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आदिवासी धर्म कोड के नाम पर राजनीति कर रही सरकार : करिया मुंडा

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Published : Dec 6, 2020, 6:13 PM IST

लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष करिया मुंडा ने सरना आदिवासी धर्म कोड के नाम पर झारखंड सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस संबंध में प्रस्ताव पारित करने में जल्दबाजी दिखाई है. उन्होंने आशंका जताई कि इसमें बाहरी ताकतों का भी हाथ हो सकता है.

करिया मुंडा
करिया मुंडा

खूंटी: पद्मविभूषण करिया मुंडा ने झारखंड सरकार पर जोरदार हमला बोला है. उन्होंने हेमंत सरकार पर लोगों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया. लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष सह खूंटी के पूर्व सांसद करिया मुंडा ने सरना आदिवासी कोड पर कहा कि इस मुद्दे पर राज्य सरकार सिर्फ राजनीति कर रही है.

उन्होंने विधानसभा से इस संबंध में प्रस्ताव पारित करने को केंद्र की भाजपानीत सरकार को आदिवासी विरोधी साबित करने की साजिश बताया. उन्होंने कहा कि सरना एक पूजा स्थल है, इसके नाम पर धर्म कोड नहीं बन सकता है और संसद में यह बिल पास नहीं हो पाया तो सारा दोष केंद्र की भाजपा सरकार पर लगाया जाएगा.

उन्होंने कहा कि देश के अलग-अलग राज्यों में रहने वाले आदिवासियों के पूजा स्थल को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. झारखंड में भी आदिवासियों के पूजा स्थल अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं. इसलिए अलग धर्म कोड के लिए देश के आदिवासियों को बैठकर पहले एकमत होने की जरूरत है.

करिया मुंडा ने झारखंड सरकार पर हमला बोला

पढ़ें- रना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित, वित्त मंत्री ने कहा- घोषणा पत्र के वादे को किया गया पूरा

सरना कोड की मांग सिर्फ चुनावी स्टंट
लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष ने कहा कि खूंटी जिले में जिस प्रकार पत्थलगड़ी अभियान प्रायोजित था, उसी प्रकार सरना धर्म कोड की मांग भी प्रायोजित है. यह सब चुनावी स्टंट है. चुनाव के दौरान ऐसे मामले तेजी से उठाए जाते रहे हैं, जो चुनाव के बाद ठंडे बस्ते में डाल दिए जाते हैं.

मुंडा ने कहा कि देश में आदिवासियों की संख्या लगभग 12 प्रतिशत है. अलग धर्म कोड के बाद आदिवासी अल्पसंख्यक हो जाएंगे और विशेष लाभ की मांग करेंगे. इसका फायदा आदिवासी से ईसाई बने लोगों के माध्यम से मिशनरी उठाने की साजिश रच रहे हैं.

पद्मविभूषण मुंडा ने इशारों में ईसाई समुदाय के कुछ लोगों पर आदिवासियों को बरगलाने का आरोप लगाया. उन्होंने सवाल किया कि अगर इस मांग के पीछे दूसरे समुदाय के लोग नहीं हैं तो झारखंड यूथ क्रिश्चियन एसोसिएशन के कुलदीप तिग्गा इस कोड के लिए इतने परेशान क्यों हैं.

करिया मुंडा ने कहा कि, बंधन तिग्गा भी खुद एक ईसाई हैं. ऐसे में एक ईसाई को अपना धर्म के मसले छोड़ सरना धर्म कोड की मांग करना आदिवासियों को सिर्फ बरगलाना है. उन्होंने सरकार पर इन लोगों के सामने झुकने का भी आरोप लगाया. मुंडा ने इशारों में इस मांग के पीछे ईसाई समुदाय के लोगों और बाहरी ताकतों का हाथ होने का आशंका जताई है.

पढ़ें-सदन में ऐसा क्या हुआ कि सीपी सिंह के सवाल पर अफसर दीर्घा की तरफ दौड़ पड़े मार्शल


सरना कोड पर बाहरी ताकतों के दबाव में प्रदेश सरकार
झारखंड के खूंटी में पत्थलगड़ी कर सरकार के खिलाफ लोगों को बरगलाने का आंदोलन शुरू हुआ था उस दौरान रघुवर सरकार ने भी इसका समर्थन किया था लेकिन बाद में रघुवर सरकार ने ही पत्थलगढ़ियों को जेल भेजा. आज हेमन्त सरकार सरना कोड का समर्थन कर रही है.

