ETV Bharat / bharat

भूमि के उपयोग में परिवर्तन से संभव कोरोना जैसी बीमारियों का प्रसार : अध्ययन

एक्सेटर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया है जिसमें बताया गया है कि कैसे भूमि-उपयोग में परिवर्तन जैसे कि वनों की कटाई और शहरीकरण, स्तनधारियों से मनुष्यों तक रोगों के प्रसार को प्रभावित कर सकते हैं.

Land use changes
कॉन्सेप्ट इमेज
author img

By

Published : Jun 6, 2020, 5:21 AM IST

लंदन : एक समीक्षा शोध में कहा गया है कि भूमि के उपयोग में बदलाव से जानवरों के व्यवहार में बदलाव आता है. इसके बाद चूहा, मवेशी, चमगादड़ों और प्राइमेट्स जैसे स्तनधारियों से कोरोना वायरस जैसी नई बीमारियों का जन्म हो सकता है और उनका प्रसार भी संभव है.

अध्ययन के अनुसार, मानव में अधिकांश नए वायरस अन्य जानवरों से प्रसारित होते हैं. विशेष रूप से ऐसे जानवर जो औद्योगिक क्षेत्रों में रखे जाते हैं, जहां जानवर छोटी सी जगह में बड़ी संख्या में रहते हैं.

एक उदाहरण का हवाला देते हुए ब्रिटेन के एक्सेटर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ एक वैज्ञानिकों ने कहा कि भारतीय डेयरी फार्मों में संक्रमित मवेशियों को छोड़ना तपेदिक के विषय में शिक्षा की कमी को दर्शाता है और अंतिम उपाय के रूप में पशु चिकित्सकों से परामर्श करना समस्या को बदतर बनाता है.

शोधकर्ताओं ने कहा कि वनों की कटाई भी दुनिया भर के चमगादड़ों में रोगजनकों के बढ़ते उद्भव के साथ जुड़ी हुई है, जो कि आबादी को अलग या विभाजित करते हैं.

वैज्ञानिकों ने कहा कि यह उड़ने वाले स्तनधारियों के व्यवहार को बदल सकता है, उनकी जैव विविधता को कम कर सकता है और पारिस्थितिकी तंत्र के कार्यों से समझौता कर सकता है.

उन्होंने बताया कि इस तरह की स्थिति सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ाती है क्योंकि वे विविध वन्यजीवों-मवेशी-मानव इंटरफेस बनाते हैं, जहां वायरस और अन्य रोगजनकों को आसानी से प्रसारित किया जा सकता है, जैसा कि कोरोना वायरस के मामले में हुआ.

शोध में, वैज्ञानिकों ने मूल्यांकन किया कि भूमि-उपयोग में परिवर्तन जैसे कि वनों की कटाई, शहरीकरण और कृषि में परिवर्तन ने इस तरह के प्रसार को प्रभावित किया है.

अध्ययनकर्ता यह अनुमान लगाने के लिए कि नए रोग कैसे सामने आते हैं और भूमि-उपयोग परिवर्तनों के कारण कैसे फैलते हैं, अधिक शोध करने की बात कहते हैं.

यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर के सह-लेखक ऑर्ली रेजगॉर ने कहा, 'हमने प्रमुख अंतरालों में बताया है कि कैसे भू-उपयोग परिवर्तन किसी महामारी को स्तनधारियों से लेकर मनुष्यों तक प्रसार करते हैं.'

कोरोना : महाराष्ट्र में 24 घंटे में रिकॉर्ड 139 मौतें, देश में एक दिन में 5,355 लोग स्वस्थ

वैज्ञानिकों का मानना है कि जानवरों की पारिस्थितिकी को जोड़ने और रोगजनक पारिस्थितिकी और बीमारी के प्रसार के साथ भूमि-उपयोग परिवर्तन के लिए प्रतिक्रिया देने जैसे विषयों पर अधिक अध्ययन की आवश्यक्ता है.

लंदन : एक समीक्षा शोध में कहा गया है कि भूमि के उपयोग में बदलाव से जानवरों के व्यवहार में बदलाव आता है. इसके बाद चूहा, मवेशी, चमगादड़ों और प्राइमेट्स जैसे स्तनधारियों से कोरोना वायरस जैसी नई बीमारियों का जन्म हो सकता है और उनका प्रसार भी संभव है.

अध्ययन के अनुसार, मानव में अधिकांश नए वायरस अन्य जानवरों से प्रसारित होते हैं. विशेष रूप से ऐसे जानवर जो औद्योगिक क्षेत्रों में रखे जाते हैं, जहां जानवर छोटी सी जगह में बड़ी संख्या में रहते हैं.

एक उदाहरण का हवाला देते हुए ब्रिटेन के एक्सेटर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ एक वैज्ञानिकों ने कहा कि भारतीय डेयरी फार्मों में संक्रमित मवेशियों को छोड़ना तपेदिक के विषय में शिक्षा की कमी को दर्शाता है और अंतिम उपाय के रूप में पशु चिकित्सकों से परामर्श करना समस्या को बदतर बनाता है.

शोधकर्ताओं ने कहा कि वनों की कटाई भी दुनिया भर के चमगादड़ों में रोगजनकों के बढ़ते उद्भव के साथ जुड़ी हुई है, जो कि आबादी को अलग या विभाजित करते हैं.

वैज्ञानिकों ने कहा कि यह उड़ने वाले स्तनधारियों के व्यवहार को बदल सकता है, उनकी जैव विविधता को कम कर सकता है और पारिस्थितिकी तंत्र के कार्यों से समझौता कर सकता है.

उन्होंने बताया कि इस तरह की स्थिति सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ाती है क्योंकि वे विविध वन्यजीवों-मवेशी-मानव इंटरफेस बनाते हैं, जहां वायरस और अन्य रोगजनकों को आसानी से प्रसारित किया जा सकता है, जैसा कि कोरोना वायरस के मामले में हुआ.

शोध में, वैज्ञानिकों ने मूल्यांकन किया कि भूमि-उपयोग में परिवर्तन जैसे कि वनों की कटाई, शहरीकरण और कृषि में परिवर्तन ने इस तरह के प्रसार को प्रभावित किया है.

अध्ययनकर्ता यह अनुमान लगाने के लिए कि नए रोग कैसे सामने आते हैं और भूमि-उपयोग परिवर्तनों के कारण कैसे फैलते हैं, अधिक शोध करने की बात कहते हैं.

यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर के सह-लेखक ऑर्ली रेजगॉर ने कहा, 'हमने प्रमुख अंतरालों में बताया है कि कैसे भू-उपयोग परिवर्तन किसी महामारी को स्तनधारियों से लेकर मनुष्यों तक प्रसार करते हैं.'

कोरोना : महाराष्ट्र में 24 घंटे में रिकॉर्ड 139 मौतें, देश में एक दिन में 5,355 लोग स्वस्थ

वैज्ञानिकों का मानना है कि जानवरों की पारिस्थितिकी को जोड़ने और रोगजनक पारिस्थितिकी और बीमारी के प्रसार के साथ भूमि-उपयोग परिवर्तन के लिए प्रतिक्रिया देने जैसे विषयों पर अधिक अध्ययन की आवश्यक्ता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.