बेंगलुरु: कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन की सरकरा खतरे में पड़ते दिख रही है. कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद जेडीएस के सभी मंत्रियों ने भी मुख्यमंत्री कुमारस्वामी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है.
हालांकि, इसी बीच कुमारस्वामी ने कहा कि जो भी मेरा कर्तव्य है मैं वह सभी जिम्मेदारियों के साथ करूंगा. उन्होंने कहा कि मैं राजनीति के बारे में कुछ भी चर्चा नहीं करना चाहता.
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए सीएम कुमारस्वामी ने कहा कि समस्या हल हो जाएगी, चिंता न करें. यह सरकार सुचारू रूप से चलेगी. उन्होंने कहा कि मुझे वर्तमान राजनीतिक विकास के बारे में किसी प्रकार की चिंता नहीं है.
कर्नाटक के पूर्व CM येदियुरप्पा ने कुमारस्वामी के इस्तीफे की मांग की है.
कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक कांग्रेस के सभी 22 मंत्रियों ने अपनी स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया है. इसी बीच कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों ने बेंगलुरु में विरोध प्रदर्शन भी किया. वे बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगा रहे हैं.
उमर अब्दुल्ला ने कर्नाटक की सियासत पर की टिप्पणी. उन्होंने कुमारस्वामी के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि जो उन्हें पता है, उस बात की किसी और को जानकारी नहीं है.
आर शंकर ने कुमारस्वामी की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है.
कुमारस्वामी की सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने कहा कि अभी-अभी निर्दलीय विधायक नागेश ने मुझे फोन कर बताया कि उन्हें येदियुरप्पा के निजी सचिव और भाजपा ने कब्जे में रखा है. बकौल शिवकुमार जब वे एयरपोर्ट पहुंचे, तब तक फ्लाइट निकल चुकी थी.
इससे पहले सोमवार को कांग्रेस पार्टी के सभी मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इसकी पुष्टि की है. अब कांग्रेस-जेडीएस के मंत्रियों के इस्तीफा सौंपने से राज्य में मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली महज साल भर पुरानी सरकार खतरे में पड़ गई है.
सरकार का समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायक और कर्नाटक सरकार में मंत्री नागेश ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
नागेश ने आज राज्यपाल वजुभाई वाला से मिलकर उन्हें इस्तीफे का पत्र सौंपा. इस्तीफा देने के बाद नागेश मुंबई के लिए रवाना हो गए.
दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कर्नाटक में क्या हो रहा है इससे बीजेपी को कोई लेना-देना नहीं है. भाजपा ने कभी हार्स ट्रेडिंग नहीं की है.
कर्नाटक में 13 विधायकों का इस्तीफा
बता दें कि कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन के 13 विधायकों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंपने से राज्य में मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली महज साल भर पुरानी सरकार खतरे में पड़ गई है.
224 सदस्यीय विधानसभा का समीकरण
यदि इन विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है तो सत्तारूढ़ गठबंधन (जिसके 118 विधायक हैं) 224 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत खो देगा. वहीं, भाजपा के 105 विधायक हैं.
विधानसभा में स्पीकर के अलावा सत्तारूढ़ गठबंधन का संख्या बल 118 है. इसमें कांग्रेस के 78, जद(एस) के 37, बसपा का एक और दो निर्दलीय विधायक शामिल हैं. 118 में वे विधायक भी शामिल हैं, जिन्होंने इस्तीफा दे दिया है.
संकट में है सरकार
कांग्रेस और जद (एस) के विधायकों के समूह के अपना इस्तीफा सौंपने के लिए विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) के कार्यालय पहुंचने और बाद में राजभवन में राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात करने के बाद गठबंधन सरकार की स्थिरता का संकट गहरा गया है.
कांग्रेस-जेडीएस के 14 विधायकों का इस्तीफा
राज्यपाल से मिलने के बाद जद(एस) विधायक ए एच विश्वनाथ ने कहा, 'आनंद सिंह सहित कांग्रेस और जद(एस) के 14 विधायकों ने अपना इस्तीफा (विधानसभा की सदस्यता से) स्पीकर को सौंपा है. हम इस विषय को राज्यपाल के संज्ञान में भी लाये हैं.’
बीजेपी का हाथ होने से इनकार
विश्वनाथ ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी नीत गठबंधन सरकार अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम रही. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि इस बगावत के पीछे भाजपा का हाथ है. उन्होंने कहा, 'सरकार विधायकों के साथ तालमेल बैठाने में नाकाम रही. वह लोगों की उम्मीदों पर भी खरा नहीं उतर पाई.'
