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एल एंड टी निर्मित क्रायोस्टैट बेस विश्व के सबसे बड़े परमाणु संयत्र में स्थापित

लार्सन एंड टूब्रो (एल एंड टी) ने परमाणु इंजीनियरिंग की दुनिया में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. दरअसल देश की इस बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा निर्मित क्रायोस्टैट बेस (आधार) को फ्रांस में स्थित दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु संलयन परियोजना में स्थापित किया गया है. इस 1,250 टन वजनी क्रायोस्टैट के अलग-अलग भाग कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान फ्रांस पहुंचाए गए, ताकि वहां उन्हें जोड़ा जा सके.

फ्रांस में क्रायोस्टैट बेस को स्थापित किया गया
फ्रांस में क्रायोस्टैट बेस को स्थापित किया गया
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Published : Jun 10, 2020, 4:31 PM IST

मुंबई : देश की बहुराष्ट्रीय कंपनी लार्सन एंड टूब्रो (एल एंड टी) द्वारा निर्मित क्रायोस्टैट बेस को फ्रांस स्थित दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु संलयन परियोजना में स्थापित किया गया है. परमाणु इंजीनियरिंग की दुनिया में कंपनी की यह एक बड़ी उपलब्धि है.

कंपनी की हैवी इंजीनियरिंग इकाई ने मंगलवार को बताया कि 1,250 टन वजनी क्रायोस्टैट बेस (आधार) को हाल ही में सफलतापूर्वक ले जाया गया और फ्रांस की रिएक्टर बिल्डिंग में स्थापित किया गया. यह क्रायोस्टैट बेस परमाणु संलयन संयत्र का सबसे बड़ा एकल भाग है.

क्रायोस्टैट के अलग-अलग भाग कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान फ्रांस पहुंचाए गए ताकि वहां उनको जोड़ा जा सके. क्रायोस्टैट रिएक्टर वैक्यूम पोत और चुंबक के आसपास एक वैक्यूम-टाइट कंटेनर बनाता है और यह एक बहुत बड़े रेफ्रिजरेटर के रूप में कार्य करता है ताकि रिएक्टर के तापमान को संतुलित रखा जा सके.

यह रिएक्टर बेस क्रायोस्टैट एक उच्च वैक्यूम दबाव कक्ष है और स्टेनलेस स्टील निर्मित दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे भारी टोकामैक घटक है. यह रिएक्टर के बाकी हिस्से को संतुलित रखेगा.

भारत उन सात शीर्ष देशों में शामिल है, जो फ्रांस के कैडरेच में 20 अरब डॉलर की लागत से संचालित अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर (ITER) कार्यक्रम को फंडिंग कर रहे हैं. यह दुनिया की सबसे बड़ी शोध परियोजना में से एक है, जो फ्यूजन शक्ति के वैज्ञानिक और तकनीकी व्यवहार्यता का प्रदर्शन करना चाहती है.

आईटीईआर के महानिदेशक बर्नार्ड बिगोट ने कहा, 'आईटीईआर टोकामैक इमारत में क्रायोस्टैट बेस की स्थापना अन्य डाउनस्ट्रीम गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण है, जिसका लक्ष्य यथाशीघ्र 2025 के अंत तक पहले प्लाज्मा का मिशन प्राप्त करना है.

पढ़ें : ईरान ने परमाणु संबंधित प्रतिबंधों को रद करने पर अमेरिका की निंदा की

एल एंड टीम ने मार्च 2019 में क्रायोस्टैट के निचला सिलेंडर की डेलिवरी की थी और इस साल मार्च में ऊपरी सिलेंडर दिया. क्रायोस्टैट के शीर्ष ढक्कन क्षेत्रों को जुलाई में हजीरा से भेजा जाएगा.

कंपनी की हैवी इंजीनियरिंग शाखा के प्रमुख और कार्यकारी उपाध्यक्ष अनिल वी. परब ने कहा कि आईटीईआर अपनी तरह का पहला फ्यूचरिस्टिक ग्लोबल प्रोजेक्ट है. इस तरह की जटिल परियोजनाओं की सफल डेलिवरी करना एल एंड टी की खूबी है. क्रायोस्टैट सबसे बड़ा वैक्यूम पोत है, जो 29.4 मीटर व्यास के साथ बनाया गया है. इसकी ऊंचाई 29 मीटर और इसका वजन 3,850 टन है.

