पेरिसः लेबनान की राजधानी बेरूत में भयानक विस्फोट के बाद जहां बचाव अभियान में जुटे कर्मी शवों की गिनती और मलबों में जिंदा लोगों की तलाश में जुटे हैं, वहीं कई देशों ने संकटग्रस्त देश की मदद के लिए हाथ बढ़या है.
लेबनान पहले से ही आर्थिक संकट से गुजर रहा है और इस संकट में उसकी मुश्किल को और बढ़ा दिया है.
इस विस्फोट से कम से कम 135 लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों घायल हैं. ऑस्ट्रेलिया से लेकर इंडोनेशिया और यूरोप से लेकर अमेरिका तक सहायता पहुंचाने और तलाश दल को भेजने के लिए तैयार हैं.
फ्रांस और लेबनान के बीच विशेष संबंधों को प्रदर्शित करते हुए फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों बृहस्पतिवार को लेबनान का दौरा करने वाले हैं.
पेरिस ने बुधवार को विशेषजों, बचाव कर्मी और जरूरी आपूर्ति की दो खेप भेजी.
वहीं, यूरोपीय संघ अपने नागरिक बचाव तंत्र का इस्तेमाल करके आपात कर्मियों और उपकरणों कों भेज रहा है. संघ के आयोग ने कहा कि उसकी योजना तत्काल वाहनों के साथ 100 दमकल कर्मियों, खोजी कुत्ते और उपकरण भेजने की है, ताकि शहरी क्षेत्र में फंसे लोगों का पता लगाया जा सके. चेक रिपब्लिक, जर्मनी, ग्रीस, पोलैंड और नीदरलैंड भी सहयोग के लिए आए हैं और कई अन्य देश में भी इस प्रयास में जुट सकते हैं.
साइप्रस भी बचाव कर्मियों का दल और खोजी कुत्ते भेज रहा है.
रूस ने मोबाइल अस्पताल स्थापित किए हैं और 50 आपातकर्मी और चिकित्साकर्मियों को भेजा है. इसके अलावा रूस के तीन और विमान अगले 24 घंटे में लेबनान पहुंचने वाले हैं.
वहीं ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने शुरुआत में 20 लाख ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की मदद लेबनान को देने का संकल्प लिया है, ताकि राहत कार्य में सहायता पहुंचाई जा सके.
प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से कहा कि यह सहायता विश्व खाद्य कार्यक्रम और खाद्य, देखभाल और जरूरी सामान के लिए रेड क्रॉस को दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि उनका देश अन्य खेप पर विचार कर रहा है.
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