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जिस बशीर अहमद को BSF ने दी नई जिंदगी, वो कुछ पैसों के लिए बन गया आतंकी !

मात्र 3 हजार रुपयों के लालच में आकर BSF के मुखबिर बशीर अहमद ने आतंक का रास्ता अपना लिया. रुपयों के लालच में वह जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करने लगा. जानें कौन है ये शख्स और क्या है पूरा मामला...

जिस बशीर अहमद को BSF ने दी थी नई जिंदगी, वो सिर्फ 3 हजार के लिए बन गया आतंकी.
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Published : Jul 17, 2019, 8:13 PM IST

Updated : Jul 17, 2019, 9:02 PM IST

नई दिल्ली: आतंकी बशीर अहमद की गिरफ्तारी के बाद कई सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार आतंकी बशीर अहमद पहले BSF का मुखबीर था जो बाद में चंद पैसों के लालच में आतंकवादी बन गया.

रुपयों के लालच में आकर बशीर ने आतंक का रास्ता अपना लिया. उसने केवल खुद को नहीं बल्कि कई अन्य साथियों को भी जैश-ए-मोहम्मद से जोड़ने का काम किया.

देखें वीडियो.

कैसे बना आतंकवादी
डीसीपी संजीव यादव के अनुसार बशीर अहमद जम्मू कश्मीर के सोपोर का रहने वाला है. उसके पिता मछली पकड़ने का काम करते थे. बशीर पहले अपने शहर में रेहड़ी पर फल बेचता था. साल 1990 में जब कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था तो बशीर अहमद हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया.

पीओके जाकर उसने हथियार और बम चलाने की ट्रेनिंग ली. लेकिन वहां से लौटने के बाद उसने बीएसएफ के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और उनका खबरी बन गया.

पढ़ें: सलवार-सूट पहनकर WWE में रेसलिंग करती हैं ये 'लेडी खली', देश का किया नाम रोशन

पैसे के लालच ने बनाया आतंकी
साल 2002 में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी गुलाम रसूल धोती से उसकी मुलाकात हुई. उसने रुपये का लालच देकर उसे जैश ए मोहम्मद में शामिल कर लिया. इसके लिए उसने बशीर अहमद को केवल तीन हजार रुपये दिए थे. जिसके बाद उसे जैश-ए-मोहम्मद के लिए कुछ अन्य लोगों को भर्ती करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

बशीर अहमद ने गुलाम रसूल को परवेज अहमद राडू से मिलवाया जो पुणे में पढ़ता था. रुपयों की लालच में वह भी जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करने को तैयार हो गया. उसे आतंकी संगठन के लिए फंड एकत्रित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

हथियार मुहैया करवाने आया था दिल्ली
बाद में साल 2006 में जम्मू में हुए सुरक्षा बल के साथ मुठभेड़ में गुलाम रसूल मारा गया था. इस दौरान बशीर अहमद पाक द्वारा प्रशिक्षित आतंकी अल्ताफ अहमद किरमानी के संपर्क में आया. उसने बशीर अहमद को हैदर से मिलवाया जिसने उसे जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करने को कहा. वह जैश-ए- मोहम्मद को रुपये की लालच में मदद करने लगा.

उसने ही अब्दुल माजिद बाबा और फैयाज अहमद लोन को दिल्ली में धमाके के लिए जैश की मदद के लिए चुना था. उनका मकसद आतंकियों को यहां हथियार और रहने की जगह मुहैया कराने में मदद करना था.

नई दिल्ली: आतंकी बशीर अहमद की गिरफ्तारी के बाद कई सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार आतंकी बशीर अहमद पहले BSF का मुखबीर था जो बाद में चंद पैसों के लालच में आतंकवादी बन गया.

रुपयों के लालच में आकर बशीर ने आतंक का रास्ता अपना लिया. उसने केवल खुद को नहीं बल्कि कई अन्य साथियों को भी जैश-ए-मोहम्मद से जोड़ने का काम किया.

देखें वीडियो.

कैसे बना आतंकवादी
डीसीपी संजीव यादव के अनुसार बशीर अहमद जम्मू कश्मीर के सोपोर का रहने वाला है. उसके पिता मछली पकड़ने का काम करते थे. बशीर पहले अपने शहर में रेहड़ी पर फल बेचता था. साल 1990 में जब कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था तो बशीर अहमद हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया.

पीओके जाकर उसने हथियार और बम चलाने की ट्रेनिंग ली. लेकिन वहां से लौटने के बाद उसने बीएसएफ के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और उनका खबरी बन गया.

