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गृह मंत्रालय के JK प्रभाग पर विचार करेंगे केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला - गृह मंत्रालय का JK प्रभाग

जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 रद्द कर दिया गया है. इसके बाद केन्द्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला इस बात पर विचार कर रहे है कि गृह मंत्रालय के जम्मू-कश्मीर प्रभाग पर क्या फैसला लिया जाए. पढ़ें पूरी खबर...

अजय कुमार भल्ला
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Published : Sep 28, 2019, 7:51 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 9:23 AM IST

नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 रद्द करने के बाद सरकार कई अहम मुद्दों पर विचार कर रही है. इस बीच सरकार गृह मंत्रालय के जम्मू-कश्मीर प्रभाग पर कार्य कर रही है. इसके लिए केन्द्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला विचार कर रहे हैं कि इस प्रभाग पर क्या फैसला लिया जाए. बता दें, गृह मंत्रालय का जम्मू का प्रभाग अति संवेदनशील भाग माना जाता है.

दरअसल, सरकार इस पर विचार कर रही है कि गृह मंत्रालय के जम्मू-कश्मीर प्रभाग का क्रियान्वयन कैसे और क्या होगा? क्या इसे खत्म कर दिया जाएगा या इसे बरकार रखा जाएगा?

बता दें कि गृह मंत्रालय का जम्मू-कश्मीर प्रभाग भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 तथा जम्मू-कश्मीर संबंधी संवैधानिक मामलों तथा सामान्य नीति विषयक मामलों और उस राज्य में आतंकवाद/उग्रवाद से जुड़े मामलों से संबंधित कार्य करता है. यह प्रभाग जम्मू-कश्मीर के लिए प्रधान मंत्री के पैकेज के क्रियान्वयन के लिए भी उत्तरदाई है.

गृह मंत्रालय पहुंचे भल्ला

गौरतलब है, अब जम्मू और कश्मीर प्रभाग नई परिसंपत्तियों के निर्माण, मौजूदा परिसंपत्तियों के विभाजन, नई योजनाओं की स्थापना और राज्य के विभाजन के लिए पुराने पैकेजों की समीक्षा करना है.

इस संबंध में गृह मंत्रालय के सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि भल्ला जम्मू-कश्मीर प्रभाग से जुड़े मुद्दे पर जल्द कार्रवाई करने वाले है. बता दें, जम्मू-कश्मीर को दो केन्द्र शासित राज्य लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में विभाजित किया गया है. इस कारण से यहां की प्रशासिन व्यवस्था और अन्य चीजों में बदलाव किये जा सकते हैं.

आपको बता दें, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को 31 अक्टूबर से अलग केन्द्रशासित राज्यों के अस्तित्व में आएंगे. इसलिए इसके निर्माण में गृह मंत्रालय के अधीन में यूटी डिवीजन कार्य करेगा. यूटी डिवीजन भारत भर में ऐसे सरकारी कार्यों को संभालता है, जो एमएचए के अधीन होते हैं. इसका विवरण संविधान की समर्वती सूची में है.

ये भी पढ़ेंः देश में तस्करी के मामलों में आई कमी : गृह मंत्रालय

वहीं गृह मंत्रालय के पास एक समस्या यह भी है कि इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) के अधिकारियों के लिए कैडर आंवटन किस प्रकार से किया जाए. किस जगह पर अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी. बता दें कि गृह मंत्रालय के पास ही कैडरों की कंट्रोलिंग अथॉरिटी होती है.

जम्मू-कश्मीर के विभाजन के बाद जम्मू-कश्मीर में कार्य करने वाले आईपीएस अधिकारियों को AGMUT (Arunachal Pradesh Goa Mizoram Union Territory) अरुणाचल प्रदेश, गोवा और मिजोरम केन्द्र शासित राज्यों का कैडर में तैनात किया जाएगा.

नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 रद्द करने के बाद सरकार कई अहम मुद्दों पर विचार कर रही है. इस बीच सरकार गृह मंत्रालय के जम्मू-कश्मीर प्रभाग पर कार्य कर रही है. इसके लिए केन्द्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला विचार कर रहे हैं कि इस प्रभाग पर क्या फैसला लिया जाए. बता दें, गृह मंत्रालय का जम्मू का प्रभाग अति संवेदनशील भाग माना जाता है.

