बस्ती: 'मखस्थानं महतपुण्यम यत्र पुण्या मनोरमा'... मखौड़ा यानी 'मखधाम' और मनोरमा नदी की महिमा शास्त्रों-वेद पुराणों में कहा गया है. पुण्य सलिला मनोरमा जीवनदायिनी हैं. इनकी महिमा को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. यह वही स्थान है, जहां महाराज दशरथ ने पुत्रकामेष्टि यज्ञ किया था. आज भी यह स्थान त्रेतायुग की तरह उर्वरा है.
बस्ती की भूमि को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्म प्रसंग का निमित्त बनने का गौरव प्राप्त है. यूं तो अयोध्या को दुनिया भगवान राम की जन्मस्थली के रूप में जानती है, मगर भगवान श्रीराम की उद्भव स्थली बस्ती जनपद में स्थित मखौड़ा धाम है.
राजा दशरथ ने कराया था पुत्रेष्ठि यज्ञ
परशुरामपुर क्षेत्र में मनवर यानी मनोरमा नदी के किनारे स्थित मखौड़ा धाम ही वह सौभाग्यशाली स्थान है, जहां राजा दशरथ ने पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया था. इसी यज्ञ के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का प्राकट्य हुआ. गुरु वशिष्ठ ने शृंगी ऋषि से यज्ञ कराने की सलाह दी थी. श्रृंगी ऋषि का आश्रम स्थल आज श्रीगिनारी के रूप में जाना जाता है. आज भी लोग संतान प्राप्ति के लिए यहां यज्ञ करते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है.
84 कोसी परिक्रमा कर भक्त होते हैं बंधन मुक्त
मान्यता है कि रानी कौशल्या ने पुत्र प्राप्ति के लिए यहां योगिनी नृत्य किया था. इतना ही नहीं अयोध्या की चौरासी कोसी परिक्रमा देश व दुनिया के साधु-संत मखौड़ा से ही शुरू करते हैं. पुरातन काल से ही मखधाम से 84 कोसी परिक्रमा चैत्र माह की पूर्णिमा से शुरू होकर यहीं समाप्त होती है. अयोध्या से मखौड़ा, रामजानकी मार्ग होते हुए रामरेखा चकोही बाग से पुन: अयोध्या तक फैले 84 कोस अवध प्रदेश में चैत्र पूर्णिमा से बैषाख जानकी नवमी तक सभी देवों का वास होता है. ऐसा मान्यता है कि परिक्रमा कर भक्त जन्म जन्मान्तर के बंधन से मुक्त हो जाते हैं.
पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्रयास
भगवान श्रीराम के जन्म का श्रेय रखने वाला मखौड़ा धाम आज भी पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाया है. हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मनोरम नदी की साफ-सफाई और मखौड़ा को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बात कही है.