पढ़ें: सलवार-सूट पहनकर WWE में रेसलिंग करती हैं ये 'लेडी खली', देश का किया नाम रोशन

पैसे के लालच ने बनाया आतंकी
साल 2002 में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी गुलाम रसूल धोती से उसकी मुलाकात हुई. उसने रुपये का लालच देकर उसे जैश ए मोहम्मद में शामिल कर लिया. इसके लिए उसने बशीर अहमद को केवल तीन हजार रुपये दिए थे. जिसके बाद उसे जैश-ए-मोहम्मद के लिए कुछ अन्य लोगों को भर्ती करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

बशीर अहमद ने गुलाम रसूल को परवेज अहमद राडू से मिलवाया जो पुणे में पढ़ता था. रुपयों की लालच में वह भी जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करने को तैयार हो गया. उसे आतंकी संगठन के लिए फंड एकत्रित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

हथियार मुहैया करवाने आया था दिल्ली
बाद में साल 2006 में जम्मू में हुए सुरक्षा बल के साथ मुठभेड़ में गुलाम रसूल मारा गया था. इस दौरान बशीर अहमद पाक द्वारा प्रशिक्षित आतंकी अल्ताफ अहमद किरमानी के संपर्क में आया. उसने बशीर अहमद को हैदर से मिलवाया जिसने उसे जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करने को कहा. वह जैश-ए- मोहम्मद को रुपये की लालच में मदद करने लगा.

उसने ही अब्दुल माजिद बाबा और फैयाज अहमद लोन को दिल्ली में धमाके के लिए जैश की मदद के लिए चुना था. उनका मकसद आतंकियों को यहां हथियार और रहने की जगह मुहैया कराने में मदद करना था.

Intro:नई दिल्ली
स्पेशल सेल द्वारा पकड़ा गया बशीर अहमद किसी समय बीएसएफ का मुखबिर हुआ करता था. लेकिन चंद रुपयों के लालच में आकर उसने आतंक का रास्ता अपना लिया. उसने न केवल खुद बल्कि कई अन्य साथियों को भी जैश-ए- मोहम्मद से जोड़ने का काम किया. दिल्ली में वर्ष 2007 में जब वह गिरफ्तार हुआ तो उस समय उसके साथ पकड़े गए दो अन्य कश्मीरी युवकों को भी वही लेकर आया था. Body:डीसीपी संजीव यादव के अनुसार बशीर अहमद जम्मू कश्मीर के सोपोर का रहने वाला है. उसके पिता मछली पकड़ने का काम करते थे. बशीर पहले अपने शहर में रेहड़ी पर फल बेचता था. वर्ष 1990 में जब कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था तो उसका रिश्तेदार बशीर अहमद नू हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया. पीओके जाकर उसने हथियार और विस्फोटक चलाने की ट्रेनिंग भी ली. लेकिन वहां से लौटने के बाद उसने बीएसएफ के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और उनका खबरी बन गया


रिश्तेदार ने बनाया बशीर अहमद को खबरी

बशीर नू के इशारे पर बशीर अहमद पोनू भी बीएसएफ का खबरी बन गया. वर्ष 2002 में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी गुलाम रसूल धोती से उसकी मुलाकात हुई. उसने रुपए का लालच देकर उसे जैश ए मोहम्मद में शामिल कर लिया. इसके लिए उसने बशीर अहमद को केवल तीन हजार रुपये दिए थे. उसे जैश-ए-मोहम्मद के लिए कुछ अन्य लोगों को भर्ती करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. बशीर अहमद ने गुलाम रसूल को परवेज अहमद राडू से मिलवाया जो पुणे में पढ़ता था. रुपयों के लालच में वह भी जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करने को तैयार हो गया. उसे आतंकी संगठन के लिए हवाला के रुपए एकत्रित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. यह रकम लेकर उसे कश्मीर आना था.



Conclusion:आतंकियों को हथियार मुहैया करवाने आया था दिल्ली
इस दौरान गुलाम रसूल को स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया था. वहीं बाद में वर्ष 2006 में जम्मू में हुए सुरक्षा बल के साथ मुठभेड़ में गुलाम रसूल मारा गया था. इस दौरान बशीर अहमद पाक द्वारा प्रशिक्षित आतंकी अल्ताफ अहमद किरमानी से संपर्क में आया. उसने बशीर अहमद को हैदर से मिलवाया जिसने उसे जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करने को कहा. वह जैश-ए- मोहम्मद को रुपए के लालच में मदद करने लगा. उसने ही अब्दुल माजिद बाबा और फैयाज अहमद लोन को दिल्ली में धमाके के लिए जैश की मदद के लिए चुना था. उनका मकसद आतंकियों को यहां हथियार एवं रहने की जगह मुहैया कराने में मदद करना था.
Last Updated : Jul 17, 2019, 9:02 PM IST
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