बेंगलुरु : विधान परिषद के भाजपा सदस्य एएच विश्वनाथ को बड़ा झटका देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि दल-बदल कानून के तहत विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराए गए एमएलसी को मंत्री नहीं बनाया जा सकता. उच्च न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विश्वनाथ ने कहा कि वह फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे. गौरतलब है कि विश्वनाथ को विधान परिषद में मनोनित किया गया है.
पढ़ें-सुरंगों का मिलना पाकिस्तान की शत्रुता का सबूत : नित्यानंद राय
मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओक और न्यायमूर्ति एस. विश्वजीत शेट्टी की खंड पीठ ने वकील एएस हरीश की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया. वकील ने अपनी अर्जी में कहा था कि विश्वनाथ को संविधान के अनुच्छेद 164(1)(बी) और अनुच्छेद 361(बी) के तहत मई-2021 में विधान परिषद का कार्यकाल समाप्त होने तक अयोग्य घोषित किया गया है.
वहीं अन्य दो विधान पार्षदों आर शंकर और एमटीबी नागराज को अदालत से राहत मिल गई है. अदालत ने कहा कि दोनों के विधान परिषद में निर्वाचित होने के कारण उनकी अयोग्यता अब लागू नहीं होगी. पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री को विश्वनाथ को अयोग्य ठहराए जाने के तथ्य को ध्यान में रखना होगा. अदालत ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा सिफारिश किए जाने की स्थिति में राज्यपाल को विश्वनाथ को अयोग्य घोषित किए जाने के तथ्य पर विचार करना होगा.
पढ़ें-अन्नदाता सड़कों पर धरना दे रहे हैं, 'झूठ' टीवी पर भाषण: राहुल गांधी
आवेदक वकील ने आरोप लगाया है कि विश्वनाथ, शंकर और नागराज को पिछले दरवाजे से विधान परिषद में प्रवेश दिया गया है, ताकि उन्हें मंत्रिपरिषद में शामिल किया जा सके. जबकि विश्वनाथ और नागराज अयोग्य घोषित किए जाने के बाद से अपनी-अपनी सीटों से उपचुनाव में हार गए थे. आवेदक ने दावा किया है कि शंकर ने तो उपचुनाव में हिस्सा भी नहीं लिया.
गौरतलब है कि एमएलसी विश्वनाथ, शंकर और नागराज उन 17 विधायकों में शामिल हैं, जिन्हें कर्नाटक विधानसभा से अयोग्य घोषित किया गया था और इसी कारण एचडी कुमारस्वामी नीत तत्कालीन जद(एस)-कांग्रेस गठबंधन सरकार गिर गई थी. शंकर और नागराज कांग्रेस के, जबकि विश्वनाथ जद(एस) की टिकट पर चुनाव जीते थे. अयोग्य ठहराए जाने के बाद तीनों भाजपा में शामिल हो गए.