लखनऊ : कमलेश तिवारी हत्याकांड के आरोपियों को लखनऊ लाने के लिए यूपी पुलिस की चार सदस्यीय टीम गुजरात पहुंच गई है. यूपी पुलिस गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ भी करेगी. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच दोनों ही हत्यारों को लखनऊ लाया जाएगा, जहां उनसे विभिन्न पहलुओं पर पूछताछ की जाएगी. इसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा.
पुलिस ने ट्रांजिट रिमांड के लिए आरोपियों को कोर्ट में पेश किया है.
बता दें कि गुजरात व राजस्थान बॉर्डर पर गुजरात एटीएस द्वारा गिरफ्तार किये गये कमलेश तिवारी हत्याकांड के दोनों आरोपियों - मोइनुद्दीन व अशफाक को लखनऊ लाने के लिए लखनऊ पुलिस के चार सदस्यीय टीम बुधवार सुबह ही गुजरात रवाना हो गई थी.
दरअसल गुजरात से गिरफ्तार किये गये कमलेश तिवारी के दोनों हत्यारों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था. एटीएस को दिये गये बयान में यह पता चला कि अशफाक ने कमलेश तिवारी पर चाकू से ताबड़तोड़ हमला किया था और बेरहमी से उसका गला काट दिया था.
इस दौरान अशफाक के दाहिने हाथ में चोट भी आई थी. अशफाक एक प्रतिष्ठित कम्पनी में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव था वहीं दूसरा हत्यारा मोइनुद्दीन फूड डेलिवरी का काम करता था. दोनों आरोपी सूरत के ही रहने वाले हैं.
बता दें कि लखनऊ से फरार होने के बाद दोनों आरोपियों को पुलिस उत्तर प्रदेश के कई जिलों में ढूंढ रही थी. कई जगह से उनकी लोकेशन भी सामने आई थी.
मददगार पर भी हुई कार्रवाई
सोमवार रात करीब 2:00 बजे एटीएस ने शाहाबाद में छापेमारी कर दरगाह आला हजरत पर नात पढ़ने वाले सैयद कैफी अली को गिरफ्तार किया. उसे रात में ही लखनऊ ले आया गया. यूपी एटीएस, एसटीएफ व लखनऊ पुलिस ने कैफी से लंबी पूछताछ की. उस पर आरोप है कि आरोपियों की मदद करते हुए बरेली में उन्हें खाना खिलाया और एक डिस्पेंसरी में ले जाकर अशफाक के हाथ में लगी चोट की ड्रेसिंग कराई थी.
यूट्यूब चैनल पर भड़काऊ वीडियो जारी करता था सय्यद हासिम अली
गौरतलब है कि सोमवार को कमलेश तिवारी हत्याकांड के तहत नागपुर से एक और आरोपी सैयद आसिफ अली को गिरफ्तार किया गया था, जिसे लखनऊ लाकर लंबी पूछताछ की गई. आसिम पर आरोप है कि वह यूट्यूब चैनल पर भड़काऊ वीडियो जारी कर युवाओं को गुमराह कर रहा था.
दरअसल 25 अक्टूबर 2017 को उसने जो वीडियो अपलोड किया था, उसके टाइटल में ही कमलेश को चुनौती देते हुए धमकी भरे अंदाज में लिखा गया था कि गुस्ताखी की सजा सिर्फ मौत है. यह वीडियो उस समय अपलोड किया गया था, जब कमलेश तिवारी ने एक विवादित फिल्म बनाने की घोषणा की थी. सैयद आसिफ अली के यूट्यूब चैनल पर 41000 सब्सक्राइब है.
नितिन गडकरी के खिलाफ चुनाव भी लड़ा
इस बीच यह भी खुलासा हुआ है कि सैयद आसिफ मलिक ने 2019 में नागपुर लोकसभा सीट से मुस्लिम माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी से नितिन गडकरी के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था, उसका चुनाव निशान क्रेन था. हालांकि आसिम को मात्र 6000 वोट मिले थे. उसका नाम महाराष्ट्र और गुजरात में मुस्लिम कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के लिए चर्चित है.
लखनऊ पुलिस की पूछताछ के दौरान आसिम ने बताया कि कमलेश तिवारी की हत्या के बाद उसने ही राशिद को फोन करके पूरे मामले की जानकारी दी थी और हत्या करके भागे अशफाक और मोइनुद्दीन की मदद का जिम्मा लिया था, जिस तरीके से या लंबे समय से यूट्यूब का सहारा लेकर वह युवाओं को भड़का रहा था, ऐसे में जांच एजेंसियों पर भी सवाल उठता है कि जब सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ इतने सबूत मौजूद थे, फिर उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई.
अल हिन्द ब्रिगेड नाम के संगठन पर भी नजर
वहीं जांच एजेंसी अल हिन्द ब्रिगेड नाम के संगठन पर भी नजर बनाए हुए हैं क्योंकि इस संगठन ने ही कमलेश तिवारी की हत्या के तुरंत बाद हत्या की जिम्मेदारी ली थी. ऐसे में जांच एजेंसी इस और भी विचार कर रही है कि कहीं अल-हिन्द ब्रिगेड का संचालक सैयद आसिफ अली ही तो नहीं है.
दरअसल दोनों हत्यारों ने कमलेश तिवारी तक पहुंचने के लिए हिन्दू समाज पार्टी के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष जायमीन दवे बापू का सहारा लिया. पहले हत्यारों ने गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष से सम्पर्क साधा, फिर रोहित सोलंकी नाम से फेसबुक आईडी बनाई और गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष को अपने सम्पर्क में लिया.
रामायण की चौपाई भी पोस्ट की थी
इसके बाद सम्पर्क में आये कमलेश तिवारी को अपने विश्वास में लेने के लिए लगातार रोहित सोलंकी नाम की फेसबुक आईडी पर हत्यारे हिन्दू समाज को लेकर पोस्ट करते रहे, जिसमें रामायण की चौपाई भी पोस्ट की गई.
रोहित सोलंकी नाम की फेसबुक पर सक्रियता देखने के बाद कमलेश तिवारी ने रोहित सोलंकी उर्फ अशफाक हुसैन को सूरत शहर की आईटी सेल का प्रचारक मनोनीत किया, जिस दिन दोनों आरोपी लखनऊ के लिए रवाना हुए, उस दिन भी गुजरात प्रदेश अध्यक्ष को इस बारे में जानकारी दी गई थी.