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जानें समाज में बदलाव लाने वाले किन मुद्दों को उठाया था बापू ने - Village Life

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 151वीं जयंती के मौके पर कृतज्ञ भारत समेत पूरी दुनिया उन्हें को याद कर रही है. गांधी जी समानता के पुजारी थे, उनका मानना था जितना सम्मान समाज में पुरुषों को मिलता है, उतना ही महिलाओं के मिलना चाहिए. गांधी ने इसी तरह के कई विचार दिए हैं. आइए हम जानते हैं....

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
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Published : Oct 2, 2020, 7:07 PM IST

हैदराबाद : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी प्रसिद्ध राष्ट्रवादी और सामाजिक विचारक गोपाल कृष्ण गोखले के विचारों से काफी प्रभावित थे. गांधीजी गोखले से सामाजिक सुधार के क्षेत्र में और खासकर शिक्षा के क्षेत्र में बेहद प्रभावित थे. गांधी ने इस मुद्दे पर गोखले को उद्धृत करना पसंद किया. आज देश की प्रमुख आवश्यकता शिक्षा है. शिक्षा से मेरा तात्पर्य प्राथमिक शिक्षा से तात्पर्य यह है कि रूढ़िवादी सोच को खत्म करना है, लोगों को अपने अधिकारों के बारे में जानना चाहिए. इसके साथ लोगों को अपनी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के बारे में भी जानना चाहिए.

आत्मसम्मान का विकास
दक्षिण अफ्रीका में जब गांधीजी के साथ पक्षपात हुआ तो इसके बाद उन्हें आभास हुआ कि गरीब लोगों में भी देशभक्ति की भावना होती है. नतीजन जब वह भारत लौटे तो निचले तबके को देखकर उन्हें आत्मग्लानि महसूस हुई, जो डर की भावना से समाज में जीवन व्यतीत करते हैं.

आत्मनिर्भरता
आत्मनिर्भरता की प्राप्ति में गांधी का विश्वास उनके सामाजिक दर्शन का एक आधार था. केवल महत्वपूर्ण मामलों में आत्मनिर्भर होने से ही कोई व्यक्ति या राष्ट्र अपनी स्वतंत्रता की रक्षा कर सकता है और एक सम्मानजनक अस्तित्व बनाए रख सकता है.

ग्रामीण जीवन का पुनर्गठन
गांधीजी ने सामाजिक क्षेत्रों में गांवों के पुनर्जीवन को केंद्रीय क्षेत्र के रूप में माना, क्योंकि गांव में रहने वाले भारतीयों की अत्यधिक संख्या थी. उनका मानना ​​था कि भारत की आत्मा गांव में बसती है. उन्होंने स्पष्ट रूप से समझा कि आत्मनिर्भरता का सिद्धांत ग्रामीण क्षेत्रों के कल्याण की कुंजी है.

हिंदू-मुस्लिम संबंध
गांधीजी का मानना ​​था कि भारत का सामाजिक और आर्थिक विकास तब तक कायम रहेगा, जब तक कि हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय अपने मतभेदों को समझ की भावना से हल करने और अपनी बेहतरी के लिए मिलकर काम करने पर सहमत नहीं हो जाते हैं. तभी भारत का विकास संभव होगा.

छुआछूत का उन्मूलन
गांधीजी ही थे, जिन्होंने पहली बार छुआछूत के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया.

अछूतों को सशक्त बनाना
छुआछूत के मुद्दे पर गांधी की सबसे बड़ी चुनौती तब पैदा हुई, जब ब्रिटिश सरकार ने सांप्रदायिक पुरस्कार की घोषणा की, जिसने अछूतों के लिए अलग निर्वाचक मंडल की मंजूरी दी.

पार्टनर और मोटिवेटर के रूप में महिलाएं
समाज में महिलाओं की स्थिति पर गांधी के विचार काफी कट्टरपंथी थे, जब गांधी ने अप्रैल 1919 में रॉलट सत्याग्रह शुरू किया तो सभी वर्गों की महिलाओं ने बैठक की और बैठक में पुरुषों का सहयोग करने और महिलाओं को बड़ी संख्या में सत्याग्रह आंदोलन में शामिल होने की अपील की.

1925 में गांधी जी ने तीन नियम बनाए

  • किसी भी पिता को अपनी बेटी का विवाह 15 वर्ष से कम उम्र में नहीं करना चाहिए.
  • यदि 15 वर्ष से कम उम्र में लड़की का विवाह हो जाता है और बाद में वह विधवा हो जाती है, तो उसका फिर से विवाह करना पिता का कर्तव्य है.
  • यदि 15 वर्ष की लड़की विवाह के एक वर्ष के भीतर विधवा हो जाती है, तो उसके माता-पिता द्वारा उसे प्रोत्साहित करना चाहिए.