करिया मुंडा ने कहा कि राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन का फैसला नामसाझी भरा है. पहले इस सरना धर्म पर आदिवासियों से राय लेनी थी उसके बाद विशेष सत्र बुलाकर इसे पास करती. करिया मुंडा ने कहा कि सरकार पर किसी राजनीतिक दल के अलावा किसी बाहरी ताकत का दबाव होगा. शायद इसलिए सरना कोड को पास करने में सरकार ने जल्दबाजी दिखाई.

खूंटी: पद्मविभूषण करिया मुंडा ने झारखंड सरकार पर जोरदार हमला बोला है. उन्होंने हेमंत सरकार पर लोगों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया. लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष सह खूंटी के पूर्व सांसद करिया मुंडा ने सरना आदिवासी कोड पर कहा कि इस मुद्दे पर राज्य सरकार सिर्फ राजनीति कर रही है.

उन्होंने विधानसभा से इस संबंध में प्रस्ताव पारित करने को केंद्र की भाजपानीत सरकार को आदिवासी विरोधी साबित करने की साजिश बताया. उन्होंने कहा कि सरना एक पूजा स्थल है, इसके नाम पर धर्म कोड नहीं बन सकता है और संसद में यह बिल पास नहीं हो पाया तो सारा दोष केंद्र की भाजपा सरकार पर लगाया जाएगा.

उन्होंने कहा कि देश के अलग-अलग राज्यों में रहने वाले आदिवासियों के पूजा स्थल को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. झारखंड में भी आदिवासियों के पूजा स्थल अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं. इसलिए अलग धर्म कोड के लिए देश के आदिवासियों को बैठकर पहले एकमत होने की जरूरत है.

करिया मुंडा ने झारखंड सरकार पर हमला बोला

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सरना कोड की मांग सिर्फ चुनावी स्टंट
लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष ने कहा कि खूंटी जिले में जिस प्रकार पत्थलगड़ी अभियान प्रायोजित था, उसी प्रकार सरना धर्म कोड की मांग भी प्रायोजित है. यह सब चुनावी स्टंट है. चुनाव के दौरान ऐसे मामले तेजी से उठाए जाते रहे हैं, जो चुनाव के बाद ठंडे बस्ते में डाल दिए जाते हैं.

मुंडा ने कहा कि देश में आदिवासियों की संख्या लगभग 12 प्रतिशत है. अलग धर्म कोड के बाद आदिवासी अल्पसंख्यक हो जाएंगे और विशेष लाभ की मांग करेंगे. इसका फायदा आदिवासी से ईसाई बने लोगों के माध्यम से मिशनरी उठाने की साजिश रच रहे हैं.

पद्मविभूषण मुंडा ने इशारों में ईसाई समुदाय के कुछ लोगों पर आदिवासियों को बरगलाने का आरोप लगाया. उन्होंने सवाल किया कि अगर इस मांग के पीछे दूसरे समुदाय के लोग नहीं हैं तो झारखंड यूथ क्रिश्चियन एसोसिएशन के कुलदीप तिग्गा इस कोड के लिए इतने परेशान क्यों हैं.

करिया मुंडा ने कहा कि, बंधन तिग्गा भी खुद एक ईसाई हैं. ऐसे में एक ईसाई को अपना धर्म के मसले छोड़ सरना धर्म कोड की मांग करना आदिवासियों को सिर्फ बरगलाना है. उन्होंने सरकार पर इन लोगों के सामने झुकने का भी आरोप लगाया. मुंडा ने इशारों में इस मांग के पीछे ईसाई समुदाय के लोगों और बाहरी ताकतों का हाथ होने का आशंका जताई है.

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सरना कोड पर बाहरी ताकतों के दबाव में प्रदेश सरकार
झारखंड के खूंटी में पत्थलगड़ी कर सरकार के खिलाफ लोगों को बरगलाने का आंदोलन शुरू हुआ था उस दौरान रघुवर सरकार ने भी इसका समर्थन किया था लेकिन बाद में रघुवर सरकार ने ही पत्थलगढ़ियों को जेल भेजा. आज हेमन्त सरकार सरना कोड का समर्थन कर रही है.

करिया मुंडा ने कहा कि राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन का फैसला नामसाझी भरा है. पहले इस सरना धर्म पर आदिवासियों से राय लेनी थी उसके बाद विशेष सत्र बुलाकर इसे पास करती. करिया मुंडा ने कहा कि सरकार पर किसी राजनीतिक दल के अलावा किसी बाहरी ताकत का दबाव होगा. शायद इसलिए सरना कोड को पास करने में सरकार ने जल्दबाजी दिखाई.

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