेरे लिए आश्चर्यचकित और खुश थे.'
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बता दें कि जहरा श्रीनगर शहर में पैदा हुई थीं. ज़हरा को जूरी ने 'भय और समुदाय' की भावना से प्रेरित बताया. यह अवार्ड जर्मन फोटो जर्नलिस्ट अंजा निडरिंगहॉस की स्मृति में प्रदान किया जाता है, जिनकी 2014 में अफगानिस्तान में हत्या कर दी गई थी.
अंतरराष्ट्रीय महिला मीडिया फाउंडेशन (IWMF) की ओर से 20,000 अमेरिकी डॉलर (€ 17,500) का यह पुरस्कार प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है. यह फाउंडेशन जो 1990 से प्रेस स्वतंत्रता के लिए लड़ रहा है और साहसी महिला पत्रकारों का समर्थन कर रहा है.
आईडब्ल्यूएमएफ की कार्यकारी निदेशक एलिसा लीस मुनोज ने कहा, 'अंजा की विरासत हमें याद दिलाती है कि यह सुर्खियों में रहने वाला समुदाय है, जो नागरिक और सामाजिक क्रूरता के मुख्य निशाने पर हैं.'