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भूमि निस्तारण मामले में CM येदियुरप्पा के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका - Yeddyurappa to be heard in High Court

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की मुश्किलें बढ़ गई हैं. बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ भूमि निस्तारण करने वाले मामले में उच्च न्यायालय में दायर याचिका पर सुनवाई होगी.

bs yeddyurappa
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Published : Jan 6, 2021, 11:09 AM IST

बेंगलुरु : सरकारी जमीन के अवैध निस्तारण के आरोप में बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था जिसे लोकायुक्त ने खारिज करने का आदेश दिया था. लोकायुक्त के इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई को हाई कोर्ट ने मंजूरी दे दी है.

बता दें कि सरकार को देवनहल्ली इंडस्ट्रियल पार्क में बिजनेसमैन आलम पाशा के स्वामित्व वाली कंपनी की जमीन दी गई थी, इस जमीन को अवैध रूप से अपने नाम करवाने का आरोप मुख्यमंत्री येदियुरप्पा पर लगाया गया. इस संबंध में एक शिकायत भी दर्ज की गई थी, जिसे लोकायुक्त ने खारिज करने का आदेश दिया था, जिसके बाद हाई कोर्ट में लोकायुक्त के इस आदेश पर सवाल उठाते हुए याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को मंजूरी दे दी है.

ये है मामला :

सरकार को 2010-11 में देवनहल्ली औद्योगिक हार्डवेयर पार्क में व्यवसायी आलम पाशा के स्वामित्व वाली कंपनी से 26 एकड़ की जमीन आवंटित हुई थी. 2011 में जब येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए उद्योग मंत्री मुरुगेश निरानी के साथ मिलकर इस जमीन को अपने नाम कर लिया. इसके 2016 में आलम पाशा ने लोकायुक्त कोर्ट में एक शिकायत दायर की जिसमें आरोप लगाया गया कि बीएस येदियुरप्पा ने उस जमीन को दूसरी कंपनी को बेच दिया है.

पढ़ें :- भूमि निस्तारण मामले में येदियुरप्पा के खिलाफ जारी रहेगी जांच : कर्नाटक HC

लोकायुक्त की विशेष अदालत ने पाशा की शिकायत को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि पाशा ने शिकायत दर्ज करने का पूर्व आदेश नहीं लिया है. पाशा ने 2016 में उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उस आदेश को रद्द करने की मांग की थी. उच्च न्यायालय ने कहा किशिकायत दर्ज करवाने के लिए पूर्व आदेश प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होती है. न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के लिए आदेश दिया है.

बेंगलुरु : सरकारी जमीन के अवैध निस्तारण के आरोप में बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था जिसे लोकायुक्त ने खारिज करने का आदेश दिया था. लोकायुक्त के इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई को हाई कोर्ट ने मंजूरी दे दी है.

बता दें कि सरकार को देवनहल्ली इंडस्ट्रियल पार्क में बिजनेसमैन आलम पाशा के स्वामित्व वाली कंपनी की जमीन दी गई थी, इस जमीन को अवैध रूप से अपने नाम करवाने का आरोप मुख्यमंत्री येदियुरप्पा पर लगाया गया. इस संबंध में एक शिकायत भी दर्ज की गई थी, जिसे लोकायुक्त ने खारिज करने का आदेश दिया था, जिसके बाद हाई कोर्ट में लोकायुक्त के इस आदेश पर सवाल उठाते हुए याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को मंजूरी दे दी है.

ये है मामला :

सरकार को 2010-11 में देवनहल्ली औद्योगिक हार्डवेयर पार्क में व्यवसायी आलम पाशा के स्वामित्व वाली कंपनी से 26 एकड़ की जमीन आवंटित हुई थी. 2011 में जब येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए उद्योग मंत्री मुरुगेश निरानी के साथ मिलकर इस जमीन को अपने नाम कर लिया. इसके 2016 में आलम पाशा ने लोकायुक्त कोर्ट में एक शिकायत दायर की जिसमें आरोप लगाया गया कि बीएस येदियुरप्पा ने उस जमीन को दूसरी कंपनी को बेच दिया है.

पढ़ें :- भूमि निस्तारण मामले में येदियुरप्पा के खिलाफ जारी रहेगी जांच : कर्नाटक HC

लोकायुक्त की विशेष अदालत ने पाशा की शिकायत को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि पाशा ने शिकायत दर्ज करने का पूर्व आदेश नहीं लिया है. पाशा ने 2016 में उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उस आदेश को रद्द करने की मांग की थी. उच्च न्यायालय ने कहा किशिकायत दर्ज करवाने के लिए पूर्व आदेश प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होती है. न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के लिए आदेश दिया है.

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