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कर्नाटक में फंसे केरल के मजदूरों की स्थिति दयनीय, भेदभाव के शिकार - कर्नाटक में फंसे केरल के मजदूर

केरल के खेतिहर मजदूर कर्नाटक के दूरदराज गांवों में लॉकडाउन के कारण फंसे गए हैं. लेकिन वे शायद अपने जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं. स्थानीय ग्रामीण उन्हें कोविड-19 ​​फैलाने वाला मानते हैं. केरल के मजदूरों को गाली देते हैं और आरोप लगाते हैं कि उन्होंने इस बीमारी को फैलाया है. जानें विस्तार से...

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प्रतीकात्मक चित्र
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Published : Apr 26, 2020, 7:24 PM IST

Updated : Apr 28, 2020, 11:02 AM IST

वायनाड : कर्नाटक के दूरदराज गांवों में केरल के फंसे हुए खेतिहर मजदूरों का जीवन बहुत ही दयनीय हो गया है. स्थानीय ग्रामीणों का मानना ​​है कि मलयाली कोविड-19 ​​फैलाते हैं. केरल के मजदूरों को गाली देते हैं और यह आरोप लगाते हैं कि उन्होंने इस बीमारी को फैलाया है. अगर वे दुकानों पर जाते हैं तो वे स्थानीय लोगों और कर्नाटक पुलिस द्वारा पीटे जाने के कारण खाने-पीने की चीजें खरीदने भी नहीं होते हैं. मेडिकल शॉप्स उन्हें दवाइयां देने से मना करती हैं. यहां तक ​​कि पीने का पानी भी दुर्लभ हो गया है.

ईटीवी भारत रिपोर्टर से बातचीत में इन मजदूरों ने सरकार से हस्तक्षेप करने और उन्हें केरल भेजने में मदद करने की मांग की. 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के मजदूरों ने कहा, 'हम केरल में अलगाव में रहने के लिए तैयार हैं, लेकिन अपनी इस उम्र और स्वास्थ्य की स्थिति में दुर्व्यवहार नहीं सह सकते.'

मजदूरों की दयनीय स्थिति पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पॉलोस पैर में चोट से पीड़ित हैं और ठीक से चल भी नहीं पाते. उन्हें दवाएं नहीं मिल पा रही हैं. उन्होंने कहा, 'हम यहां अदरक की खेती में मदद करने आए थे. तालाबंदी के कारण हम यहां फंस गए. हमें स्थानीय ग्रामीणों और यहां तक ​​कि पुलिस द्वारा शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान किया जाता है. वे हमारे प्रति घृणा के साथ यह सोचकर व्यवहार करते हैं कि हम कोरोना वायरस फैला रहे हैं.'

पढ़ें : प्रवासी और श्रमिक अपने राज्यों की सहमति के बाद जा सकेंगे घर : मुख्यमंत्री गहलोत

उन्होंने कहा, 'हम अपने लिए भोजन भी हासिल नहीं कर पा रहे हैं और एक बार जब बाहर निकलते हैं तो पुलिस हमें मार कर भगा देती है. जब भी हम आवश्यक चीजें या दवाएं खरीदने के लिए बाहर जाते हैं तो पुलिस हमारे साथ बहुत क्रूर व्यवहार करती है.'

प्रशासन ने नानकॉन्कोड, एचडी कोट्टा तालुकों में उमरहल्ली, उलाहल्ली गांवों में रेड अलर्ट घोषित किया है. पुलिस और जनता के उदासीन व्यवहार के कारण इन क्षेत्रों में फंसे केरलवासी सबसे अधिक प्रभावित हैं. खाद्य या आवश्यक चिकित्सा सहायता प्राप्त करने का कोई साधन नहीं होने के कारण, फंसे हुए केरल के मजदूर शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ित हो रहे हैं.

वायनाड : कर्नाटक के दूरदराज गांवों में केरल के फंसे हुए खेतिहर मजदूरों का जीवन बहुत ही दयनीय हो गया है. स्थानीय ग्रामीणों का मानना ​​है कि मलयाली कोविड-19 ​​फैलाते हैं. केरल के मजदूरों को गाली देते हैं और यह आरोप लगाते हैं कि उन्होंने इस बीमारी को फैलाया है. अगर वे दुकानों पर जाते हैं तो वे स्थानीय लोगों और कर्नाटक पुलिस द्वारा पीटे जाने के कारण खाने-पीने की चीजें खरीदने भी नहीं होते हैं. मेडिकल शॉप्स उन्हें दवाइयां देने से मना करती हैं. यहां तक ​​कि पीने का पानी भी दुर्लभ हो गया है.

ईटीवी भारत रिपोर्टर से बातचीत में इन मजदूरों ने सरकार से हस्तक्षेप करने और उन्हें केरल भेजने में मदद करने की मांग की. 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के मजदूरों ने कहा, 'हम केरल में अलगाव में रहने के लिए तैयार हैं, लेकिन अपनी इस उम्र और स्वास्थ्य की स्थिति में दुर्व्यवहार नहीं सह सकते.'

मजदूरों की दयनीय स्थिति पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पॉलोस पैर में चोट से पीड़ित हैं और ठीक से चल भी नहीं पाते. उन्हें दवाएं नहीं मिल पा रही हैं. उन्होंने कहा, 'हम यहां अदरक की खेती में मदद करने आए थे. तालाबंदी के कारण हम यहां फंस गए. हमें स्थानीय ग्रामीणों और यहां तक ​​कि पुलिस द्वारा शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान किया जाता है. वे हमारे प्रति घृणा के साथ यह सोचकर व्यवहार करते हैं कि हम कोरोना वायरस फैला रहे हैं.'

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उन्होंने कहा, 'हम अपने लिए भोजन भी हासिल नहीं कर पा रहे हैं और एक बार जब बाहर निकलते हैं तो पुलिस हमें मार कर भगा देती है. जब भी हम आवश्यक चीजें या दवाएं खरीदने के लिए बाहर जाते हैं तो पुलिस हमारे साथ बहुत क्रूर व्यवहार करती है.'

प्रशासन ने नानकॉन्कोड, एचडी कोट्टा तालुकों में उमरहल्ली, उलाहल्ली गांवों में रेड अलर्ट घोषित किया है. पुलिस और जनता के उदासीन व्यवहार के कारण इन क्षेत्रों में फंसे केरलवासी सबसे अधिक प्रभावित हैं. खाद्य या आवश्यक चिकित्सा सहायता प्राप्त करने का कोई साधन नहीं होने के कारण, फंसे हुए केरल के मजदूर शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ित हो रहे हैं.

Last Updated : Apr 28, 2020, 11:02 AM IST
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