भोपाल : काशी महाकाल एक्सप्रेस (वाराणसी-इंदौर) में कोच बी5 के सीट नंबर 64 को भगवान शिव के एक मिनी मंदिर में बदल दिया गया. हालांकि IRCTC की ओर से स्पष्ट किया गया कि यह अस्थाई व्यवस्था के तहत सिर्फ पहले दौरे के लिए किया गया है. इस पूरे मसले को लेकर आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस कदम पर सवाल उठाया था.
आईआरसीटीसी ने बयान में कहा, 'नई काशी-महाकाल एक्सप्रेस ट्रेन के कर्मचारियों ने ऊपरी बर्थ पर अस्थायी रूप से भगवान शिव का फोटो रखा, ताकि नई परियोजना (नई ट्रेन और नई रैक) की सफलता के लिए उनका आशीर्वाद लिया जा सके. यह सिर्फ उद्घाटन परिचालन के लिए ही था.'
बयान में कहा गया है, 'उद्घाटन परिचालन यात्रियों के लिए नहीं था. 20 फरवरी 2020 से शुरू हो रही इस ट्रेन की वाणिज्यिक यात्रा के दौरान इस उद्देश्य के लिए इस तरह की कोई आरक्षित या समर्पित सीट नहीं रखी जाने वाली है.'
यह ट्रेन इंदौर के निकट ओंकारेश्वर, उज्जैन में महाकालेश्वर और वाराणसी में काशी विश्वनाथ को जोड़ेगी. कोच संख्या बी 5 की सीट संख्या 64 भगवान के लिए खाली की गई है.
वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस कदम पर सवाल उठाया और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को टैग करते हुए संविधान की प्रस्तावना की एक तस्वीर ट्वीट की.
आईआरसीटीसी ने सोमवार को कहा कि काशी-महाकाल एक्सप्रेस की उद्घाटन यात्रा के दौरान इसमें भगवान शिव के लिए एक सीट आरक्षित की गई, ताकि इस नई परियोजना की सफलता के लिए उनका आशीर्वाद लिया जा सके. हालांकि, इस कदम पर सवाल भी उठाए गए हैं.
यह एक्सप्रेस यात्रियों को दो राज्यों के तीन ज्योतिर्लिंगों की यात्रा कराएगी.
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भारतीय रेलवे खान-पान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) ने एक बयान में कहा कि ट्रेन कर्मचारियों ने काशी-महाकाल एक्सप्रेस की उद्घाटन यात्रा के दौरान रविवार को पूजा करने के लिए ऊपर की एक सीट (अप्पर बर्थ) पर श्री महाकाल का फोटो कुछ समय के लिए रखा था.
बता दें ट्रेन का पहला वाणिज्यिक परिचालन 20 फरवरी को होना है.
गौरतलब है कि रेलवे ने आईआरसीटीसी संचालित तीसरी सेवा शुरू की है. यह ट्रेन उत्तर प्रदेश के वाराणसी से मध्य प्रदेश के इंदौर तक जाएगी.
वाराणसी से इंदौर के बीच सप्ताह में तीन बार चलने वाली इस ट्रेन में भक्ति भाव वाली हल्की ध्वनी से संगीत बजेगा और प्रत्येक कोच में दो निजी गार्ड होंगे और यात्रियों को शाकाहारी खाना परोसा जाएगा.