नई दिल्ली : भाकपा और माकपा द्वारा जारी एक संयुक्त बयान कहा गया है कि अमेरिका के साथ सैन्य गठजोड़ राष्ट्रहित में सही नहीं है. वाम दलों ने आरोप लगाया कि इस समझौते के साथ ही अमेरिका के साथ सैन्य गठजोड़ के लिये सभी तथाकथित आधारभूत समझौते पूरे कर लिये गए हैं.
दोनों दलों ने यह भी कहा कि यह समझौता संयुक्त नौसेना अभ्यास मालाबार अभ्यास के मद्देनजर हुआ है. मालाबार अभ्यास 'क्वाड' के चार साझेदारों के बीच नवंबर में होगा.
बयान में कहा गया, 'चीन के साथ लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हालिया तनाव के मद्देनजर इन कदमों को न्यायोचित ठहराया जा रहा है लेकिन मौजूदा गतिरोध से काफी पहले से यह पाइपलाइन में थे. साजोसामान विनिमय समझौता, संचार सुरक्षा समझौता और चार देशों के मंच का उन्नयन यह सबकुछ हाल के कुछ वर्षों में हुआ है.
इसमें कहा गया है कि यह समझौते भारतीय सशस्त्र बलों को अमेरिका और उसके रणनीतिक मंसूबों के साथ बांधता है. संचार और इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली की इंटरलॉकिंग भारतीय रक्षा ढांचे की अक्षुण्ता और स्वतंत्रता को बुरी तरह प्रभावित करने जा रही है.
यह समझौते हमें अमेरिकी शस्त्रों पर निर्भर बनाएंगे जिनकी प्रौद्योगिकी और प्रणाली अमेरिका द्वारा नियंत्रित की जाएगी. वाम दलों ने यह भी कहा कि अमेरिका के साथ उभरते सैन्य गठजोड़ का भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और रणनीतिक स्वायत्तता के लिये दीर्घकालिक परिणाम होगा. बयान में कहा गया कि यह राष्ट्रीय हितों के अनुरूप नहीं है.
बयान में कहा गया कि केंद्र को सीमा विवाद सुलझाने के लिये सर्वोच्च राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर चीन के साथ बातचीत करते रहना चाहिए. इसमें कहा गया कि इससे भारत को एशिया में अमेरिका की भू-राजनीतिक रणनीतिक के आधीन आने की जरूरत नहीं होगी.