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JNU के छात्रों ने जलाई उच्च स्तरीय जांच कमेटी की रिपोर्ट - जेएनयू में प्रदर्शन

जेएनयू के छात्रों ने उच्च स्तरीय जांच कमेटी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. छात्रों का कहना है कि हम पूरी तरह से बढ़ी हुई फीस वापस करने की मांग कर रहे हैं. जानें पूरा विवरण...

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जेएनयू विद्रोह
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Published : Nov 27, 2019, 3:35 PM IST

नई दिल्ली: बढ़ी हुई फीस को वापस करने समेत कई मांगों को लेकर विरोध कर रहे जवाहरलाल नेहरु युनिवर्सिटी (जेएनयू )छात्रों का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा. प्रदर्शनकारी छात्रों ने अब मामले की जांच के लिए गठित उच्च स्तरीय जांच कमेटी की रिपोर्ट खारिज कर दी है.

'मांगें पूरी नहीं होने तक जारी रहेगा विरोध'
जेएनयू छात्रसंघ के उपाध्यक्ष साकेत मून का कहना है कि मांगें पूरी नहीं होने तक विरोध जारी रहेगा. पहले बैठक कर थोड़ी छूट दी जाती है और दोबारा समिति कर और थोड़ी छूट दे दी जाती है, लेकिन हमारी मांग है कि पूरी तरह से बढ़ी हुई फीस वापस हो. साकेत ने ये भी कहा कि जब भी छात्र अपने अधिकार की लड़ाई लड़ते हैं तो जेएनयू प्रशासन उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई करता है, या फिर लाठीचार्ज और धमकी भरे सर्कुलर जारी कर उन्हें डराने की कोशिश करता है.

छात्रों ने जलाया सर्कुलर

छात्रों ने जलाया सर्कुलर
छात्रसंघ के उपाध्यक्ष साकेत मून और महासचिव सतीश चंद्र यादव समेत कई छात्र-छात्राओं ने समिति की ओर से जारी सर्कुलर को जलाकर विरोध जताया. छात्रों की मांग है कि नई आईएचए समिति गठित की जाए, जिसमें छात्रों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए. छात्रों ने ये भी कहा कि अगर इस समिति की रिपोर्ट मान ली जाती है तो आगे से विश्वविद्यालय प्रशासन बगैर छात्रों को जानकारी दिये ही फीस बढ़ा देगा.ऐसे में हम इस समिति की रिपोर्ट को खारिज करते हैं.

ये भी पढ़ें- JNU फीस बढ़ोतरी : MHRD की हाई पावर कमेटी से मिलने के बाद संतुष्ट नजर आए छात्र

समिति की सर्कुलर में क्या है ?
बता दें कि समिति ने जो सर्कुलर जारी किया है. उसमें बीपीएल छात्रों को 75 फीसदी और सामान्य वर्ग के छात्रों को 50 प्रतिशत छूट दी गई है. मतलब बढ़ी हुई फीस से सामान्य वर्ग के छात्रों को 50 प्रतिशत छूट दी गई है, लेकिन छात्रों का कहना है कि बढ़ी हुई फीस पूरी वापस होनी चाहिए.

नई दिल्ली: बढ़ी हुई फीस को वापस करने समेत कई मांगों को लेकर विरोध कर रहे जवाहरलाल नेहरु युनिवर्सिटी (जेएनयू )छात्रों का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा. प्रदर्शनकारी छात्रों ने अब मामले की जांच के लिए गठित उच्च स्तरीय जांच कमेटी की रिपोर्ट खारिज कर दी है.

'मांगें पूरी नहीं होने तक जारी रहेगा विरोध'
जेएनयू छात्रसंघ के उपाध्यक्ष साकेत मून का कहना है कि मांगें पूरी नहीं होने तक विरोध जारी रहेगा. पहले बैठक कर थोड़ी छूट दी जाती है और दोबारा समिति कर और थोड़ी छूट दे दी जाती है, लेकिन हमारी मांग है कि पूरी तरह से बढ़ी हुई फीस वापस हो. साकेत ने ये भी कहा कि जब भी छात्र अपने अधिकार की लड़ाई लड़ते हैं तो जेएनयू प्रशासन उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई करता है, या फिर लाठीचार्ज और धमकी भरे सर्कुलर जारी कर उन्हें डराने की कोशिश करता है.

