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जम्मू-कश्मीर : विवादास्पद रोशनी एक्ट असंवैधानिक करार, सीबीआई करेगी जांच

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने विवादास्पद रोशनी अधिनियम को असंवैधानिक करार दिया है. कोर्ट ने निर्देश दिया कि 25,000 करोड़ रुपये की भूमि आवंटन योजना की जांच सीबीआई को हस्तांतरित कर दी जाए.

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
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Published : Oct 9, 2020, 10:47 PM IST

Updated : Nov 1, 2020, 11:41 AM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादास्पद रोशनी अधिनियम को असंवैधानिक घोषित कर दिया और निर्देश दिया कि 25 हजार करोड़ रुपये की भूमि आवंटन योजना की जांच सीबीआई को हस्तांतरित कर दी जाए.

हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने उस याचिका पर अनुमति प्रदान की, जिसमें भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से रोशनी अधिनियम के तहत 25,000 करोड़ रुपये के भूमि आवंटन घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गई है.

नवंबर 2001 में राज्य विधानमंडल द्वारा इसे अधिनियमित किया गया और मार्च 2002 में लागू किया गया था. इसके तहत राज्य में जल विद्युत उत्पादन के लिए धन जुटाने की परिकल्पना की गई थी, जिसमें राज्य की भूमि को निजी स्वामित्व में स्थानांतरित करके 25,000 करोड़ रुपये एकत्र करने की योजना थी.

कैग की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 25,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले केवल 76 करोड़ रुपये ही निजी स्वामित्व में भूमि के हस्तांतरण से प्राप्त हुए.

इस मामले में जम्मू-कश्मीर के कई रसूखदार नेता, पुलिस अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी और भू-माफिया शामिल रहे हैं. राजनेताओं, व्यापारियों और नौकरशाहों को राज्य की भूमि को अपने स्वामित्व में स्थानांतरित करने और मनमाने ढंग से तय दरें निर्धारित करने पर कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है.

इस मामले में राज्य को कई हजार करोड़ रुपये की भूमि से वंचित होना पड़ा और इससे अधिनियम के उद्देश्य पर भी करारा प्रहार हुआ.

यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर : पाक की नापाक हरकत, एलओसी पर की गोलीबारी

अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कानून को असंवैधानिक घोषित किया और अधिनियम के तहत किए गए सभी आवंटनों को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है. इसने आदेश दिया कि भूमि घोटाले की जांच सीबीआई को हस्तांतरित की जाए, जो आठ सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेगी.

न्यायालय ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव निर्बाध जांच सुनिश्चित करेंगे, जो उन अधिकारियों के खिलाफ भी होगी, जिनके कार्यकाल में यह अतिक्रमण हुआ.

अदालत ने कहा कि सभी उपायुक्त और संभागीय आयुक्तों पर अदालत की अवमानना के लिए कार्रवाई की जाएगी, अगर वह जांच में सहयोग नहीं करते हैं.

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादास्पद रोशनी अधिनियम को असंवैधानिक घोषित कर दिया और निर्देश दिया कि 25 हजार करोड़ रुपये की भूमि आवंटन योजना की जांच सीबीआई को हस्तांतरित कर दी जाए.

हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने उस याचिका पर अनुमति प्रदान की, जिसमें भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से रोशनी अधिनियम के तहत 25,000 करोड़ रुपये के भूमि आवंटन घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गई है.

नवंबर 2001 में राज्य विधानमंडल द्वारा इसे अधिनियमित किया गया और मार्च 2002 में लागू किया गया था. इसके तहत राज्य में जल विद्युत उत्पादन के लिए धन जुटाने की परिकल्पना की गई थी, जिसमें राज्य की भूमि को निजी स्वामित्व में स्थानांतरित करके 25,000 करोड़ रुपये एकत्र करने की योजना थी.

कैग की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 25,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले केवल 76 करोड़ रुपये ही निजी स्वामित्व में भूमि के हस्तांतरण से प्राप्त हुए.

इस मामले में जम्मू-कश्मीर के कई रसूखदार नेता, पुलिस अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी और भू-माफिया शामिल रहे हैं. राजनेताओं, व्यापारियों और नौकरशाहों को राज्य की भूमि को अपने स्वामित्व में स्थानांतरित करने और मनमाने ढंग से तय दरें निर्धारित करने पर कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है.

इस मामले में राज्य को कई हजार करोड़ रुपये की भूमि से वंचित होना पड़ा और इससे अधिनियम के उद्देश्य पर भी करारा प्रहार हुआ.

यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर : पाक की नापाक हरकत, एलओसी पर की गोलीबारी

अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कानून को असंवैधानिक घोषित किया और अधिनियम के तहत किए गए सभी आवंटनों को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है. इसने आदेश दिया कि भूमि घोटाले की जांच सीबीआई को हस्तांतरित की जाए, जो आठ सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेगी.

न्यायालय ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव निर्बाध जांच सुनिश्चित करेंगे, जो उन अधिकारियों के खिलाफ भी होगी, जिनके कार्यकाल में यह अतिक्रमण हुआ.

अदालत ने कहा कि सभी उपायुक्त और संभागीय आयुक्तों पर अदालत की अवमानना के लिए कार्रवाई की जाएगी, अगर वह जांच में सहयोग नहीं करते हैं.

Last Updated : Nov 1, 2020, 11:41 AM IST
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