चंडीगढ़ : हरियाणा विधानसभा चुनाव में माना जा रहा था कि टिक टॉक स्टार और कांग्रेस नेता कुलदीप बिश्नोई के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी, लेकिन अब परिणाम ऐसे आए हैं, जो बीजेपी के लिए बड़ा झटका है. यहां कुलदीप बिश्नोई ने बड़ी ही आसानी से जीत दर्ज कर ली है. इस सीट पर बीजेपी की टिक टॉक स्टार का जादू नहीं चल पाया है.
हरियाणा के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे चौधरी भजन लाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई को राजनीति विरासत में मिली. राज्य गठन के बाद से साल 2014 तक हुए विधानसभा के 12 चुनाव में से 11 बार से लगातार बिश्नोई परिवार के वर्चस्व वाली आदमपुर सीट पर एक बार कुलदीप बिश्नोई ने अपना दबदबा कायम रखा.
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51 साल के कुलदीप अब आदमपुर सीट से चार बार विधायक और दो बार सांसद बन चुके हैं. वह पहली बार हिसार तो दूसरी बार भिवानी से सांसद बने हैं. भाजपा ने उन्हें घेरने के लिए सेलेब्रिटी का दांव खेला जरूर लेकिन कुछ काम नहीं आया.
कुलदीप बिश्नोई का राजनीतिक सफर
- 1998 में पिता भजन लाल की परंपरागत सीट आदमपुर से विधायक निर्वाचित हुए.
- 2004 में चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला और पूर्व मुख्यमंत्री बंशीलाल बेट बेटों को लोकसभा चुनाव में हराया, सांसद निर्वाचित हुए.
- 2007 में कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा जनहित कांग्रेस (भजनलाल) बनाई, सार्वजनिक तौर पर हुड्डा का विरोध किया.
- 2009 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की 89 सीटों पर चुनाव लड़ा, छह सीटें जीतीं, हालांकि सभी विधायक कांग्रेस में चले गए.
- 2011 में पिता भजन लाल के निधन के बाद भाजपा से गठबंधन किया. लोकसभा उपचुनाव लड़ा और अभय चौटाला को हराया.
- 2014 में विधानसभा चुनाव से पूर्व गठबंधन टूट गया. इस चुनाव में वह और उनकी पत्नी जीते थे.
- 2016 में कांग्रेस के तत्कालीन उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिले और पार्टी का विलय कर दिया.
वहीं हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन के बीच एक बड़े उलटफेर की खबर सामने आई है. हरियाणा कांग्रेस के कद्दावर नेता और कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला को कैथल विधानसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा है. रणदीप सुरजेवाला को बीजेपी के लीला राम गुर्जर ने हराया है. लीला राम गुर्जर ने रणदीप सुरजेवाला को 567 वोटों से हराया.
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कैथल सीट से तीसरी बार चुनाव मैदान में थे सुरजेवाला
रणदीप सुरजेवाला कैथल विधानसभा सीट से तीसरी बार चुनाव मैदान में उतरे थे. इससे पहले रणदीप सुरजेवाला 2009 और 2014 में कैथल विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हो चुके हैं.
हरियाणा में कैथल सीट पर रणदीप सुरजेवाला की हार कांग्रेस के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है. क्योंकि रणदीप सुरजेवाला प्रदेश कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक हैं और कांग्रेस की ओर से सीएम फेस के रुप में उनकी गिनती होती है.
जींद उपचुनाव में भी मिली थी हार
इससे पहले फरवरी 2019 में जींद में हुए विधानसभा के उपचुनाव में भी रणदीप सुरजेवाला को हार का सामना करना पड़ा था. वहीं अब विधानसभा के चुनाव में भी रणदीप सुरजेवाला को हार का सामना करना पड़ा है. जिससे उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा को भी गहरा धक्का लगा है.
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पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को हरा चुके हैं सुरजेवाला
रणदीप सुरजेवाला 7वीं बार चुनाव मैदान में थे. हरियाणा की राजनीति में उनके कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी ने उन्हें 1996 और 2005 के चुनावों में इंडियन नेशनल लोकदल के नेता और मुख्यमंत्री रहे ओम प्रकाश चौटाला के खिलाफ मैदान में उतारा था और दोनों बार सुरजेवाला ने उन्हें शिकस्त दी थी.
साल 2014 के विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस का प्रदर्शन काफी खराब चल रहा था लेकिन रणदीप सिंह सुरजेवाला इस दौरान भी अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे.