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चीन ने सैन्य स्तर पर बनी सहमति का पालन नहीं किया : भारत - गलवान घाटी

लद्दाख में एलएसी पर गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच सीमा पर संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई है. भारत ने चीन पर गलवान घाटी में यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश करने और सैन्य स्तर पर बनी सहमति का पालन नहीं करने का आरोप लगाया है. पढ़ें पूरी खबर...

protest against china
चीन के खिलाफ प्रदर्शन
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Published : Jun 17, 2020, 1:55 PM IST

नई दिल्ली : लद्दाख में एलएसी पर गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच सीमा पर संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई है. भारत ने चीन पर गलवान घाटी में यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश करने का आरोप लगाया है, जिसके कारण दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई.

विदेश मंत्रालय द्वारा मंगलवार देर शाम जारी किए गए औपचारिक बयान में यह भी कहा गया है कि सोमवार की रात को हुई हिंसक झड़पों में दोनों देशों के सैनिक हताहत हुए हैं.

भारत-चीन सीमा पर 1975 के बाद से पहली बार हुई हिंसा में हमारे सैनिक शहीद हो गए. दोनों सेनाओं के बीच कई हफ्तों से तनाव जारी है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत और चीन सैन्य और राजनयिक स्तर पर पूर्वी लद्दाख में सीमा पर स्थिति को सामान्य करने की चर्चा कर रहे थे. दोनों देशों के वरिष्ठ कमांडरों ने 6 जून 2020 को एक महत्वपूर्ण बैठक की और तनाव को कम करने के लिए सहमति जताई थी. इसके बाद जमीनी स्तर पर कमांडरों ने उच्च स्तर पर बनी सहमति को लागू करने के लिए कई बैठकें कीं.

उन्होंने आगे कहा कि हमें उम्मीद थी कि आसानी से सब सामान्य हो जाएगा, चीनी सेना सर्वसम्मति से गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करते हुए पीछे हट गई थी. 15 जून, 2020 की देर शाम और रात में, चीन द्वारा एकतरफा वहां की यथास्थिति को बदलने के प्रयास के परिणामस्वरूप सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई. दोनों पक्षों को हताहत का सामना करना पड़ा. इससे बचा जा सकता था, अगर चीनी पक्ष ने गंभीरता से समझौते का पालन किया होता.

पढ़ें- लद्दाख में एलएसी पर हिंसक झड़प में चीनी सैन्य कमांडर ढेर

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सीमा प्रबंधन पर जिम्मेदाराना दृष्टिकोण जाहिर करते हुए भारत का स्पष्ट तौर पर मानना है कि हमारी सारी गतिविधियां हमेशा एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के भारतीय हिस्से की तरफ हुई हैं. हम चीन से भी ऐसी ही उम्मीद करते हैं.

वहीं, चीन की सरकारी मीडिया ने चीनी सेना के हवाले से दावा किया कि गलवान घाटी पर उसकी हमेशा संप्रभुता रही है और आरोप लगाया कि भारतीय सैनिकों ने जानबूझकर उकसाने वाले हमले किए, जिस कारण गंभीर संघर्ष हुआ और सैनिक हताहत हुए.

गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़पों में भारतीय हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका के बीच नई दिल्ली ने आपातकालीन बैठकें कीं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार दोपहर करीब 75 मिनट तक विदेश मंत्री एस जयशंकर, सीडीएस बिपिन रावत और तीन सेवा प्रमुखों के साथ एक जरूरी बैठक की. शाम को भी राजनाथ सिंह, बिपिन रावत, एस जयशंकर और सेना प्रमुख नरवाने के बीच बैठक हुई थी.

भारतीय अधिकारियों द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि हम सीमा पर शांति बरकरार रखने और बातचीत के माध्यम से मतभेदों के समाधान की आवश्यकता के बारे में दृढ़ता से आश्वस्त हैं. साथ ही, हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए भी दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं.

तनाव के बीच उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच शीर्ष स्तर पर आभासी संवाद या फोन पर बातचीत से तनाव को कम करने के प्रयास किए जा सकते हैं. बता दें कि डोकलाम को लेकर 73 दिनों तक गतिरोध चलने के बाद मोदी और शी ने अनौपचारिक शिखर बैठकें शुरू की थीं, जो वुहान में और बाद में ममल्लापुरम (तमिलनाडु) में आयोजित की गई थी.