दरअसल, सरकार इस पर विचार कर रही है कि गृह मंत्रालय के जम्मू-कश्मीर प्रभाग का क्रियान्वयन कैसे और क्या होगा? क्या इसे खत्म कर दिया जाएगा या इसे बरकार रखा जाएगा?

बता दें कि गृह मंत्रालय का जम्मू-कश्मीर प्रभाग भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 तथा जम्मू-कश्मीर संबंधी संवैधानिक मामलों तथा सामान्य नीति विषयक मामलों और उस राज्य में आतंकवाद/उग्रवाद से जुड़े मामलों से संबंधित कार्य करता है. यह प्रभाग जम्मू-कश्मीर के लिए प्रधान मंत्री के पैकेज के क्रियान्वयन के लिए भी उत्तरदाई है.

गृह मंत्रालय पहुंचे भल्ला

गौरतलब है, अब जम्मू और कश्मीर प्रभाग नई परिसंपत्तियों के निर्माण, मौजूदा परिसंपत्तियों के विभाजन, नई योजनाओं की स्थापना और राज्य के विभाजन के लिए पुराने पैकेजों की समीक्षा करना है.

इस संबंध में गृह मंत्रालय के सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि भल्ला जम्मू-कश्मीर प्रभाग से जुड़े मुद्दे पर जल्द कार्रवाई करने वाले है. बता दें, जम्मू-कश्मीर को दो केन्द्र शासित राज्य लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में विभाजित किया गया है. इस कारण से यहां की प्रशासिन व्यवस्था और अन्य चीजों में बदलाव किये जा सकते हैं.

आपको बता दें, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को 31 अक्टूबर से अलग केन्द्रशासित राज्यों के अस्तित्व में आएंगे. इसलिए इसके निर्माण में गृह मंत्रालय के अधीन में यूटी डिवीजन कार्य करेगा. यूटी डिवीजन भारत भर में ऐसे सरकारी कार्यों को संभालता है, जो एमएचए के अधीन होते हैं. इसका विवरण संविधान की समर्वती सूची में है.

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वहीं गृह मंत्रालय के पास एक समस्या यह भी है कि इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) के अधिकारियों के लिए कैडर आंवटन किस प्रकार से किया जाए. किस जगह पर अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी. बता दें कि गृह मंत्रालय के पास ही कैडरों की कंट्रोलिंग अथॉरिटी होती है.

जम्मू-कश्मीर के विभाजन के बाद जम्मू-कश्मीर में कार्य करने वाले आईपीएस अधिकारियों को AGMUT (Arunachal Pradesh Goa Mizoram Union Territory) अरुणाचल प्रदेश, गोवा और मिजोरम केन्द्र शासित राज्यों का कैडर में तैनात किया जाएगा.

Intro:New Delhi: Ever since Article 370 has been aborgated from Jammu and Kashmir paving the way for bifurcation into Union Territory (UTs), Union Home Secretary Ajay Kumar Bhalla is learnt to have working on the future course of action for highly sensitive J&K division of the Home Ministry.


Body:Sources in the MHA told ETV Bharat that Bhalla is likely to take a call very soon on whether J&K needs to be treated as a separate division handling Jammu, Kashmir and Ladakh or there will be changes in the administrative setup of the division to meet new demands and requirements.

The creation of J&K and Ladakh as Union Territories on October 31, would mean overlapping administrative work with the UT division of MHA. The UT division handles all matters related to Its across India. For the rest of the state, it is centre-state division of the Home Ministry thatbhandlrs items on concurrent list of the Constitution.

Similarly, the Home Ministry is also facing another key issue regarding cadre allocation for the Indian Police Service (IPS) officers. Since MHA is the cadre controlling authority, and with the formal bifurcation of the state, the J&K cadre of IPS officers will have to be reallocated in to AGMUT (Arunachal Pradesh Goa Mizoram Union Territory) cadre.


Conclusion:One of the most sensitive division, the J&K division used to deal with the constitutional matters including Article 370 and general policy matters in respect of J&K including terrorism. It was also responsible for implementation of PM's package in the region. From a small Kashmir desk, it was elevated to a division of the Home Ministry in 1990.

However, for now the J&K division is coordinating for the creation of new assets, bifurcation of existing assets, setting up new schemes and reviewing old packages in the run up to the state's bifurcation.

end
Last Updated : Oct 2, 2019, 9:23 AM IST
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