ETV Bharat / bharat

हरियाणा : जानिए अंबाला एयरबेस को ही क्यों सौंपी गई राफेल की कमान?

author img

By

Published : Jul 29, 2020, 7:46 AM IST

जिस लड़ाकू विमान का पूरे देश को काफी वक्त से इंतजार था, वो राफेल विमान भारतीय वायुसेना को सौंपा जा चुका है. पहली खेप में 5 राफेल विमान आज अंबाला एयरबेस पर पहुंच रहे हैं. इस रिपोर्ट में जानिए कि राफेल की क्या खासियत है और इसे अंबाला एयरबेस के लिए ही क्यों चुना गया. पढ़ें पूरी खबर....

ambala airbase
अंबाला एयरबेस

अंबाला : चीन से तनातनी के बीच पांच राफेल विमान की पहली खेप आज भारत के अंबाला एयरबेस पर पहुंच रहा है. इन पांच विमानों में तीन सिंगल सीटर और दो डबल सीटर विमान शामिल हैं. यह विमान भारतीय वायु सेना के स्क्वाड्रन नंबर 17 'द गोल्डन एरोज' में शामिल किए गए हैं. अंबाला स्थित एयरबेस को यह पांच राफेल विमान सौंपे गए हैं.

अंबाला एयरबेस को ही क्यों चुना गया?

बता दें कि, अंबाला एयरबेस का भी अपना गौरवशाली इतिहास और बहादुरी के कई किस्से हैं. यहां पर भारत के जंगी बेड़े की सबसे घातक और सुपरसोनिक मिसाइल, ब्रह्मोस की स्क्वाड्रन भी तैनात है. साथ ही अंबाला एयरबेस इकलौता एयरबेस है जहां से चीन और पाकिस्तान की सीमाओं तक महज 15 मिनट में पहुंचा जा सकता है और किसी भी युद्ध का अंजाम बदला जा सकता है.

अंबाला एयरबेस और राफेल

इंडियन एयर फोर्स के एक्स सार्जेंट खुशबीर सिंह दत्त ने बताया कि अंबाला एयरबेस के बेड़े पर इन लड़ाकू विमानों को शामिल करने का काफी अधिक महत्व है. इससे पहले भी जितनी बार युद्ध हुए हैं हमेशा दुश्मन की सेनाएं अंबाला एयरबेस को ही टारगेट बनाती थी ताकि मिलिट्री को किसी भी तरह की वायु सेना की मदद न प्राप्त हो सके.

राफेल विमान की खासियत

  • दुनिया के सबसे ताकतवर लडाकू विमानों में शुमार राफेल एक मिनट में 60 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है.
  • यह विमान एक मिनट में 2500 राउंड फायरिंग की क्षमता रखता है.
  • इसकी अधिकतम स्पीड 2130 किमी/घंटा है और यह 3700 किमी तक मारक क्षमता रखता है.
  • इस विमान में एक बार में 24,500 किलो तक का वजन ले जाया जा सकता है, जो कि पाकिस्तान के एफ-16 से 5300 किलो ज्यादा है.
  • राफेल न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है. पाकिस्तान के सबसे ताकतवर फाइटर जेट एफ-16 और चीन के जे-20 में भी यह खूबी नहीं है.
  • हवा से लेकर जमीन तक हमला करने की काबिलियत रखने वाले राफेल में 3 तरह की मिसाइलें लगेंगी. हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल. हवा से जमीन में मार करने वाली स्कैल्प मिसाइल और तीसरी है हैमर मिसाइल. इन मिसाइलों से लैस होने के बाद राफेल काल बनकर दुश्मनों पर टूट पड़ेगा.

द गोल्डन एरोज स्क्वाड्रन को मिलेगी कमान

राफेल विमानों का यह बेड़ा एयरफोर्स की 17वीं स्क्वाड्रन को सौंपा गया है. इस स्क्वाड्रन को द गोल्डन एरोज (The Golden Arrows) के नाम से जाना जाता है. इस स्क्वाड्रन का भी बड़ा गौरवशाली इतिहास है.

अंबाला के एयरफोर्स स्टेशन में स्थित यह वही स्क्वाड्रन है जिसने 1999 में करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था. तब इस स्क्वाड्रन की कमांड पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ के हाथों में थी. तब वे इस स्क्वॉड्रन के विंग कमांडर थे. 17वीं स्क्वाड्रन के बमबर्षक में मिग-21 प्रमुख रूप से शामिल थे.

पढ़ें- आज अंबाला एयरबेस पहुंचेंगे पांच राफेल विमान, जानें क्या हैं तैयारियां

जब देश में मिग-21 विमानों की दुर्घटना ज्यादा होने लगी तो इस विमान को वायुसेना से बाहर किया जाने लगा. इसके बाद 2016 में इस स्क्वाड्रन को भंग कर दिया था, लेकिन राफेल मिलने के साथ ही इस स्क्वाड्रन को फिर से सक्रिय किया गया है.

सितंबर 2019 में द गोल्डन एरोज को एक बार फिर से बहाल कर दिया गया. सरकार ने फैसला किया कि नए राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती यहीं पर की जाएगी. इसी के साथ ही हवा के यह जांबाज राफेल की ताकत से लैस होकर देश की हिफाजत करने को फिर से तैयार हैं.

भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदें हैं जिसमें से 5 विमान आ चुके हैं और बाकी विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक पूरी हो जाएगी. भारतीय वायुसेना में राफेल की एंट्री के साथ ही अब कोई भी मुल्क भारत की ओर नजर उठाकर देखने से पहले 10 बार सोचेगा.

अंबाला : चीन से तनातनी के बीच पांच राफेल विमान की पहली खेप आज भारत के अंबाला एयरबेस पर पहुंच रहा है. इन पांच विमानों में तीन सिंगल सीटर और दो डबल सीटर विमान शामिल हैं. यह विमान भारतीय वायु सेना के स्क्वाड्रन नंबर 17 'द गोल्डन एरोज' में शामिल किए गए हैं. अंबाला स्थित एयरबेस को यह पांच राफेल विमान सौंपे गए हैं.

अंबाला एयरबेस को ही क्यों चुना गया?

बता दें कि, अंबाला एयरबेस का भी अपना गौरवशाली इतिहास और बहादुरी के कई किस्से हैं. यहां पर भारत के जंगी बेड़े की सबसे घातक और सुपरसोनिक मिसाइल, ब्रह्मोस की स्क्वाड्रन भी तैनात है. साथ ही अंबाला एयरबेस इकलौता एयरबेस है जहां से चीन और पाकिस्तान की सीमाओं तक महज 15 मिनट में पहुंचा जा सकता है और किसी भी युद्ध का अंजाम बदला जा सकता है.

अंबाला एयरबेस और राफेल

इंडियन एयर फोर्स के एक्स सार्जेंट खुशबीर सिंह दत्त ने बताया कि अंबाला एयरबेस के बेड़े पर इन लड़ाकू विमानों को शामिल करने का काफी अधिक महत्व है. इससे पहले भी जितनी बार युद्ध हुए हैं हमेशा दुश्मन की सेनाएं अंबाला एयरबेस को ही टारगेट बनाती थी ताकि मिलिट्री को किसी भी तरह की वायु सेना की मदद न प्राप्त हो सके.

राफेल विमान की खासियत

  • दुनिया के सबसे ताकतवर लडाकू विमानों में शुमार राफेल एक मिनट में 60 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है.
  • यह विमान एक मिनट में 2500 राउंड फायरिंग की क्षमता रखता है.
  • इसकी अधिकतम स्पीड 2130 किमी/घंटा है और यह 3700 किमी तक मारक क्षमता रखता है.
  • इस विमान में एक बार में 24,500 किलो तक का वजन ले जाया जा सकता है, जो कि पाकिस्तान के एफ-16 से 5300 किलो ज्यादा है.
  • राफेल न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है. पाकिस्तान के सबसे ताकतवर फाइटर जेट एफ-16 और चीन के जे-20 में भी यह खूबी नहीं है.
  • हवा से लेकर जमीन तक हमला करने की काबिलियत रखने वाले राफेल में 3 तरह की मिसाइलें लगेंगी. हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल. हवा से जमीन में मार करने वाली स्कैल्प मिसाइल और तीसरी है हैमर मिसाइल. इन मिसाइलों से लैस होने के बाद राफेल काल बनकर दुश्मनों पर टूट पड़ेगा.

द गोल्डन एरोज स्क्वाड्रन को मिलेगी कमान

राफेल विमानों का यह बेड़ा एयरफोर्स की 17वीं स्क्वाड्रन को सौंपा गया है. इस स्क्वाड्रन को द गोल्डन एरोज (The Golden Arrows) के नाम से जाना जाता है. इस स्क्वाड्रन का भी बड़ा गौरवशाली इतिहास है.

अंबाला के एयरफोर्स स्टेशन में स्थित यह वही स्क्वाड्रन है जिसने 1999 में करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था. तब इस स्क्वाड्रन की कमांड पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ के हाथों में थी. तब वे इस स्क्वॉड्रन के विंग कमांडर थे. 17वीं स्क्वाड्रन के बमबर्षक में मिग-21 प्रमुख रूप से शामिल थे.

पढ़ें- आज अंबाला एयरबेस पहुंचेंगे पांच राफेल विमान, जानें क्या हैं तैयारियां

जब देश में मिग-21 विमानों की दुर्घटना ज्यादा होने लगी तो इस विमान को वायुसेना से बाहर किया जाने लगा. इसके बाद 2016 में इस स्क्वाड्रन को भंग कर दिया था, लेकिन राफेल मिलने के साथ ही इस स्क्वाड्रन को फिर से सक्रिय किया गया है.

सितंबर 2019 में द गोल्डन एरोज को एक बार फिर से बहाल कर दिया गया. सरकार ने फैसला किया कि नए राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती यहीं पर की जाएगी. इसी के साथ ही हवा के यह जांबाज राफेल की ताकत से लैस होकर देश की हिफाजत करने को फिर से तैयार हैं.

भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदें हैं जिसमें से 5 विमान आ चुके हैं और बाकी विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक पूरी हो जाएगी. भारतीय वायुसेना में राफेल की एंट्री के साथ ही अब कोई भी मुल्क भारत की ओर नजर उठाकर देखने से पहले 10 बार सोचेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.