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श्रावणी मेले के आयोजन पर झारखंड हाईकोर्ट में फैसला सुरक्षित - jharkhand high court reserves judgement

विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले के आयोजन पर झारखंड हाईकोर्ट में सांसद निशिकांत दूबे की जनहित याचिका पर सुनवाई की गई. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से आग्रह किया गया है कि कोरोना संकट को देखते हुए कुछ दिशानिर्देश जारी कर सीमित लोगों में ही सही, मेले में पूजा का आयोजन किया जाना चाहिए.

court reserves judgement on shravani mela
फाइल फोटो
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Published : Jun 30, 2020, 7:52 PM IST

रांची : विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले के मामले में सांसद निशिकांत दुबे की जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब दो जुलाई को कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी.

याचिका पर सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से बताया गया कि कोविड-19 को देखते हुए बड़े पैमाने पर मेले का आयोजन करना जोखिम भरा होगा. आयोजन में श्रद्धालु देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों से भी आते हैं, उन्हें आने से मना नहीं किया जा सकता है. लोग बड़े पैमाने पर आएंगे तो संक्रमण फैलने का डर है. इसलिए मेले का आयोजन करना उचित नहीं होगा.

याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से आग्रह किया गया कि यह आस्था का प्रश्न है, कुछ दिशानिर्देश जारी कर सीमित लोगों में ही सही, मेले में पूजा का आयोजन किया जाना चाहिए. बिहार सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि यह झारखंड सरकार के ऊपर निर्भर करता है कि वह अगर मेला चाहते हैं तो वह दिशानिर्देश जारी कर कर सकते हैं.

पढ़ें-कोरोना: फीकी हुई श्रावणी मेले की चमक, इस साल नजर नहीं आएंगे कांवड़िए

रांची : विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले के मामले में सांसद निशिकांत दुबे की जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब दो जुलाई को कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी.

याचिका पर सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से बताया गया कि कोविड-19 को देखते हुए बड़े पैमाने पर मेले का आयोजन करना जोखिम भरा होगा. आयोजन में श्रद्धालु देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों से भी आते हैं, उन्हें आने से मना नहीं किया जा सकता है. लोग बड़े पैमाने पर आएंगे तो संक्रमण फैलने का डर है. इसलिए मेले का आयोजन करना उचित नहीं होगा.

याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से आग्रह किया गया कि यह आस्था का प्रश्न है, कुछ दिशानिर्देश जारी कर सीमित लोगों में ही सही, मेले में पूजा का आयोजन किया जाना चाहिए. बिहार सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि यह झारखंड सरकार के ऊपर निर्भर करता है कि वह अगर मेला चाहते हैं तो वह दिशानिर्देश जारी कर कर सकते हैं.

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