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ओणमः केरल के मंदिरों में बंदरों के लिए किया जा रहा दावत का आयोजन

केरल में ओणम उत्सव मनाया जा रहा है. कोल्लम जिले के सद्धामकोट्टा मंदिर में बंदरों के लिए अचार, हलवा पायसाम समेत कई अन्य स्वादिष्ट भोजन परोसे जा रहे हैं.

मंदिरों में बंदरों के लिए दावत
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Published : Sep 11, 2019, 5:30 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 6:14 AM IST

त्रिवेंद्रमः ओणम केरल का प्रमुख त्यौहार है. इसे केरलवासी बड़े धूमधाम से मनाते हैं. वार्षिक फसल उत्सव 'ओणम साध्या' या पारंपरिक ओणम पर्व के साथ कोल्लम जिले के सस्तमकोट्टा मंदिर में बंदरों का समूह पिछले 35 वर्षों से स्वादिष्ट भोजनों का आंनद विनम्रता से ले रहे हैं.

रिपोर्ट के अनुसार बंदरों को शाही बागान के पत्तों पर विनम्रता से भोजन परोसा जाता है.

भोजन पहले बंदरों के नेता एंड्रयूज को परोसा गया. जब नेता ने व्यंजन चख लिया तो उसके बाद अपने पूरे समूह को पेड़ों से उतर कर भोजन करने के लिए बुलाया. इस सामूहिक दावत को 'वानरभोज साधना' कहा जाता है. स्थानीय लोग इस पारंपरिक प्रथा को देखने के लिए मंदिर का चक्कर लगाते हैं.

ओणम पर बंदरों के लिए दावत का आयोजन

माना जाता है कि जिले के मूल निवासी अरविंदक्षन नायर ने इस रिवाज को शुरू किया है और तब से यह हर ओणम के दिन होता है.

कोच्चि के पास त्रिपुनिथुरा में एक समारोह का उद्धाटन करते हुए राज्य संस्कृति मंत्री में कहा कि राज्य सरकार ने इस ओणम के लिए विस्तृत व्यवस्था की है. ओणम की भावना से राज्य के लोगों को विनाशकारी बाढ़ से आई कठिनाइयों से उबरने में शक्ति प्रदान होगी.

किंवदंतियों के अनुसार, राजा महाबली का स्वागत करने के लिए सभी लोग जाति,धर्म पर विश्वास किए बिना त्यौहार मनाते हैं.

पढ़ेंः ओणम त्योहार में संगीत के लिए खास वाद्ययंत्र है 'ओनाविलु'

यह त्यौहार चिंगम (अगस्त से सितंबर) मलयालम महीने के दौरान आता है और भगवान विष्णु के वामन अवतार के स्मरणोत्सव के साथ-साथ पौराणिक राजा महाबली की बाद की घर वापसी का प्रतीक है, जिसे मलयाली अपना सम्राट मानते हैं.

त्रिवेंद्रमः ओणम केरल का प्रमुख त्यौहार है. इसे केरलवासी बड़े धूमधाम से मनाते हैं. वार्षिक फसल उत्सव 'ओणम साध्या' या पारंपरिक ओणम पर्व के साथ कोल्लम जिले के सस्तमकोट्टा मंदिर में बंदरों का समूह पिछले 35 वर्षों से स्वादिष्ट भोजनों का आंनद विनम्रता से ले रहे हैं.

रिपोर्ट के अनुसार बंदरों को शाही बागान के पत्तों पर विनम्रता से भोजन परोसा जाता है.

भोजन पहले बंदरों के नेता एंड्रयूज को परोसा गया. जब नेता ने व्यंजन चख लिया तो उसके बाद अपने पूरे समूह को पेड़ों से उतर कर भोजन करने के लिए बुलाया. इस सामूहिक दावत को 'वानरभोज साधना' कहा जाता है. स्थानीय लोग इस पारंपरिक प्रथा को देखने के लिए मंदिर का चक्कर लगाते हैं.

ओणम पर बंदरों के लिए दावत का आयोजन

माना जाता है कि जिले के मूल निवासी अरविंदक्षन नायर ने इस रिवाज को शुरू किया है और तब से यह हर ओणम के दिन होता है.

कोच्चि के पास त्रिपुनिथुरा में एक समारोह का उद्धाटन करते हुए राज्य संस्कृति मंत्री में कहा कि राज्य सरकार ने इस ओणम के लिए विस्तृत व्यवस्था की है. ओणम की भावना से राज्य के लोगों को विनाशकारी बाढ़ से आई कठिनाइयों से उबरने में शक्ति प्रदान होगी.

किंवदंतियों के अनुसार, राजा महाबली का स्वागत करने के लिए सभी लोग जाति,धर्म पर विश्वास किए बिना त्यौहार मनाते हैं.

पढ़ेंः ओणम त्योहार में संगीत के लिए खास वाद्ययंत्र है 'ओनाविलु'

यह त्यौहार चिंगम (अगस्त से सितंबर) मलयालम महीने के दौरान आता है और भगवान विष्णु के वामन अवतार के स्मरणोत्सव के साथ-साथ पौराणिक राजा महाबली की बाद की घर वापसी का प्रतीक है, जिसे मलयाली अपना सम्राट मानते हैं.

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Monkeys have a Onasadya at Sasthamcotta Temple



Kollam: The monkeys at the Sasthamcotta temple were given a sumptuous Onasadya on Uthradom day. The feast was served in plantain leaves with all the ingredients of an Onasadya. Spicy items and pickles were avoided as these would disrupt the digestive system of the animals. As soon as the food was served on each leaf, the monkeys who were waiting on the branches of trees and roof tops of the temple descended and slowly started to partake in the feast. The mass feast for the animals, which had been a practice for the past 35 years, was served at the Vanarabhojana Sadya on the temple premises. Aravindakshan Nair, a local from Sasthamkotta, started this program and still he continues this in every Uthradam day.



*Onam is an annual Harvest festival in the state of Kerala 

* Onasadya- feast

*Uthradom- first day of onam celebration


Conclusion:
Last Updated : Sep 30, 2019, 6:14 AM IST
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