ETV Bharat / bharat

डिजिटल लोन एप्स या मौत का हलफनामा - डिजिटल लोन एप्स

आरबीआई ने अपनी ओर से लोगों को डिजिटल ऋणों को देने वाले व्यक्तियों के बहकावे में नहीं आने की सलाह दी है. इसने बस यह कहकर कि अपने बैंक खाते या आधार विवरण को अनाधिकृत व्यक्तियों के साथ साझा न करें, इस मुद्दे से हाथ धो लिए. वहीं, केंद्र सरकार ने भी इसे राज्य का विषय बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया. लोन एप्स के दलदल से निकलने के लिए सामूहिक एकजुटता की जरूरत है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

Apps
Apps
author img

By

Published : Feb 6, 2021, 7:53 PM IST

Updated : Feb 7, 2021, 7:38 AM IST

हैदराबाद : डिजिटल लोन एप्स के कर्मचारी तो जोंक से भी बदतर हैं, क्योंकि जोंक अकेले ही आदमी का खून चूसता है जबकि एप आयोजक अपने उपभोक्ताओं के जीवन को ही चूस रहे हैं. तेलंगाना हाईकोर्ट ने डिजिटल लोन एप्स के खिलाफ जनहित याचिका पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, क्योंकि एप से लोन लेने के बाद ज्यादती से तंग लोग आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

यह एप बिना किसी दस्तावेज के त्वरित ऋण के वादे के साथ अपने शिकार को जाल में फंसाते हैं. हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को आदेश दिया है कि वह एप हटाने के लिए तत्काल उपाय करें.

लोन एप की समस्या केवल एक राज्य या क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है. डिजिटल लोन एप की गतिविधियों के कारण हुए हंगामे के बाद चेन्नई और बेंगलुरु में पुलिस अधिकारियों ने पीड़ितों से साइबर क्राइम विंग से संपर्क करने का आह्वान किया है. लोन एप्स से निपटने के लिए एक विशेष अपराध शाखा बनाई गई है.

दो तेलुगु राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में आत्महत्याओं की एक श्रृंखला के बाद राज्यों के अधिकारियों ने भारतीय रिजर्व बैंक और गूगल के साथ बातचीत करके इसका समाधान ढूंढना शुरू किया है.

सिर्फ जानकारी देना ही काफी नहीं
आरबीआई ने अपनी ओर से लोगों को डिजिटल ऋणों को देने वाले व्यक्तियों के बहकावे में नहीं आने की सलाह दी है. इसने बस यह कहकर कि अपने बैंक खाते या आधार विवरण को अनधिकृत व्यक्तियों के साथ साझा न करें, इस मुद्दे से हाथ धो लिए. वहीं गूगल ने लोगों से कहा कि उसने सैकड़ों लोन एप्स की गतिविधियों की जांच की और कुछ को गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया. शेष मोबाइल एप को स्थानीय कानूनों के अनुसार कार्य करना चाहिए.

यहां यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि नए नाम के साथ फिर से प्ले स्टोर पर वे एप्लिकेशन आ जाते हैं. दरअसल, बस कानून का पालन करने की चेतावनी जारी करना पर्याप्त नहीं है. उन सभी ऋण एप के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, जो लोगों को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. इन एप्स के आयोजकों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए और उन पर कड़ी सजा देने के लिए मजबूत सबूत की व्यवस्था की जानी चाहिए.

केंद्र सरकार ने भी झाड़ा पल्ला
आरबीआई ने एक विशेष टीम की घोषणा की जो उन वित्तीय संस्थानों की गतिविधियों का अध्ययन करती है, जो इसके नियामक दायरे में आती हैं. साथ ही डिजिटल ऋण एप्लिकेशन की गतिविधियों का भी निरीक्षण करती हैं. उधार गतिविधि के योग्य होने के लिए प्रत्येक डिजिटल एप को गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों के साथ एक समझौता करना चाहिए.

आरबीआई ने तब भी कोई कदम नहीं उठाया, जब इस मानदंड को पूरा नहीं किया जा रहा था. हमें नहीं पता कि इस संबंध में उचित कार्रवाई करने के लिए वह कब अपनी नींद से जागेगा. लोकसभा में भी लोन एप से संबंधित प्रश्नों के जवाब में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य के विषय हैं.

गूगल की निगरानी टीम भी पस्त
जकार्ता (इंडोनेशिया) में रहने वाले एक चीनी नागरिक को लोन एप्स का निर्माता कहा जाता है. दिल्ली सहित विभिन्न भारतीय शहरों में जांच हुई व कई गिरफ्तारियां भी हुईं. यह पता चला कि इन एप ने महज सात महीने के अंतराल में 25,000 करोड़ रुपये का संचयी लेन-देन किया है. केंद्र और राज्य सरकारों के साथ ही आरबीआई, सतर्कता और पुलिस बलों के बीच एक सार्थक समन्वय करके इस रैकेट के पीछे के राजा को खोजा जाना चाहिए.

गूगल का कहना है कि वह अपने सभी उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. लेकिन यह इस तथ्य से बहुत अधिक अंजान है कि गूगल द्वारा हटाए गए कई लोन एप अन्य नामों के साथ फिर से उभर आते हैं. यह अंततः नागरिकों के हितों के लिए एक झटका है.

