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लॉकडाउन ने लोगों की आर्थिक 'तालाबंदी' कर दी है- कपिल सिब्बल

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Published : Apr 25, 2020, 4:17 PM IST

Updated : Apr 25, 2020, 5:57 PM IST

देश लॉकडाउन के कारण एक गहरे वित्तीय संकट काल की तरफ भी जा रहा है. इसे लेकर आज पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने प्रेस कांफ्रेस किया. प्रेस कांफ्रेस में सिब्बल ने कोरोना वायरस को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों और तौर-तरीकों पर प्रश्न चिन्ह लगाया. जानें विस्तार से कपिल सिब्बल के आरोप...

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कपिल सिब्बल

नई दिल्ली :कोरोना वायरस महामारी के बीच कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ने लोगों की आर्थिक 'तालाबंदी' कर दी है और इसलिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत इस संकट से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय योजना बनाए.

दरअसल आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार को देश में लॉकडाउन के उपायों पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया, क्योंकि यह देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है. उन्होंने कहा, 'आपके लोगों की तालाबंदी और अर्थव्यवस्था की भी तालाबंदी नहीं कर सकते हैं. नीति निर्माण का ये कोई तरीका नहीं है.'

उन्होंने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 6 (2) (बी) का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रीय प्राधिकरण राष्ट्रीय योजना को मंजूरी दे सकती है. सिब्बल ने कहा, 'अधिनियम के अनुसार, केंद्र सरकार कोविड-19 से निपटने के लिए राष्ट्रीय योजना तैयार करने के लिए बाध्य है लेकिन इस सरकार ने तो मौन साध रखा है.'

उन्होंने आगे कहा, 'केंद्र सरकार के पास कोविड 19 से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय योजना का अभाव है और राज्य सरकारों को अपनी जिम्मेदारी सौंप दिया गया है. आवश्यक बुनियादी ढांचे के बिना, पर्याप्त मानव और वित्तीय संसाधन दोनों के बिना राज्य सरकारें इस महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने की स्थिति में नहीं हैं.'

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 12 का हवाला देते हुए, सिब्बल ने कहा, 'हम चाहेंगे कि प्रधानमंत्री इस देश के लोगों को राहत के न्यूनतम मानकों के बारे में सूचित करें जो आपदा से प्रभावित व्यक्तियों को प्रदान करने के लिए आवश्यक हैं. इसके बजाय की उनके सम्मान का निर्वहन करें. गरीब और असहाय फंसे प्रवासियों को सहायता प्रदान करें. केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों पर निर्भर कर दिया है. वे बिना किसी योजना और दिशानिर्देश के क्या कर सकते हैं.'

उन्होंने कहा, 'यह विडंबना है कि राहत देने के लिए अधिनियम के प्रावधानों का उपयोग करने के बजाय, पीएम-CARES फंड की स्थापना कर लोगों को उस फंड में उदारता से दान करने के लिए कहा गया है.

बकौल सिब्बल 'यह ठीक वही पैसा है लॉकडाउन से प्रभावित लोगों को राहत और पुनर्वास के लिए राष्ट्रीय आपदा राहत कोष जाना जाता है. पीएम-केयर्स की स्थापना का उद्देश्य भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए और निजी दान एनडीआरएफ को भी किया जा सकता था, अन्यथा इसे स्थापित करने का मकसद संदेह पैदा करता है.'

उन्होंने यह भी कहा कि पीएम केयर्स एक कानून द्वारा निर्मित होने के बजाय 2005 के अधिनियम सार्वजनिक ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया गया है.

उन्होंने आरोप लगाया कि नौकरशाह इस तालाबंदी के दौरान सरकार की नीतियों का तैयारी कर रहे हैं. ये देश के आम लोगों के 'भाग्य का फैसला' कर रहे हैं, जिन्हें वास्तव में जमीनी स्थिति के बारे में कुछ पता ही नहीं है.

नई दिल्ली :कोरोना वायरस महामारी के बीच कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ने लोगों की आर्थिक 'तालाबंदी' कर दी है और इसलिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत इस संकट से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय योजना बनाए.

दरअसल आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार को देश में लॉकडाउन के उपायों पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया, क्योंकि यह देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है. उन्होंने कहा, 'आपके लोगों की तालाबंदी और अर्थव्यवस्था की भी तालाबंदी नहीं कर सकते हैं. नीति निर्माण का ये कोई तरीका नहीं है.'

उन्होंने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 6 (2) (बी) का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रीय प्राधिकरण राष्ट्रीय योजना को मंजूरी दे सकती है. सिब्बल ने कहा, 'अधिनियम के अनुसार, केंद्र सरकार कोविड-19 से निपटने के लिए राष्ट्रीय योजना तैयार करने के लिए बाध्य है लेकिन इस सरकार ने तो मौन साध रखा है.'

उन्होंने आगे कहा, 'केंद्र सरकार के पास कोविड 19 से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय योजना का अभाव है और राज्य सरकारों को अपनी जिम्मेदारी सौंप दिया गया है. आवश्यक बुनियादी ढांचे के बिना, पर्याप्त मानव और वित्तीय संसाधन दोनों के बिना राज्य सरकारें इस महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने की स्थिति में नहीं हैं.'

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 12 का हवाला देते हुए, सिब्बल ने कहा, 'हम चाहेंगे कि प्रधानमंत्री इस देश के लोगों को राहत के न्यूनतम मानकों के बारे में सूचित करें जो आपदा से प्रभावित व्यक्तियों को प्रदान करने के लिए आवश्यक हैं. इसके बजाय की उनके सम्मान का निर्वहन करें. गरीब और असहाय फंसे प्रवासियों को सहायता प्रदान करें. केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों पर निर्भर कर दिया है. वे बिना किसी योजना और दिशानिर्देश के क्या कर सकते हैं.'

उन्होंने कहा, 'यह विडंबना है कि राहत देने के लिए अधिनियम के प्रावधानों का उपयोग करने के बजाय, पीएम-CARES फंड की स्थापना कर लोगों को उस फंड में उदारता से दान करने के लिए कहा गया है.

बकौल सिब्बल 'यह ठीक वही पैसा है लॉकडाउन से प्रभावित लोगों को राहत और पुनर्वास के लिए राष्ट्रीय आपदा राहत कोष जाना जाता है. पीएम-केयर्स की स्थापना का उद्देश्य भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए और निजी दान एनडीआरएफ को भी किया जा सकता था, अन्यथा इसे स्थापित करने का मकसद संदेह पैदा करता है.'

उन्होंने यह भी कहा कि पीएम केयर्स एक कानून द्वारा निर्मित होने के बजाय 2005 के अधिनियम सार्वजनिक ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया गया है.

उन्होंने आरोप लगाया कि नौकरशाह इस तालाबंदी के दौरान सरकार की नीतियों का तैयारी कर रहे हैं. ये देश के आम लोगों के 'भाग्य का फैसला' कर रहे हैं, जिन्हें वास्तव में जमीनी स्थिति के बारे में कुछ पता ही नहीं है.

Last Updated : Apr 25, 2020, 5:57 PM IST
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