लखनऊ : आजादी की अलख जगाने के लिए महात्मा गांधी भारत के अलग-अलग शहरों में गए थे. इसी में एक है उत्तर प्रदेश का हरदोई. महात्मा गांधी 11 अक्टूबर, 1929 को हरदोई आए थे. उन्होंने यहां पर एक बैठक की थी.
महात्मा गांधी की बैठक के बाद महिलाएं उनसे इतना प्रभावित हुई थी कि महिलाओं ने अपने आभूषण उतार कर दे दिए थे, कि इन्हें बेचकर स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में लगाया जाए. साथ ही यहां पर विदेशी वस्त्रों की होली भी जलाई गई थी.
बाद में हरदोई के इस स्थान पर गांधी भवन का निर्माण किया गया. गांधी भवन में आयोजित होने वाली गांधी भजन संध्या प्रदेश ही नहीं देश में भी एक मिसाल है. विगत 6 वर्षों से यहां पर गांधी भवन में अनवरत रूप से गांधी भजन संध्या का आयोजन होता है.
स्वाधीनता संग्राम के बाद 15 अगस्त, 1947 को देश आजाद हुआ उस समय यह जगह विक्टोरिया हॉल ट्रस्ट की हुआ करती थी.
गांधीवादी विचारधारा से ओतप्रोत लोगों ने कालांतर में यहां पर गांधी भवन बनाने और उनकी स्मृतियों को संजोने की मांग उठाई क्योंकि यहां पर गांधीजी पधारे थे, लिहाजा यह मांग जोर-शोर से उठने लगी.
कोई सरकारी अनुदान ना मिलने के कारण आम लोगों और राइफल क्लब की मदद से करीब साढ़े 5 लाख रुपये की कीमत से 1970 में यहां पर गांधी भवन का निर्माण शुरू किया गया जो 1983 में बनकर तैयार हो गया.
इसके बाद 8 मई 1983 को स्वतंत्रता सेनानी जयदेव कपूर की अध्यक्षता में स्वतंत्रता सेनानी रघुनंदन शर्मा के कर कमलों द्वारा इस गांधी भवन का उद्घाटन संपन्न किया गया.
इस भवन में गांधीजी की स्मृतियों को संजोया गया है गांधीजी के बचपन से लेकर उनकी स्मृति में तमाम चित्रों को दीवारों पर लगाया गया है साथ ही गांधीजी का चरखा जिसे सहेज कर रखा गया है जो हरदोई के इस गांधी भवन की शोभा बढ़ाता है.
धीरे-धीरे समय के साथ साथ गांधी भवन व्यवसायिकता की ओर मुड़ा और गांधी जन कल्याण समिति की ओर से ऑडिटोरियम हॉल को किराए पर देकर आमदनी होने लगी. प्रशासनिक सहयोग के बाद इसकी स्थिति में लगातार सुधार होता गया.
वर्तमान में जिलाधिकारी पुलकित खरे के प्रयासों से गांधी प्रार्थना सभा हाल को एक खूबसूरत अंदाज में संवारा गया है गांधी जन कल्याण समिति के सदस्य और गांधीवादी विचारधारा से ओतप्रोत लोग रोजाना यहां भजन संध्या में शामिल होते हैं और गांधी जी के बताए मार्ग पर चल कर सभी धर्मों के उपदेशों को पढ़कर उनकी स्तुति करते हैं.
इस बारे में सिटी मजिस्ट्रेट गजेंद्र कुमार का कहना है कि गांधी भवन में गांधी भजन संध्या की शुरुआत एक जनवरी, 2013 से हुई थी जो अनवरत रूप से चली आ रही है और चाहे आंधी आए या फिर बरसात लेकिन कभी भी यहां पर भजन संध्या होना बंद नहीं हुई जो रोजाना शाम 5:30 बजे अपने समय पर आयोजित होती है.
इस बारे में गांधी भवन के केयरटेकर और उर्मिला श्रीवास्तव बताती हैं कि यहां पर भजन संध्या में वह लोग रोजाना आते हैं और यहां आने से उन्हें सुख और शांति की अनुभूति होती है साथ ही गांधी जी के बताए हुए मार्ग पर चलने का संदेश मिलता है और सभी धर्मों के प्रति एक समान भाव का बोध भी होता है.
हरदोई में गांधी जी के अनुयाई रोजाना उनका भजन करते हैं गांधी जी के द्वारा लिखे गए गीत और सभी धर्मों के उपदेशों को पढ़कर यहां पर सर्वधर्म समभाव का संदेश भी दिया जाता है.
हरदोई जिले में गांधी भवन में आयोजित होने वाली यह गांधी भजन संध्या उत्तर प्रदेश ही नहीं देश में भी शायद इकलौती भजन संध्या होगी जो लगातार एक अप्रैल, 2013 से होती चली आ रही है. यहां गांधी जी के अनुयायी शांति और सुकून की तलाश में आते हैं और उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का प्रयास करते हैं. साथ ही गांधी जी के भजन और अन्य सभी धर्मों के उपदेशों का भजन करते हैं.
दरअसल इसकी शुरुआत एक अप्रैल, 2013 को उस समय हुई थी जब तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट अशोक कुमार शुक्ला ने गांधी भवन में गांधी भजन संध्या आयोजित कराने की सलाह दी थी. उस समय सर्वोदय आश्रम सहित कई अन्य संस्थाओं और बुजुर्गों की मदद से इस भजन संध्या की शुरुआत की थी.
तब से आज तक यहां पर अनवरत रूप से यह भजन संध्या रोजाना होती है इसमें लोगों को शांति और सुख की अनुभूति होती है तथा उन्हें गांधीजी के मार्ग पर चलने की सीख भी मिलती है.
इस भजन संध्या में आने वाले लोगों का कहना है कि यहां आने से उन्हें सुकून मिलता है और शांति की अनुभूति होती है यह भजन संध्या लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र भी है और उन्हें यहां गांधी जी दिखाए मार्ग और अहिंसा के मार्ग पर चलने की सीख भी मिलती है.