हैदराबाद : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी प्रसिद्ध राष्ट्रवादी और सामाजिक विचारक गोपाल कृष्ण गोखले के विचारों से काफी प्रभावित थे. गांधीजी गोखले से सामाजिक सुधार के क्षेत्र में और खासकर शिक्षा के क्षेत्र में बेहद प्रभावित थे. गांधी ने इस मुद्दे पर गोखले को उद्धृत करना पसंद किया. आज देश की प्रमुख आवश्यकता शिक्षा है. शिक्षा से मेरा तात्पर्य प्राथमिक शिक्षा से तात्पर्य यह है कि रूढ़िवादी सोच को खत्म करना है, लोगों को अपने अधिकारों के बारे में जानना चाहिए. इसके साथ लोगों को अपनी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के बारे में भी जानना चाहिए.

आत्मसम्मान का विकास
दक्षिण अफ्रीका में जब गांधीजी के साथ पक्षपात हुआ तो इसके बाद उन्हें आभास हुआ कि गरीब लोगों में भी देशभक्ति की भावना होती है. नतीजन जब वह भारत लौटे तो निचले तबके को देखकर उन्हें आत्मग्लानि महसूस हुई, जो डर की भावना से समाज में जीवन व्यतीत करते हैं.

आत्मनिर्भरता
आत्मनिर्भरता की प्राप्ति में गांधी का विश्वास उनके सामाजिक दर्शन का एक आधार था. केवल महत्वपूर्ण मामलों में आत्मनिर्भर होने से ही कोई व्यक्ति या राष्ट्र अपनी स्वतंत्रता की रक्षा कर सकता है और एक सम्मानजनक अस्तित्व बनाए रख सकता है.

ग्रामीण जीवन का पुनर्गठन
गांधीजी ने सामाजिक क्षेत्रों में गांवों के पुनर्जीवन को केंद्रीय क्षेत्र के रूप में माना, क्योंकि गांव में रहने वाले भारतीयों की अत्यधिक संख्या थी. उनका मानना ​​था कि भारत की आत्मा गांव में बसती है. उन्होंने स्पष्ट रूप से समझा कि आत्मनिर्भरता का सिद्धांत ग्रामीण क्षेत्रों के कल्याण की कुंजी है.

हिंदू-मुस्लिम संबंध
गांधीजी का मानना ​​था कि भारत का सामाजिक और आर्थिक विकास तब तक कायम रहेगा, जब तक कि हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय अपने मतभेदों को समझ की भावना से हल करने और अपनी बेहतरी के लिए मिलकर काम करने पर सहमत नहीं हो जाते हैं. तभी भारत का विकास संभव होगा.

छुआछूत का उन्मूलन
गांधीजी ही थे, जिन्होंने पहली बार छुआछूत के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया.

अछूतों को सशक्त बनाना
छुआछूत के मुद्दे पर गांधी की सबसे बड़ी चुनौती तब पैदा हुई, जब ब्रिटिश सरकार ने सांप्रदायिक पुरस्कार की घोषणा की, जिसने अछूतों के लिए अलग निर्वाचक मंडल की मंजूरी दी.

पार्टनर और मोटिवेटर के रूप में महिलाएं
समाज में महिलाओं की स्थिति पर गांधी के विचार काफी कट्टरपंथी थे, जब गांधी ने अप्रैल 1919 में रॉलट सत्याग्रह शुरू किया तो सभी वर्गों की महिलाओं ने बैठक की और बैठक में पुरुषों का सहयोग करने और महिलाओं को बड़ी संख्या में सत्याग्रह आंदोलन में शामिल होने की अपील की.

1925 में गांधी जी ने तीन नियम बनाए

  • किसी भी पिता को अपनी बेटी का विवाह 15 वर्ष से कम उम्र में नहीं करना चाहिए.
  • यदि 15 वर्ष से कम उम्र में लड़की का विवाह हो जाता है और बाद में वह विधवा हो जाती है, तो उसका फिर से विवाह करना पिता का कर्तव्य है.
  • यदि 15 वर्ष की लड़की विवाह के एक वर्ष के भीतर विधवा हो जाती है, तो उसके माता-पिता द्वारा उसे प्रोत्साहित करना चाहिए.
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