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सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन गलियारा का क्यों है महत्व, जानें - चिकन नेक की भौगोलिक स्थिति

संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इसी में से एक विरोध प्रदर्शन के दौरान जेएनयू के पीएचडी छात्र शरजील इमाम ने भड़काऊ भाषण देकर पूवोत्तर भारत को शेष भारत से जोड़ने वाली सड़क को काटने की अपील की थी. शरजील इमाम के इस बयान के बाद यह इलाका चर्चा में आ गया है, जिसे हम चिकन नेक या सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नाम से जानते हैं. आइए जानते हैं क्या है यह गलियारा और क्या है इसकी महत्ता.

siliguri corridor
चिकन नेक गलियारा
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Published : Feb 13, 2020, 7:11 AM IST

Updated : Mar 1, 2020, 4:09 AM IST

हैदराबाद : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान जेएनयू में पीएचडी के छात्र और मार्क्सवादी कार्यकर्ता शरजील इमाम के भड़काऊ भाषण के बाद भारत का वह भाग चर्चा में आ गया है, जो पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत से जोड़ता है. उसे हम चिकन नेक या सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नाम से जानते हैं. अपने भड़काऊ भाषण में शरजील इमाम ने पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत से जोड़ने वाली सड़क पर बाधा उत्पन्न करने की अपील की थी. इसका मतहब है कि ऐसी स्थितियां पैदा की जाएं, जिससे इन राज्यों तक भारत की सेना के आने-जाने और उसकी रसद सप्लाई के रास्ते बंद हो जाएं. दरअसल भारत के इस महत्वपूर्ण सामरिक क्षेत्र को चिकन नेक के नाम से पहचाना जाता है. आइए हम जानते हैं कि चिकन नेक हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण है.

यह सामरिक रूप से पूर्वोत्तर भारत का एक अहम हिस्सा है. भारत के कई पड़ोसी देशों जैसे भूटान, नेपाल, बग्लांदेश और चीन के पास स्थित होने की वजह से इसकी अहमियत बढ़ जाती है. इस इलाके को शेष भारत से एक गलियारा जोड़ता है, जिसे सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन नेक के नाम से जाना जाता है. यह कॉरिडोर भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के सिलीगुड़ी शहर से होकर गुजरता है. यह एक तंग गलियारा है, जिसकी लंबाई 60 किलोमीटर और चौड़ाई 22 किलोमीटर है. यह गलियारा भारत के उत्तर-पूर्व राज्यों को अन्य राज्यों से जोड़ता है.

कहां है चिकन नेक गलियारा

कब बना था यह गलियारा
1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद सिलीगुड़ी कॉरिडोर बना था. 1975 में सिक्किम के भारत में विलय के बाद यह गलियारा पूरी तरह से भारत में आ गया. इसके दक्षिण और पश्चिम में बंगाल और उत्तर में चीन होने की वजह से इसकी अहमियत बढ़ जाती है.

वर्तमान भौगोलिक स्थिति
चिकन नेक गलियारे की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह तीन देशों के बीच से होकर गुजरता है. सेना और असम राइफल्स, सीमा सुरक्षा बल और पश्चिम बंगाल की पुलिस यहां पर गश्त करती है. पूर्वोत्तर राज्यों की सड़क परिवहन इसी गलियारे से होकर जाता है. इस मार्ग में एक ब्राड गेज रेलवे लाइन भी है, जिसका चौड़ीकरण और विद्युतीकरण चल रहा है. राष्ट्रीय राजमार्ग दस सिलीगुड़ी को असम में गुवाहाटी से जोड़ता है, जो इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण मार्ग है. भारत और बंग्लादेश के बीच अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है, जिससे भारत बंग्लादेश की भूमि का उपयोग कर सके. भविष्य में यदि ऐसा हुआ तो विकल्प के तौर पर टेंट्रलिया कॉरिडोर (जो बंग्लादेश के तेतुलिया उप जिले से गुजरती है) का उपयोग किया जा सकता है. सामरिक दृष्टि से चीन के निकट होने के कारण इसकी सुरक्षा भारत के लिए बेहद अहम हो जाती है.

इस क्षेत्र को क्यों कहते हैं चिकन नेक
चिकन नेक किसी देश का सामरिक रूप से अहम क्षेत्र होता है और संरचनात्मक रूप से कमजोर भी होता है. सिलीगुड़ी की भी यही स्थिति है. इसलिए सिलीगुड़ी को चिकन नेक कहा जाता है.

सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा
सिलीगुड़ी गलियारे की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह तीन देशों के बीच में आता है. इसी वजह से इतना संवेदनशील भी है कि यहां सेना और असम राइफल्स, सीमा सुरक्षा बल और पश्चिम बंगाल की पुलिस गश्त करती है. गलियारे की सुरक्षा के लिए भारत की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) को नेपाली, भूटानी और बंग्लादेशी गतिविधियों पर बारीक नजर बनाए रखनी होती है. माना जाता है कि यह गलियारा अवैध बंग्लादेशियों के उपयोग में भी काम आता रहता है. कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) नेपाल के विद्रोहियों के माध्यम से इस क्षेत्र में घुसपैठ करने का प्रयास करता है. इसलिए एक भारत का एक संवेदनशील इलाका माना जाता है.