यह भी पढ़ें-महिला IPS ने IFS पति के खिलाफ दर्ज कराया दहेज प्रताड़ना का मुकदमा

इन ऑनलाइन डेथ डीलर्स के खतरे को तभी खत्म किया जा सकता है, जब केंद्र और राज्य सरकारें सरकारी एजेंसियों के समर्थन से एकजुट होकर काम करें.

हैदराबाद : डिजिटल लोन एप्स के कर्मचारी तो जोंक से भी बदतर हैं, क्योंकि जोंक अकेले ही आदमी का खून चूसता है जबकि एप आयोजक अपने उपभोक्ताओं के जीवन को ही चूस रहे हैं. तेलंगाना हाईकोर्ट ने डिजिटल लोन एप्स के खिलाफ जनहित याचिका पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, क्योंकि एप से लोन लेने के बाद ज्यादती से तंग लोग आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

यह एप बिना किसी दस्तावेज के त्वरित ऋण के वादे के साथ अपने शिकार को जाल में फंसाते हैं. हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को आदेश दिया है कि वह एप हटाने के लिए तत्काल उपाय करें.

लोन एप की समस्या केवल एक राज्य या क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है. डिजिटल लोन एप की गतिविधियों के कारण हुए हंगामे के बाद चेन्नई और बेंगलुरु में पुलिस अधिकारियों ने पीड़ितों से साइबर क्राइम विंग से संपर्क करने का आह्वान किया है. लोन एप्स से निपटने के लिए एक विशेष अपराध शाखा बनाई गई है.

दो तेलुगु राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में आत्महत्याओं की एक श्रृंखला के बाद राज्यों के अधिकारियों ने भारतीय रिजर्व बैंक और गूगल के साथ बातचीत करके इसका समाधान ढूंढना शुरू किया है.

सिर्फ जानकारी देना ही काफी नहीं
आरबीआई ने अपनी ओर से लोगों को डिजिटल ऋणों को देने वाले व्यक्तियों के बहकावे में नहीं आने की सलाह दी है. इसने बस यह कहकर कि अपने बैंक खाते या आधार विवरण को अनधिकृत व्यक्तियों के साथ साझा न करें, इस मुद्दे से हाथ धो लिए. वहीं गूगल ने लोगों से कहा कि उसने सैकड़ों लोन एप्स की गतिविधियों की जांच की और कुछ को गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया. शेष मोबाइल एप को स्थानीय कानूनों के अनुसार कार्य करना चाहिए.

यहां यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि नए नाम के साथ फिर से प्ले स्टोर पर वे एप्लिकेशन आ जाते हैं. दरअसल, बस कानून का पालन करने की चेतावनी जारी करना पर्याप्त नहीं है. उन सभी ऋण एप के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, जो लोगों को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. इन एप्स के आयोजकों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए और उन पर कड़ी सजा देने के लिए मजबूत सबूत की व्यवस्था की जानी चाहिए.

केंद्र सरकार ने भी झाड़ा पल्ला
आरबीआई ने एक विशेष टीम की घोषणा की जो उन वित्तीय संस्थानों की गतिविधियों का अध्ययन करती है, जो इसके नियामक दायरे में आती हैं. साथ ही डिजिटल ऋण एप्लिकेशन की गतिविधियों का भी निरीक्षण करती हैं. उधार गतिविधि के योग्य होने के लिए प्रत्येक डिजिटल एप को गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों के साथ एक समझौता करना चाहिए.

आरबीआई ने तब भी कोई कदम नहीं उठाया, जब इस मानदंड को पूरा नहीं किया जा रहा था. हमें नहीं पता कि इस संबंध में उचित कार्रवाई करने के लिए वह कब अपनी नींद से जागेगा. लोकसभा में भी लोन एप से संबंधित प्रश्नों के जवाब में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य के विषय हैं.

गूगल की निगरानी टीम भी पस्त
जकार्ता (इंडोनेशिया) में रहने वाले एक चीनी नागरिक को लोन एप्स का निर्माता कहा जाता है. दिल्ली सहित विभिन्न भारतीय शहरों में जांच हुई व कई गिरफ्तारियां भी हुईं. यह पता चला कि इन एप ने महज सात महीने के अंतराल में 25,000 करोड़ रुपये का संचयी लेन-देन किया है. केंद्र और राज्य सरकारों के साथ ही आरबीआई, सतर्कता और पुलिस बलों के बीच एक सार्थक समन्वय करके इस रैकेट के पीछे के राजा को खोजा जाना चाहिए.

गूगल का कहना है कि वह अपने सभी उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. लेकिन यह इस तथ्य से बहुत अधिक अंजान है कि गूगल द्वारा हटाए गए कई लोन एप अन्य नामों के साथ फिर से उभर आते हैं. यह अंततः नागरिकों के हितों के लिए एक झटका है.

यह भी पढ़ें-महिला IPS ने IFS पति के खिलाफ दर्ज कराया दहेज प्रताड़ना का मुकदमा

इन ऑनलाइन डेथ डीलर्स के खतरे को तभी खत्म किया जा सकता है, जब केंद्र और राज्य सरकारें सरकारी एजेंसियों के समर्थन से एकजुट होकर काम करें.

Last Updated : Feb 7, 2021, 7:38 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.