नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध का आज 9वां दिन है. संयुक्त किसान मोर्चा ने सिंघु बॉर्डर पर मीडिया से बात करते हुए बताया कि किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है. प्रेस वार्ता के दौरान वाम नेता हन्नान मोल्ला, सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव समेत कई अन्य लोग भी मौजूद रहे.
भारतीय किसान यूनियन के महासचिव एचएस लाखोवाल ने कहा कि कल हमने सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की बात की. पांच दिसंबर को देशभर में पीएम मोदी के पुतले जलाए जाएंगे. हमने आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है.
अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव हन्नान मोल्ला ने कहा कि हमें इस विरोध को आगे बढ़ाने की जरूरत है. सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेना होगा.
इससे पहले कृषि कानूनों के विरोध के आठवें दिन कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल समेत शीर्ष केंद्रीय अधिकारियों के साथ किसान नेताओं ने बैठक की. बैठक के बाद कृषि मंत्री ने आश्वस्त किया कि किसानों की कई मांगों को सुना गया है.
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गौरतलब है कि इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों को वार्ता के लिए आमंत्रित करते हुए कहा था कि सरकार सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार है. उन्होंने गतिरोध खत्म करने और बुराड़ी मैदान में जाने की अपील की थी.
राजद और वाम नेताओं का समर्थन
राजनीतिक पार्टियों ने केंद्रीय कृषि कानून को लेकर अपना स्टैंड बहुत ही साफ नहीं रखा है. चुनाव के दौरान भी इसे नहीं उठाया गया. राजद ने चुनाव प्रचार के दौरान कृषि कानून को माइग्रेशन और बेरोजगारी से जोड़ा.
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राजद नेता तेजस्वी ने कहा कि क्योंकि 2006 में एपीएमसी एक्ट समाप्त कर दिया गया, इसलिए यहां के किसान चले गए. उन्हें सही कीमत नहीं मिल रही है.
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ताजा विरोध को राजद और वाम नेताओं ने समर्थन दिया है. वाम नेताओं ने कहा कि वे बिहार के किसानों के बीच कृषि कानून को लेकर जागरूकता अभियान चलाएंगे.
कहां से पनपना शुरू हुआ असंतोष
बीते 17 सितंबर को विधेयकों के पारित होने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा, किसान को उत्पाद सीधे बेचने की आजादी मिलेगी. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था भी जारी रहेगी.
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कृषि सुधार विधेयकों को लेकर पीएम मोदी का कहना है कि विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है. उनके अनुसार इन विधेयकों के पारित हो जाने के बाद किसानों की न सिर्फ आमदनी बढ़ेगी, बल्कि उनके सामने कई विकल्प भी मौजूद होंगे.
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