छात्रों ने जलाया सर्कुलर

छात्रों ने जलाया सर्कुलर
छात्रसंघ के उपाध्यक्ष साकेत मून और महासचिव सतीश चंद्र यादव समेत कई छात्र-छात्राओं ने समिति की ओर से जारी सर्कुलर को जलाकर विरोध जताया. छात्रों की मांग है कि नई आईएचए समिति गठित की जाए, जिसमें छात्रों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए. छात्रों ने ये भी कहा कि अगर इस समिति की रिपोर्ट मान ली जाती है तो आगे से विश्वविद्यालय प्रशासन बगैर छात्रों को जानकारी दिये ही फीस बढ़ा देगा.ऐसे में हम इस समिति की रिपोर्ट को खारिज करते हैं.

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समिति की सर्कुलर में क्या है ?
बता दें कि समिति ने जो सर्कुलर जारी किया है. उसमें बीपीएल छात्रों को 75 फीसदी और सामान्य वर्ग के छात्रों को 50 प्रतिशत छूट दी गई है. मतलब बढ़ी हुई फीस से सामान्य वर्ग के छात्रों को 50 प्रतिशत छूट दी गई है, लेकिन छात्रों का कहना है कि बढ़ी हुई फीस पूरी वापस होनी चाहिए.

Intro:नई दिल्ली ।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हॉस्टल मैनुअल और बढ़ी हुई फीस को लेकर चल रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए जेएनयू प्रशासन द्वारा एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया जिसने छात्रों द्वारा दिए गए सुझावों के आधार पर अपना निर्णय जारी कर दिया है. इस निर्णय के अनुसार सर्विस चार्ज में बीपीएल छात्रों को 75 फ़ीसदी और सामान्य वर्ग के छात्रों को 50 फ़ीसदी छूट दी गई है. वहीं प्रदर्शनकारी छात्र इस निर्णय से नाखुश हैं और उन्होंने कहा कि हमें लॉलीपॉप नहीं बल्कि पूरा फीस रोलबैक चाहिए.


Body:समिति द्वारा फीस में छूट दिए जाने के निर्णय को लेकर छात्रसंघ के उपाध्यक्ष साकेत मून ने कहा कि जेएनयू प्रशासन उनके साथ मोलभाव करने पर तुला हुआ है. पहले मीटिंग करके थोड़ी छूट दी जाती है और दोबारा समिति गठित होती है तो थोड़ी ज्यादा छूट दी जाती है जो कि छात्रों को किसी भी तरह मान्य नहीं है. उन्होंने कहा कि जब तक छात्रों की मांगों को पूरी नहीं किया जाता वह इसी तरह अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे. साथ ही कहा कि यह जेएनयू प्रशासन का पुराना रवैया है कि जब भी छात्र अपने अधिकार की लड़ाई लड़ता है तो जेएनयू प्रशासन उसके खिलाफ प्रशासनिक कार्यवाई करके, लाठीचार्ज करवा कर या फिर धमकी भरे सर्कुलर जारी कर उन्हें डराने की कोशिश करता है लेकिन अब जेएनयू का कोई छात्र इस तरह के शिकंजे में आने वाला नहीं. साथ ही कहा कि चाहे उन्हें लाठियां सहनी पड़े या आंसू गैस के गोले खाने पड़े लेकिन अब वह पीछे हटने वाले नहीं है.

वहीं छात्रसंघ के उपाध्यक्ष साकेत मून, महासचिव सतीश चंद्र यादव सहित अन्य प्रदर्शनकारी छात्रों ने समिति द्वारा जारी किए गए सर्कुलर को जला दिया और कहा कि इस समिति को खारिज कर दिया जाए और नई आईएचए समिति का गठन किया जाए जिसमें छात्र संघ के प्रतिनिधि को भी सम्मिलित किया जाए. वहीं साकेत मून ने आरोप लगाया है कि इस उच्चस्तरीय समिति ने शाम तक छात्रों से सुझाव मांगा था जिसमें सभी छात्रों ने यही सुझाव दिया था कि आईएचए का पुनर्गठन किया जाए जिसमें प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ जेएनयू छात्र संघ के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए लेकिन समिति ने छात्रों द्वारा दिए गए सुझाव को दरकिनार किया और अपना तानाशाही फरमान सुना दिया. उन्होंने कहा कि समिति गठन होने के बाद यदि इस बार चुपचाप समिति का निर्णय मान लिया जाता है तो आगे जब भी फीस बढ़ानी होगी तो जेएनयू प्रशासन बिना छात्रों को कोई जानकारी दिए इसी तरह समिति गठित करके एक दिन में ही अपने मनमाने फैसले ले लिया करेगा.


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