एल एंड टी के हैवी इंजीनियरिंग व्यवसाय ने 2012 में यह प्रतिष्ठित अनुबंध पाया था. परमाणु ऊर्जा विभाग का एक विंग आईटीईआर इंडिया इस महत्वाकांक्षी वैज्ञानिक परियोजना के लिए भारतीय भागीदारी का प्रभारी है.

मुंबई : देश की बहुराष्ट्रीय कंपनी लार्सन एंड टूब्रो (एल एंड टी) द्वारा निर्मित क्रायोस्टैट बेस को फ्रांस स्थित दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु संलयन परियोजना में स्थापित किया गया है. परमाणु इंजीनियरिंग की दुनिया में कंपनी की यह एक बड़ी उपलब्धि है.

कंपनी की हैवी इंजीनियरिंग इकाई ने मंगलवार को बताया कि 1,250 टन वजनी क्रायोस्टैट बेस (आधार) को हाल ही में सफलतापूर्वक ले जाया गया और फ्रांस की रिएक्टर बिल्डिंग में स्थापित किया गया. यह क्रायोस्टैट बेस परमाणु संलयन संयत्र का सबसे बड़ा एकल भाग है.

क्रायोस्टैट के अलग-अलग भाग कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान फ्रांस पहुंचाए गए ताकि वहां उनको जोड़ा जा सके. क्रायोस्टैट रिएक्टर वैक्यूम पोत और चुंबक के आसपास एक वैक्यूम-टाइट कंटेनर बनाता है और यह एक बहुत बड़े रेफ्रिजरेटर के रूप में कार्य करता है ताकि रिएक्टर के तापमान को संतुलित रखा जा सके.

यह रिएक्टर बेस क्रायोस्टैट एक उच्च वैक्यूम दबाव कक्ष है और स्टेनलेस स्टील निर्मित दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे भारी टोकामैक घटक है. यह रिएक्टर के बाकी हिस्से को संतुलित रखेगा.

भारत उन सात शीर्ष देशों में शामिल है, जो फ्रांस के कैडरेच में 20 अरब डॉलर की लागत से संचालित अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर (ITER) कार्यक्रम को फंडिंग कर रहे हैं. यह दुनिया की सबसे बड़ी शोध परियोजना में से एक है, जो फ्यूजन शक्ति के वैज्ञानिक और तकनीकी व्यवहार्यता का प्रदर्शन करना चाहती है.

आईटीईआर के महानिदेशक बर्नार्ड बिगोट ने कहा, 'आईटीईआर टोकामैक इमारत में क्रायोस्टैट बेस की स्थापना अन्य डाउनस्ट्रीम गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण है, जिसका लक्ष्य यथाशीघ्र 2025 के अंत तक पहले प्लाज्मा का मिशन प्राप्त करना है.

पढ़ें : ईरान ने परमाणु संबंधित प्रतिबंधों को रद करने पर अमेरिका की निंदा की

एल एंड टीम ने मार्च 2019 में क्रायोस्टैट के निचला सिलेंडर की डेलिवरी की थी और इस साल मार्च में ऊपरी सिलेंडर दिया. क्रायोस्टैट के शीर्ष ढक्कन क्षेत्रों को जुलाई में हजीरा से भेजा जाएगा.

कंपनी की हैवी इंजीनियरिंग शाखा के प्रमुख और कार्यकारी उपाध्यक्ष अनिल वी. परब ने कहा कि आईटीईआर अपनी तरह का पहला फ्यूचरिस्टिक ग्लोबल प्रोजेक्ट है. इस तरह की जटिल परियोजनाओं की सफल डेलिवरी करना एल एंड टी की खूबी है. क्रायोस्टैट सबसे बड़ा वैक्यूम पोत है, जो 29.4 मीटर व्यास के साथ बनाया गया है. इसकी ऊंचाई 29 मीटर और इसका वजन 3,850 टन है.

एल एंड टी के हैवी इंजीनियरिंग व्यवसाय ने 2012 में यह प्रतिष्ठित अनुबंध पाया था. परमाणु ऊर्जा विभाग का एक विंग आईटीईआर इंडिया इस महत्वाकांक्षी वैज्ञानिक परियोजना के लिए भारतीय भागीदारी का प्रभारी है.

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