चीन के साथ विवाद
1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद चीन लगातार ऐसे प्रयासों में जुटा हुआ है, जिसकी असली वजह है कि पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत से काटकर कब्जा करना है.1965 और 1971 के युद्ध में इस क्षेत्र में टैंकों से भीषण लड़ाई हुई थी.

हैदराबाद : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान जेएनयू में पीएचडी के छात्र और मार्क्सवादी कार्यकर्ता शरजील इमाम के भड़काऊ भाषण के बाद भारत का वह भाग चर्चा में आ गया है, जो पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत से जोड़ता है. उसे हम चिकन नेक या सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नाम से जानते हैं. अपने भड़काऊ भाषण में शरजील इमाम ने पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत से जोड़ने वाली सड़क पर बाधा उत्पन्न करने की अपील की थी. इसका मतहब है कि ऐसी स्थितियां पैदा की जाएं, जिससे इन राज्यों तक भारत की सेना के आने-जाने और उसकी रसद सप्लाई के रास्ते बंद हो जाएं. दरअसल भारत के इस महत्वपूर्ण सामरिक क्षेत्र को चिकन नेक के नाम से पहचाना जाता है. आइए हम जानते हैं कि चिकन नेक हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण है.

यह सामरिक रूप से पूर्वोत्तर भारत का एक अहम हिस्सा है. भारत के कई पड़ोसी देशों जैसे भूटान, नेपाल, बग्लांदेश और चीन के पास स्थित होने की वजह से इसकी अहमियत बढ़ जाती है. इस इलाके को शेष भारत से एक गलियारा जोड़ता है, जिसे सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन नेक के नाम से जाना जाता है. यह कॉरिडोर भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के सिलीगुड़ी शहर से होकर गुजरता है. यह एक तंग गलियारा है, जिसकी लंबाई 60 किलोमीटर और चौड़ाई 22 किलोमीटर है. यह गलियारा भारत के उत्तर-पूर्व राज्यों को अन्य राज्यों से जोड़ता है.

कहां है चिकन नेक गलियारा

कब बना था यह गलियारा
1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद सिलीगुड़ी कॉरिडोर बना था. 1975 में सिक्किम के भारत में विलय के बाद यह गलियारा पूरी तरह से भारत में आ गया. इसके दक्षिण और पश्चिम में बंगाल और उत्तर में चीन होने की वजह से इसकी अहमियत बढ़ जाती है.

वर्तमान भौगोलिक स्थिति
चिकन नेक गलियारे की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह तीन देशों के बीच से होकर गुजरता है. सेना और असम राइफल्स, सीमा सुरक्षा बल और पश्चिम बंगाल की पुलिस यहां पर गश्त करती है. पूर्वोत्तर राज्यों की सड़क परिवहन इसी गलियारे से होकर जाता है. इस मार्ग में एक ब्राड गेज रेलवे लाइन भी है, जिसका चौड़ीकरण और विद्युतीकरण चल रहा है. राष्ट्रीय राजमार्ग दस सिलीगुड़ी को असम में गुवाहाटी से जोड़ता है, जो इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण मार्ग है. भारत और बंग्लादेश के बीच अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है, जिससे भारत बंग्लादेश की भूमि का उपयोग कर सके. भविष्य में यदि ऐसा हुआ तो विकल्प के तौर पर टेंट्रलिया कॉरिडोर (जो बंग्लादेश के तेतुलिया उप जिले से गुजरती है) का उपयोग किया जा सकता है. सामरिक दृष्टि से चीन के निकट होने के कारण इसकी सुरक्षा भारत के लिए बेहद अहम हो जाती है.

इस क्षेत्र को क्यों कहते हैं चिकन नेक
चिकन नेक किसी देश का सामरिक रूप से अहम क्षेत्र होता है और संरचनात्मक रूप से कमजोर भी होता है. सिलीगुड़ी की भी यही स्थिति है. इसलिए सिलीगुड़ी को चिकन नेक कहा जाता है.

सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा
सिलीगुड़ी गलियारे की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह तीन देशों के बीच में आता है. इसी वजह से इतना संवेदनशील भी है कि यहां सेना और असम राइफल्स, सीमा सुरक्षा बल और पश्चिम बंगाल की पुलिस गश्त करती है. गलियारे की सुरक्षा के लिए भारत की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) को नेपाली, भूटानी और बंग्लादेशी गतिविधियों पर बारीक नजर बनाए रखनी होती है. माना जाता है कि यह गलियारा अवैध बंग्लादेशियों के उपयोग में भी काम आता रहता है. कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) नेपाल के विद्रोहियों के माध्यम से इस क्षेत्र में घुसपैठ करने का प्रयास करता है. इसलिए एक भारत का एक संवेदनशील इलाका माना जाता है.

चीन के साथ विवाद
1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद चीन लगातार ऐसे प्रयासों में जुटा हुआ है, जिसकी असली वजह है कि पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत से काटकर कब्जा करना है.1965 और 1971 के युद्ध में इस क्षेत्र में टैंकों से भीषण लड़ाई हुई थी.

Last Updated : Mar 1, 2020, 4:09 AM IST
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