(स्मिता शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार)

नई दिल्ली : लद्दाख में एलएसी पर गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच सीमा पर संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई है. भारत ने चीन पर गलवान घाटी में यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश करने का आरोप लगाया है, जिसके कारण दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई.

विदेश मंत्रालय द्वारा मंगलवार देर शाम जारी किए गए औपचारिक बयान में यह भी कहा गया है कि सोमवार की रात को हुई हिंसक झड़पों में दोनों देशों के सैनिक हताहत हुए हैं.

भारत-चीन सीमा पर 1975 के बाद से पहली बार हुई हिंसा में हमारे सैनिक शहीद हो गए. दोनों सेनाओं के बीच कई हफ्तों से तनाव जारी है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत और चीन सैन्य और राजनयिक स्तर पर पूर्वी लद्दाख में सीमा पर स्थिति को सामान्य करने की चर्चा कर रहे थे. दोनों देशों के वरिष्ठ कमांडरों ने 6 जून 2020 को एक महत्वपूर्ण बैठक की और तनाव को कम करने के लिए सहमति जताई थी. इसके बाद जमीनी स्तर पर कमांडरों ने उच्च स्तर पर बनी सहमति को लागू करने के लिए कई बैठकें कीं.

उन्होंने आगे कहा कि हमें उम्मीद थी कि आसानी से सब सामान्य हो जाएगा, चीनी सेना सर्वसम्मति से गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करते हुए पीछे हट गई थी. 15 जून, 2020 की देर शाम और रात में, चीन द्वारा एकतरफा वहां की यथास्थिति को बदलने के प्रयास के परिणामस्वरूप सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई. दोनों पक्षों को हताहत का सामना करना पड़ा. इससे बचा जा सकता था, अगर चीनी पक्ष ने गंभीरता से समझौते का पालन किया होता.

पढ़ें- लद्दाख में एलएसी पर हिंसक झड़प में चीनी सैन्य कमांडर ढेर

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सीमा प्रबंधन पर जिम्मेदाराना दृष्टिकोण जाहिर करते हुए भारत का स्पष्ट तौर पर मानना है कि हमारी सारी गतिविधियां हमेशा एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के भारतीय हिस्से की तरफ हुई हैं. हम चीन से भी ऐसी ही उम्मीद करते हैं.

वहीं, चीन की सरकारी मीडिया ने चीनी सेना के हवाले से दावा किया कि गलवान घाटी पर उसकी हमेशा संप्रभुता रही है और आरोप लगाया कि भारतीय सैनिकों ने जानबूझकर उकसाने वाले हमले किए, जिस कारण गंभीर संघर्ष हुआ और सैनिक हताहत हुए.

गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़पों में भारतीय हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका के बीच नई दिल्ली ने आपातकालीन बैठकें कीं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार दोपहर करीब 75 मिनट तक विदेश मंत्री एस जयशंकर, सीडीएस बिपिन रावत और तीन सेवा प्रमुखों के साथ एक जरूरी बैठक की. शाम को भी राजनाथ सिंह, बिपिन रावत, एस जयशंकर और सेना प्रमुख नरवाने के बीच बैठक हुई थी.

भारतीय अधिकारियों द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि हम सीमा पर शांति बरकरार रखने और बातचीत के माध्यम से मतभेदों के समाधान की आवश्यकता के बारे में दृढ़ता से आश्वस्त हैं. साथ ही, हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए भी दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं.

तनाव के बीच उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच शीर्ष स्तर पर आभासी संवाद या फोन पर बातचीत से तनाव को कम करने के प्रयास किए जा सकते हैं. बता दें कि डोकलाम को लेकर 73 दिनों तक गतिरोध चलने के बाद मोदी और शी ने अनौपचारिक शिखर बैठकें शुरू की थीं, जो वुहान में और बाद में ममल्लापुरम (तमिलनाडु) में आयोजित की गई थी.

(स्मिता शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार)

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