बेंगलुरूः कर्नाटक में कांग्रेस एवं जनता दल (एस) के बीच मतभेद कम होने का नाम नहीं ले रहा. इसी बीच खबर आई है कि कर्नाटक इकाई के प्रमुख एच. विश्वनाथ ने लोकसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मंगलवार को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया.
लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद राज्य में किसी बड़े नेता का यह पहला इस्तीफा है.
बता दें, राज्य की 28 लोकसभा सीटों पर पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था पर उन्हें मात्र एक-एक सीट पर ही सफलता मिल पाई. वहीं भाजपा 25 सीटों पर कामयाब रही. जबकि भाजपा के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी सुमालता अंबरीश ने मांड्या से जीत हासिल की.
विश्वनाथ ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा, 'मैं हार (पार्टी की) की नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं.'
जानकारी के मुताबिक, पार्टी अपने महत्वपूर्ण फैसलों में उनसे सलाह नहीं लेती थी जिस कारण वे काफी समय से कथित तौर पर पार्टी से नाखुश थे.
हाल ही में वे कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार के कामकाज को लेकर भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया से सार्वजनिक तौर पर उलझ गए थे.
उन्होंने कहा कि समन्वय समिति में न तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुंडू शामिल हैं, और न ही वे खुद .
पढ़ेंः मायावती के बाद अखिलेश ने भी गठबंधन से हटने के दिए संकेत
विश्वनाथ ने आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवैगौड़ा को तुमकुर से चुनाव लड़ाने की साजिश की गई और बाद में वे हार गए.
जब उनसे हार के पीछे सिद्धमरैया के हाथ को लेकर प्रश्न किया गया तो उन्होंने कहा कि वे किसी का नाम नहीं लेगे.
उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी से सहानुभूति रखते हैं कि वह खराब स्वास्थ्य और मित्रों के ‘अत्याचारों’ के बावजूद सरकार चला रहे है.
उन्होंने भाजपा में जाने को लेकर किए गए सवाल को खारिज कर दिया.
उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी मंत्री बनने की कोई आकांक्षा नहीं है लेकिन इस तरह का अगर कोई प्रस्ताव आता है तो वह इसे स्वीकार करने से नहीं झिझकेंगे.
उन्होंने चुनावों के दौरान कुछ जद(एस) नेताओं के सुमालता पर की गई अनुचित टिप्पणियों के लिए भी माफी मांगी.