इस आरोप पर कि भाजपा 'ऑपरेशन लोटस (भाजपा के चुनाव चिह्न)' के जरिए राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है, विश्वनाथ ने कहा, 'यह आपकी मनगढ़ंत बात है.' उन्होंने कहा, 'इसका कोई भाजपाई पहलू नहीं है. हम सभी वरिष्ठ हैं. कोई ऑपरेशन नहीं हो सकता...हम सरकार की उदासीनता के खिलाफ स्वेच्छा से इस्तीफा दे रहे हैं.'
विधानसभा में तय होगा सरकार का भविष्य
हालांकि, विधानसभा सचिवालय सूत्रों ने बताया कि कुल 13 विधायकों ने अपना इस्तीफा सौंपा है, जिनमें सिंह भी शामिल हैं जिन्होंने (सिंह ने) इस हफ्ते की शुरूआत में स्पीकर से मिलने के बाद अपना इस्तीफा सौंपा था. विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार उस वक्त अपने कार्यालय में नहीं थे, जब विधायक वहां पहुंचे. हालांकि उन्होंने इस्तीफों की पुष्टि की और कहा, 'सरकार गिरेगी या बरकरार रहेगी, इसका फैसला विधानसभा में होगा.'
स्पीकर कुमार ने संवाददाताओं से कहा, '11 विधायकों ने कार्यालय में अपना इस्तीफा सौंपा है. मैंने अधिकारियों को (इस्तीफा) पत्र रख लेने और पावती देने के लिए कहा...मंगलवार को मैं कार्यालय जाऊंगा और नियमों के अनुसार आगे की कार्रवाई करूंगा.'
सरकार के भविष्य के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में कुमार ने कहा, 'इंतजार कीजिए और देखिए, मुझे इस बारे में कुछ नहीं कहना. सरकार गिर जाएगी या बरकरार रहेगी, यह विधानसभा में तय होगा.'
कांग्रेस के 'संकटमोचक' हैं डिप्टी CM
इस बीच, आखिरी कोशिश के तहत डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने विधायकों से मुलाकात की. उन्हें कांग्रेस का 'संकटमोचक' माना जाता है. सूत्रों के मुताबिक डीके शिवकुमार ने उन्हें मनाने की कोशिश की. वहीं, नयी दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कर्नाटक के ताजा घटनाक्रम के मद्देनजर बैठक की और विचार-विमर्श किया. बैठक के बाद कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, 'कर्नाटक की कांग्रेस-जद(एस) सरकार शुरू से ही भाजपा को हजम नहीं हो रही है. वह विधायकों की मंडी लगाकर सरकार गिराने का षडयंत्र कर रही है.'
दरअसल, हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में राज्य में भाजपा के शानदार प्रदर्शन के बाद से गठबंधन सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे थे.
जिन विधायकों को विधानसभा स्पीकर के कार्यालय में देखा गया, उनमें कांग्रेस के रमेश जरकीहोली (गोकक), प्रताप गौड़ा पाटिल (मास्की), शिवराम हेब्बार (येलापुर), महेश कुमाथल्ली (अथानी), बीसी पाटिल (हिरेकेरुर), बिरातिबासवराज (के आर पुरम), एस टी सोम शेखर (यशवंतपुर) और रामलिंग रेड्डी (बीटीएम लेआउट) शामिल हैं.
जद (एस) के विधायकों में ए एच विश्वनाथ (हुंसुर), नारायण गौड़ा (के आर पेट) और गोपालैया (महालक्ष्मी लेआउट) शामिल हैं. विश्वनाथ ने हाल ही में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था.
बाद में, कांग्रेस विधायक मुनिरत्न (राजराजेश्वरी नगर) ने भी अपना इस्तीफा सौंप दिया. विधानसभा सचिवालय सूत्रों ने यह जानकारी दी. वह भी राजभवन के बाहर बागी विधायकों के साथ देखे गए.
उल्लेखनीय है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने आशंका जताई थी कि भाजपा लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर सकती है. हाल ही में हुए आम चुनाव में राज्य की 28 लोकसभा सीटों में कांग्रेस और जद(एस), दोनों दल सिर्फ एक-एक सीट पर ही जीत हासिल कर पाए थे.
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी और एक सीट पर भगवा पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी.