देहरादून : देश की सेवा से बढ़कर और कोई सेवा नहीं है. जंग-ए-आजादी के वीर सिपाही शहीद केसरी चंद के प्रपौत्र तन्मय शर्मा भी अपने परदादा के पदचिन्हों पर चल निकले हैं. वह नौसेना में अफसर बनने की राह पर हैं. देशभर से चयनित 662 युवाओं में जौनसार के तन्मय शर्मा ने 11वां स्थान पाया है. जौनसार के इस लाल ने ना केवल अपने क्षेत्र बल्कि उत्तराखंड का भी नाम रोशन किया है.
जौनसार बावर के खत सेली से जुड़े चकराता के क्यवा गांव निवासी तन्मय के पिता नवीन चंद्र शर्मा केनरा बैंक दिल्ली में चीफ मैनेजर हैं. माता अमिता शर्मा शिक्षिका हैं. संयुक्त परिवार में पले-बढ़े तन्मय के दादा टीकाराम शर्मा सीडीओ के पद से सेवानिवृत्त हैं. ताऊ राजेश शर्मा एनएच खंड लोक निर्माण विभाग पौड़ी गढ़वाल में अधीक्षण अभियंता के पद पर तैनात हैं.
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तन्मय के परदादा केसरी चंद आजादी के लिए फांसी पर चढ़े थे
चाचा राजेश शर्मा ने बताया कि तन्मय की अपनी चॉइस इंडियन नेवी है. जौनसार के क्यवा निवासी वीर शहीद केसरी चंद स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहे थे. नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रेरित होकर वो स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे. वर्ष 1941 में ब्रिटिश हुकूमत ने भारत-वर्मा सीमा पर इंफाल के पास उन्हें बंदी बनाया था. इसके बाद अंग्रेजों ने दिल्ली के लाल किले की अदालत में उन पर मुकदमा चलाया. माफी नहीं मांगने पर ब्रिटिश हुकूमत ने केसरी चंद को 3 मई 1945 को सूली पर चढ़ा दिया था. राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर शहीद केसरी चंद की स्मृति में प्रतिवर्ष चकराता के रामतल गार्डन में मेला लगता है.